परेशान आज का युवा खान-पान और मिलावटी सामान के सेवन से नपुंसकता (Impotence ) जैसी घातक बीमारियों से जूझ रहा है आये दिन हमें कई लोगो के इसकी जानकारी के लिए प्रश्न आते है इस प्रकार के नवजवानों के लिए आयुर्वेद द्वारा एक विशेष चूर्ण का निर्मार्ण करके आप लाभ ले सकते है एक बार इस्तेमाल करके इस दिव्य चूर्ण का लाभ अवस्य उठाये - बस आप इसे घर पे सारी सामग्री लाके निर्माण करे - बाजार में हो सकता है आपको सही प्राप्त न हो सके और फिर आपका विश्वास आयुर्वेद से न उठ जाए -
कोंच के बीज शुद्ध- 50 ग्राम
असगंध- 50 ग्राम
विदारीकन्द- 50 ग्राम
मूसली- 50 ग्राम
मोचरस- 50 ग्राम
गोखरू- 50 ग्राम
जायफल- 50 ग्राम
उडद की दाल- 50 ग्राम (घी में भुनी हुई )
बंशलोचन- 50 ग्राम
सेमर के फूल- 50 ग्राम
खरेंटी- 50 ग्राम
सतावर- 50 ग्राम
भांग- 50 ग्राम ( पानी से धुली और फिर सुखाई हुई )
मिश्री- 700 ग्राम
आप बाजार में आयुर्वेद पंसारी से लाई गई उपरोक्त सभी उपरोक्त सामान को कूटकर छान ले ओर आपस में मिक्स करके कांच के बर्तन में ढक्कन लगाकर रख ले -
आप इसे प्रातः और रात्री में सोने से एक घंटा पहले 3-6 ग्राम पानी से या गाय के दूध से ले-
आपके शरीर के लिए यह चूर्ण पोष्टिक रसायन है इसके सेवन से बल ओर वीर्य की वृद्धि होती है- अत्यधिक स्त्री प्रसंग या किशोरावस्था में अप्राकृतिक ढंग से वीर्य का ज्यादा दुरूपयोग करने से वीर्य पतला हो जाता है तथा शुक्रवाहिनी शिराएं भी कमजोर हो जाती है ओर फिर वे वीर्य धारण करने में सफल नहीं हो पाती है - जिसके परिणाम स्वरूप स्वप्नदोष-शीघ्रपतन-वीर्य का पतला पन-पेशाब के साथ ही वीर्य निकल जाना आदि विकार उत्पन्न हो जाते है इन विकारों को दूर करने के लिए आप इस चूर्ण का उपयोग करना आपके लिए हितकर है-
यह रसायन के गुण से युक्त है आपकी धातु की रक्षा करता है वीर्य (Semen ) की वृधि करके आपको सामर्थवान बनाने में सक्षम है ये शरीर की पुष्टता बढाता है एक बाजीकरण योग है स्त्री सम्भोग के लिए वीर्य के उत्पादन को बढाता है इसलिए कमजोर व्यक्ति को एक बार अवस्य ही इसका प्रयोग करके इसके गुणों को जांचना और परखना चाहिए क्युकी ये किसी वरदान से कम नहीं है -
डायबिटीज (Diabetes ) के रोगियों के लिये यह चूर्ण किसी वरदान से कम नही है तथा डायबिटीज के रोगियों की सम्भोग अथवा मैथुन (Sexual intercourse ) करने की क्षमता कमजोर हो जाती है तो आप इस चूर्ण के सेवन करने से डायबिटीज के रोगियों को दो तरफा फायदा होता है इससे प्रमेह (Gonorrhea ) की शिकायत भी दूर होती है-
जिनका वीर्य (semen ) हस्त मैथुन (Masturbation ) या अन्य अप्राकृतिक तरीके अपनाने के बाद पानी जैसा पतला हो गया हो , इस चूर्ण के सेवन करने से वीर्य शुद्ध होकर गाढ़ा और प्राकृतिक हो जाता है-
जिनके वीर्य में कोई भी विकृति हो , शुक्राणु कम हों या स्पेर्म न बन रहे हों , उन्हें इस औशधि का उपयोग जरूर करना चाहिये-
इस चूर्ण को सभी प्रकार के शुक्र दोषों (dyspermatism ) में उपयोग किया जा सकता है-
शरीर की साधारण स्वास्थ्य सुरक्षित रखने और शक्ति संचार को स्थाई बनाये रखने के लिये तथा कु-पोषणसे पीड़ित रोगियों के लिये यह एक लाभकारी औषधि है-
नोट :-आप के लिए पूरे जाड़े में सेवन करने के लिए उपयुक्त चूर्ण है ..! गर्मी में इसकी मात्रा आधी ले और दूध आधा लीटर गाय का हो तो उत्तम है -
कैसे बनाये (How to make it ):-
कोंच के बीज शुद्ध- 50 ग्राम
असगंध- 50 ग्राम
विदारीकन्द- 50 ग्राम
मूसली- 50 ग्राम
मोचरस- 50 ग्राम
गोखरू- 50 ग्राम
जायफल- 50 ग्राम
उडद की दाल- 50 ग्राम (घी में भुनी हुई )
बंशलोचन- 50 ग्राम
सेमर के फूल- 50 ग्राम
खरेंटी- 50 ग्राम
सतावर- 50 ग्राम
भांग- 50 ग्राम ( पानी से धुली और फिर सुखाई हुई )
मिश्री- 700 ग्राम
आप बाजार में आयुर्वेद पंसारी से लाई गई उपरोक्त सभी उपरोक्त सामान को कूटकर छान ले ओर आपस में मिक्स करके कांच के बर्तन में ढक्कन लगाकर रख ले -
मात्रा और अनुपान (Volume and dose ):-
आप इसे प्रातः और रात्री में सोने से एक घंटा पहले 3-6 ग्राम पानी से या गाय के दूध से ले-
गुण ओर उपयोग (Properties and use ):-
आपके शरीर के लिए यह चूर्ण पोष्टिक रसायन है इसके सेवन से बल ओर वीर्य की वृद्धि होती है- अत्यधिक स्त्री प्रसंग या किशोरावस्था में अप्राकृतिक ढंग से वीर्य का ज्यादा दुरूपयोग करने से वीर्य पतला हो जाता है तथा शुक्रवाहिनी शिराएं भी कमजोर हो जाती है ओर फिर वे वीर्य धारण करने में सफल नहीं हो पाती है - जिसके परिणाम स्वरूप स्वप्नदोष-शीघ्रपतन-वीर्य का पतला पन-पेशाब के साथ ही वीर्य निकल जाना आदि विकार उत्पन्न हो जाते है इन विकारों को दूर करने के लिए आप इस चूर्ण का उपयोग करना आपके लिए हितकर है-
निम्नांकित फायदे होते हैं:-
यह रसायन के गुण से युक्त है आपकी धातु की रक्षा करता है वीर्य (Semen ) की वृधि करके आपको सामर्थवान बनाने में सक्षम है ये शरीर की पुष्टता बढाता है एक बाजीकरण योग है स्त्री सम्भोग के लिए वीर्य के उत्पादन को बढाता है इसलिए कमजोर व्यक्ति को एक बार अवस्य ही इसका प्रयोग करके इसके गुणों को जांचना और परखना चाहिए क्युकी ये किसी वरदान से कम नहीं है -
डायबिटीज (Diabetes ) के रोगियों के लिये यह चूर्ण किसी वरदान से कम नही है तथा डायबिटीज के रोगियों की सम्भोग अथवा मैथुन (Sexual intercourse ) करने की क्षमता कमजोर हो जाती है तो आप इस चूर्ण के सेवन करने से डायबिटीज के रोगियों को दो तरफा फायदा होता है इससे प्रमेह (Gonorrhea ) की शिकायत भी दूर होती है-
जिनका वीर्य (semen ) हस्त मैथुन (Masturbation ) या अन्य अप्राकृतिक तरीके अपनाने के बाद पानी जैसा पतला हो गया हो , इस चूर्ण के सेवन करने से वीर्य शुद्ध होकर गाढ़ा और प्राकृतिक हो जाता है-
जिनके वीर्य में कोई भी विकृति हो , शुक्राणु कम हों या स्पेर्म न बन रहे हों , उन्हें इस औशधि का उपयोग जरूर करना चाहिये-
इस चूर्ण को सभी प्रकार के शुक्र दोषों (dyspermatism ) में उपयोग किया जा सकता है-
शरीर की साधारण स्वास्थ्य सुरक्षित रखने और शक्ति संचार को स्थाई बनाये रखने के लिये तथा कु-पोषणसे पीड़ित रोगियों के लिये यह एक लाभकारी औषधि है-
नोट :-आप के लिए पूरे जाड़े में सेवन करने के लिए उपयुक्त चूर्ण है ..! गर्मी में इसकी मात्रा आधी ले और दूध आधा लीटर गाय का हो तो उत्तम है -
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