यह एक प्राकृतिक छोटे कद का पौधा है। जंगलों और खुले-खुले मैदानों में यह
स्वतः ही उग आता है। अडूसा के पत्ते काफी लम्बे होते हैं। इन पत्तों की
डण्डी से सफेद रंग का दूध निकलता है, जो मीठा होता है। अडूसा के पत्ते
पकने पर पीले पड़ जाते हैं। संस्कृत में इसे ‘लासक
आटरूप’
कहते हैं। इसके वृक्ष पर सफेद रंग के फूल आते हैं। फूल को तोड़ने पर भी
इसकी डण्डी से सफेद रंग का रस निकलता, जिसका स्वाद मधुर होता है। यह वृक्ष
तपेदिक और खाँसी आदि रोगों में काम आता है।
अडूसा के लाभ:-
1. तपेदिक-
अडूसा के फूलों का रस तपेदिक के
रोगियों को लगातार देने से तपेदिक रोग में बहुत आराम मिलता है।
2. खाँसी रोग-
अडूसा के पत्तों का अर्क
सेंधा नमक मिलाकर पीने से खाँसी ठीक हो जाती है।
3. दाँतों का रोग-
अडूसा के पत्तों को पानी
में खूब
उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो उसे छान लें। उस पानी के कुल्ले करने से
दाँतों के समस्त रोग नष्ट हो जाते हैं। मुँह की गन्ध भी दूर हो जाएगी।
कम-से-कम दस दिन सेवन करें।
4. दमा रोग –
अडूसा के पके पीले
पत्तों के रस में
या उसकी जड़ के बनाए काढ़े में अभ्रक या कान्तिसार थोड़ा सा मिलाकर रोगी
को कम-से-कम पन्द्रह दिन तक लगातार सेवन कराएँ। इससे सभी प्रकार के
‘सांस रोग’, ‘पुरानी खाँसी’,
‘प्रमेह’, ‘मूत्र रोग’,
‘धात
गिरना’ आदि रोग ठीक हो जाएँगे।
5. नकसीर-
शहद के साथ अडूसा के पत्तों का
अर्क चटाने से
नकसीर रुक जाती है और यदि इसे एक सप्ताह तक चटा दिया जाए तो फिर नकसीर कभी
नहीं होगी।
6. मुँह से खून आना-
अडूसा की छाल, मुनक्का
छोटी हरड़ का
या बड़ी हरड़ का छिलका इन सबको बराबर लेकर बराबर का पानी डालकर आग पर
पकाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को एक-एक चम्मच सुबह-शाम शहद या पानी के
साथ सेवन करने से और इस काढ़े के कुल्ले करने से मुँह से रक्त आना बन्द हो
जाएगा।
7. चर्म रोग-
अडूसा की जड़ को पानी के साथ
पीसकर उसका
लेप फोड़े-फुंसियों पर, दाद, छाजन और खुजली पर लगाने से कुछ ही दिनों में
आराम आ जाएगा।
8. चुस्ती फुर्ती-
अडूसा की चाय सुबह-शाम
पीने से शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है।
9. क्षय रोग-
अडूसा की जड़ का रस 10 ग्रा.
शहद के साथ
देने से क्षय रोग में तुरंत लाभ होता है। इसे लगातार तब तक दें जब तक पूरी
तरह आराम न हो जाए।
nice information about Malabar nut benefits
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