Monday 29 August 2016

तनाव भगाना है तो ऐसे जिदंगी को बनाइए ‘मसाले’दार

डिप्रेशन आज के दौर में एक आम प्रॉब्लम है. और जाहिर है जब प्रॉब्लम आम है तो लोग इससे बचने के तरीके भी आम ही अपनाते हैं. लोग इस परेशानी में खुद को कमरे में बंद कर लेते हैं, दोस्तों से मिलना जुलना बंद कर देते हैं. लेकिन क्या ये आपको इस प्रॉब्लम से छुटकारा दिल सकता है ? नहीं, लेकिन रामबाण तरीका है आपको सिर्फ अपने खान पान में छोटे-छोटे बदलाव करने हैं और आपको इस तकलीफ से राहत मिल जाएगी.

हाल ही में हुई एक स्टडी के अनुसार, कई ऐसी खाने की चीजें हैं जिनके सेवन से मूड फ्रेश होता है. असल में इन चीजों का सेवन करने से शरीर में कुछ ऐसे हॉर्मोन्स का स्त्राव होता है जिससे आपका मूड ठीक हो जाता है. यदि आपको भी डिप्रेशन की समस्या है तो इन मसालों को अपनी रेगुलर डाइट में जोड़िये क्योंकि ये आपके लिए फायदेमंद रहेगा.

ये तीन मसाले हैं डिप्रेशन का रामबाण इलाज

दालचीनी : इसकी अद्भुत महक. दालचीनी आपके दिमाग को एक्ट‍िव और फ्रेश रखने का काम करती है. इसके साथ ही ये मूड को भी फिक्स करती है और साथ ही आपको याददाश्त बढ़ाने में भी बेहद मददगार है.

केसर : आपको बता दें कि केसर को खुशी का मसाला कहा जाता है. शोध की मानें तो केसर के उपयोग से टेंशन दूर होती है. ये मूड को लाइट करने का काम करता है.

हल्दी : पीली हल्दी के उप्योद से मूड दुरुस्त होता है. इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-इन्फ्लामेट्री की सही मात्रा पायी जाती है. जिससे मूड ठीक रहता है.

बे-गुण नहीं बड़े गुणों वाला है बैंगन

हम अक्सर आपको सब्जी, फल और कई अलग-अलग मसालों को खाने के फायदे बताते रहे हैं. और अपने अक्सर इनमे से कई को सुना भी होगा लेकिन वो एक सब्जी को हमेशा ही अनदेखी रह जाती है वो है बैंगन. इसके फायदे हमेशा ही अनदेखे रहे हैं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि हम आपको बताने जा रहे हैं बैंगन के चौका देने वाले फायदे…

हेल्दी एलिमेंट्स का खजाना : बैंगन में बहुत से ऐसे हेल्थ बेनिफिट एलिमेंट्स होते हैं जो आपको दूसरी किसी सब्जी में नहीं मिलेंगे. बैंगन एक ऐसी सब्जी है जोकि बहुत ही आसानी से बाजार में मिल जाती है.

दांत के दर्द में फायदेमंद : बैंगन के रस का इस्तेमाल दांत दर्द में पेन किलर की तरह किया जाता है. इसके रस से दांतों के दर्द में आराम मिलता है. साथ ही इसकी जड़ का इस्तेमाल अस्थमा की रोकथाम में भी किया जाता है.

वजन कम करने में : बैंगन कैलोरी बर्न करने का काम करता है. साथ ही ये फाइबर से युक्त होता है. बैंगन से बनी कोई भी चीज खाने से भारीपन महसूस होता है. जिसकी वजह से आप कम खाना खाते है. ऐसे में वजन कम करने वालों के लिए ये एक अच्छा फूड है.

कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने में : बैंगन खाने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम बना रहता है. बैंगन में पोटेशियम व मैंगनीशियम की अधिकता होती है जिसकी वजह से कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने नहीं पाता है.
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में : बैंगन में विटामिन C पाया जाता है. जो इंफेक्शन से दूर रखने में तो कारगर है ही साथ ही इम्यून सिस्टम को भी बूस्ट करता है.

मच्छर से बदला लेने का तरीका

 आप भी मच्छर से परेशान हैं। वो आपका खून चूसता है लेकिन आप कुछ नहीं कर पाते हैं। हम आपको बताने वाले हैं मच्छरों से बदला लेने के तरीके, आजमा कर देखिए।

बारिश का मौसम खत्म हो गया है। अब बारी मच्छरों के आतंक की है। बारिश के बाद मच्छरों की पैदाइश बढ़ जाती है। ये रात में दिन में आपको, हमको, सबको परेशान करते हैं। कितनी ही बार मन में ख्याल आता है कि कमबख्त हमारा खून पी रहे हैं, काश इनसे बदला ले पाते। अगर आपने भी कभी ऐसा सोचा है तो ये खबर आपके लिए बेहद अहम है। इतिहास में पहली बार हम आपको बताना वाले हैं मच्छरों से बदला लेने का तरीका

मच्छर न तो किसी उपाय से भागते हैं, न ही मरते हैं। वो कमरे के किसी कोने में छुप जाते हैं। जैसे ही आप कमरे में आते हैं वो अपने नुकीले एंडीने से आपका खून चूसना शुरू कर देते हैं। अगर आप मच्छरों से बचना चाहते हैं तो बेबी क्रीम का इस्तेमाल करें। ये हंसने वाली बात नहीं है। बेबी क्रीम से मॉस्किटो नफरत करते हैं, वो इसके आस पास भी नहीं भटकते हैं।

इसके अलावा नीम का तेल भी मच्छरों से बदला लेने में कारगर साबित होता है। नीम के तेल मॉस्कीटो क्वायल से 10 गुना ज्यादा असरदार होता है। नीम का तेल अगर आपने इस्तेमाल किया है तो कमबख्त मच्छर आपके पास भी नहीं आएंगे, बस दूर भिनभिनाते रहेंगे। मच्छरों को और परेशान करना चाहते हैं तो एक नींबू को आधा काटकर उसमें लौंग धंसा दें। इस नींबू को उस जगह रखें जहां सबसे ज्यादा मच्छरों का आतंक हो। फिर देखिए कैसे मच्छरों को कैसे नानी याद आती है।

मच्छरों से बदला लेने का अगला तरीका तुलसी से जुड़ा हुआ है। हर घर में तुलसी का पौधा होता है। ये कई तरह की बीमारियों में तो काम आती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसी के पेड़ से मच्छरों को उलझन होती है। इसकी खुशबू से मच्छर भाग जाते हैं। इसके अलावा लहसुन के 5 – 6 दाने कूट कर पानी में मिलाएं इस पानी को स्प्रे बॉटल में भरकर घर के अलग- अलग कोनों में छिड़क दें। फिर देखिए कैसे बिलबिलाते हुए सारे मच्छरों की वाट लगती है।

Tuesday 23 August 2016

अखरोट के अचूक फायदे ( The Unmistakable Advantages Nut)


अखरोट ऊर्जा का बेहतर स्रोत है। साथ ही इसमें शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व, मिनरल्स, एंटीआक्सीडैंट्स और विटामिन्स प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। अखरोट का तेल कई रूपों में काम में लिया जाता है। इसका  तेल खाना बनाने के अलावा दवाइयों और खुशबू के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

 अखरोट के अचूक फायदे

अखरोट में मोनोसैचुरेटिड फैट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड्स जैसे सिनोलिक एसिड, अल्फा फिनोलिक एसिड और एराकिडोनिक एसिड भी काफी मात्रा में मिलते हैं। अखरोट का नियमित सेवन खून में बुरे कोलेस्ट्रोल को कम कर अच्छे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है।हर दिन 25 ग्राम अखरोट के सेवन से 90 फीसदी ओमेगा-3 फैटी एसिड्स भी मिलते हैं।

दिल के लिए अच्‍छा

अखरोट का सेवन करने से दिल दुरूस्‍त रहता है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्‍सीडेंट होते हैं जो दिल को दुरूस्‍त बनाएं रखते हैं।

अच्‍छी नींद दिलाएं

जानकर आपको आश्‍चर्य तो हो ही रहा होगा, लेकिन यह बात सच है कि अखरोट के सेवन से शरीर को रिलैक्‍स मिल जाता है और अच्‍छी नींद आती है।

स्‍पर्म के लिए

जो पुरूष पिता बनने की इच्‍छा रखते हैं उनके लिए अखरोट काफी लाभकारी होता है। इसके सेवन से स्‍पर्म काउंट बढ़ता है।
ब्रेन फूड

अखरोट का नियमित रूप से सेवन, दिमाग को तेज बनाता है इसीलिए इसे ब्रेन फूड के नाम से भी जाना जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन ई होने ही वजह से यह दिमाग को शॉर्प और हेल्‍दी बनाएं रखता है।

गर्भावस्‍था के दौरान

गर्भवती महिलाओं के शरीर के लिए अखरोट का सेवन सबसे ज्‍यादा लाभप्रद होता है। इसके सेवन से भ्रूण में पलने वाले बच्‍चे को एलर्जी नहीं होती है और उसकी ग्रोथ के लिए आवश्‍यक तत्‍व भी मिल जाते हैं।


पेट के कैंसर में

अखरोट का सेवन, पेट के कैंसर की जटिलताओं में लाभकारी होता है। इसके सेवन से होने वाली पीड़ा में कमी आती है और कमजोरी भी नहीं आती है।

स्‍तनों के लिए

अगर आपको अपने स्‍तनों को सुडौल और स्‍वस्‍थ बनाएं रखना है तो अखरोट का दैनिक रूप से सेवन करें। इससे आपको काफी लाभ मिलेगा।

बच्चों के कृमि (पेट के कीड़े)

    कुछ दिनों तक शाम को 2 अखरोट खिलाकर ऊपर से दूध पिलाने से बच्चों के पेट के कीडे़ मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।
    अखरोट की छाल का काढ़ा 60 से 80 मिलीलीटर पिलाने से आंतों के कीड़े मर जाते हैं।

डायबटीज

अगर आप मधुमेह से ग्रसित है तो अखरोट का सेवन लाभकारी होता है। नियमित रूप से सेवन करने से आप मधुमेह से बच भी सकते हैं । अखरोट से डायबटीज 2 में आराम मिलता है।

टी.बी. (यक्ष्मा) के रोग में

3 अखरोट और 5 कली लहसुन पीसकर 1 चम्मच गाय के घी में भूनकर सेवन कराने से यक्ष्मा में लाभ होता है।

पथरी

    साबुत (छिलके और गिरी सहित) अखरोट को कूट-छानकर 1 चम्मच सुबह-शाम ठंडे पानी में कुछ दिनों तक नियमित रूप से सेवन कराने से पथरी मूत्र-मार्ग से निकल जाती है।
    अखरोट को छिलके समेत पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। 1-1 चम्मच चूर्ण ठंडे पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम खायें। इससे रोग में पेड़ू का दर्द और पथरी ठीक होती है।

शैय्यामूत्र (बिस्तर पर पेशाब करना)

प्राय: कुछ बच्चों को बिस्तर में पेशाब करने की शिकायत हो जाती है। ऐसे बाल रोगियों को 2 अखरोट और 20 किशमिश प्रतिदिन 2 सप्ताह तक सेवन करने से यह शिकायत दूर हो जाती है।

सफेद दाग

अखरोट के निरन्तर सेवन से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।

वजन घटाने में सहायक

अखरोट के सेवन से शरीर का वजन घटाने में सहायता मिलती है। जो लड़कियां या लड़के अपना वजन घटाना चाहते हैं उन्‍हे नियमित रूप से अखरोट का सेवन करना चाहिए।


फुन्सियां

यदि फुन्सियां अधिक निकलती हो तो 1 साल तक रोजाना प्रतिदिन सुबह के समय 5 अखरोट सेवन करते रहने से लाभ हो जाता है।

जी-मिचलाना

अखरोट खाने से जी मिचलाने का कष्ट दूर हो जाता है।

मरोड़

1 अखरोट को पानी के साथ पीसकर नाभि पर लेप करने से मरोड़ खत्म हो जाती है।

तनाव स्‍तर घटाएं

हाल ही में हुए एक सर्वे से पता चला है कि अखरोट के सेवन से तनाव का स्‍तर घट जाता है। इसके सेवन से ब्‍लड़ प्रेशर नियंत्रित रहता है और शरीर को पर्याप्‍त ऊर्जा मिलती रहती है।

मस्तिष्क शक्ति हेतु

    अखरोट की गिरी को 25 से 50 ग्राम तक की मात्रा में प्रतिदिन खाने से मस्तिष्क शीघ्र ही सबल हो जाता है।
    अखरोट खाने से मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है।

स्तन में दूध की वृद्धि के लिए

गेहूं की सूजी एक ग्राम, अखरोट के पत्ते 10 ग्राम को एक साथ पीसकर दोनों को मिलाकर गाय के घी में पूरी बनाकर सात दिन तक खाने से स्त्रियों के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।

बूढ़ों की निर्बलता

8 अखरोट की गिरी और चार बादाम की गिरी और 10 मुनक्का को रोजाना सुबह के समय खाकर ऊपर से दूध पीने से वृद्धावस्था की निर्बलता दूर हो जाती है।

अपस्मार

अखरोट की गिरी को निर्गुण्डी के रस में पीसकर अंजन और नस्य देने से लाभ होता है।
नेत्र ज्योति (आंखों की रोशनी)

2 अखरोट और 3 हरड़ की गुठली को जलाकर उनकी भस्म के साथ 4 कालीमिर्च को पीसकर अंजन करने से
आंखों की रोशनी बढ़ती है।


कंठमाला

अखरोट के पत्तों का काढ़ा 40 से 60 मिलीलीटर पीने से व उसी काढ़े से गांठों को धोने से कंठमाला मिटती है।

लम्‍बे जीवन के लिए

सुखद लम्‍बे जीवन के लिए अखरोट का सेवन अच्‍छा रहता है। इसक नियमित सेवन से जीवनकाल बढ़ता है और आपका जीवन ऊर्जा से भरपूर रहता है।

अखरोट ऊर्जा का बेहतर स्रोत है। साथ ही इसमें शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व, मिनरल्स, एंटीआक्सीडैंट्स और विटामिन्स प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। अखरोट का तेल कई रूपों में काम में लिया जाता है। इसका  तेल खाना बनाने के अलावा दवाइयों और खुशबू के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

अखरोट में मोनोसैचुरेटिड फैट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड्स जैसे सिनोलिक एसिड, अल्फा फिनोलिक एसिड और एराकिडोनिक एसिड भी काफी मात्रा में मिलते हैं। अखरोट का नियमित सेवन खून में बुरे कोलेस्ट्रोल को कम कर अच्छे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है।हर दिन 25 ग्राम अखरोट के सेवन से 90 फीसदी ओमेगा-3 फैटी एसिड्स भी मिलते हैं।

दिल के लिए अच्‍छा

अखरोट का सेवन करने से दिल दुरूस्‍त रहता है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्‍सीडेंट होते हैं जो दिल को दुरूस्‍त बनाएं रखते हैं।

अच्‍छी नींद दिलाएं

जानकर आपको आश्‍चर्य तो हो ही रहा होगा, लेकिन यह बात सच है कि अखरोट के सेवन से शरीर को रिलैक्‍स मिल जाता है और अच्‍छी नींद आती है।

स्‍पर्म के लिए

जो पुरूष पिता बनने की इच्‍छा रखते हैं उनके लिए अखरोट काफी लाभकारी होता है। इसके सेवन से स्‍पर्म काउंट बढ़ता है।

पेट के कैंसर में

अखरोट का सेवन, पेट के कैंसर की जटिलताओं में लाभकारी होता है। इसके सेवन से होने वाली पीड़ा में कमी आती है और कमजोरी भी नहीं आती है।

स्‍तनों के लिए

अगर आपको अपने स्‍तनों को सुडौल और स्‍वस्‍थ बनाएं रखना है तो अखरोट का दैनिक रूप से सेवन करें। इससे आपको काफी लाभ मिलेगा।


डायबटीज

अगर आप मधुमेह से ग्रसित है तो अखरोट का सेवन लाभकारी होता है। नियमित रूप से सेवन करने से आप मधुमेह से बच भी सकते हैं । अखरोट से डायबटीज 2 में आराम मिलता है।

टी.बी. (यक्ष्मा) के रोग में

3 अखरोट और 5 कली लहसुन पीसकर 1 चम्मच गाय के घी में भूनकर सेवन कराने से यक्ष्मा में लाभ होता है।

स्तन में दूध की वृद्धि के लिए

गेहूं की सूजी एक ग्राम, अखरोट के पत्ते 10 ग्राम को एक साथ पीसकर दोनों को मिलाकर गाय के घी में पूरी बनाकर सात दिन तक खाने से स्त्रियों के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।

हैजा

हैजे में जब शरीर में बाइटें चलने लगती हैं या सर्दी में शरीर ऐंठता हो तो अखरोट के तेल से मालिश करनी चाहिए।


दर्द व सूजन में

किसी भी कारण या चोट के कारण हुए सूजन पर अखरोट के पेड़ की छाल पीसकर लेप करने से सूजन कम होती है।
घाव (जख्म)

इसकी छाल के काढे़ से घावों को धोने से लाभ होता है।

जोड़ों के (गठिया) रोग में

    सुबह खाली पेट 5 ग्राम अखरोट की गिरी और 5 ग्राम पिसी हुई सोंठ को 1 चम्मच एरंड के तेल में पीसकर गुनगुने पानी से लें। इससे रोगी के घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।
    दर्द को दूर करने के लिए अखरोट का तेल जोड़ों पर लगाने से रोगी को लाभ मिलता है।


गुल्यवायु हिस्टीरिया

अखरोट और किसमिस को खाने और ऊपर से गर्म गाय का दूध पीने से लाभ मिलता है।

हृदय की दुर्बलता होने पर

अखरोट खाने से दिल स्वस्थ बना रहता है। रोज एक अखरोट खाने से हृदय के विकार 50 प्रतिशत तक कम हो जाते हैं। इससे हृदय की धमनियों को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक कॉलेस्ट्राल की मात्रा नियंत्रित रहती है। अखरोट के असर से शरीर में वसा को पचाने वाला तंत्र कुछ इस कदर काम करता है। कि हानिकारक कॉलेस्ट्राल की मात्रा कम हो जाती है। हालांकि रक्त में वासा की कुल मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं होता। अखरोट में कैलोरी की अधिकता होने के बावजूद इसके सेवन से वजन नहीं बढ़ता और ऊर्जा स्तर बढ़ता है।

खांसी (कास)

    अखरोट गिरी को भूनकर चबाने से लाभ होता है।
    छिलके सहित अखरोट को आग में डालकर राख बना लें। इस राख की एक ग्राम मात्रा को पांच ग्राम शहद के साथ चटाने से लाभ होता है।


हाथ-पैरों की ऐंठन

हाथ-पैरों पर अखरोट के तेल की मालिश करने से हाथ-पैरों की ऐंठन दूर हो जाती है।
विसर्प-फुंसियों का दल बनना

अगर फुंसिया बहुत ज्यादा निकलती हो तो पूरे साल रोजाना सुबह 4 अखरोट खाने से बहुत लाभ होता है।
कंठमाला के रोग में

अखरोट के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से और कंठमाला की गांठों को उसी काढ़े से धोने से आराम मिलता है।

कब्ज

अखरोट के छिलकों को उबालकर पीने से दस्त में राहत मिलती है।



वात रक्त दोष

वातरक्त (त्वचा का फटना) के रोगी को अखरोट की मींगी (बीज) खिलाने से आराम आता है।
होठों का फटना

अखरोट की मिंगी (बीज) को लगातार खाने से होठ या त्वचा के फटने की शिकायत दूर हो जाती है।

सफेद दाग होने पर

रोजाना अखरोट खाने से श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) का रोग नहीं होता है और स्मरण शक्ति (याददाश्त) भी तेज हो जाती है।
शरीर में सूजन

अखरोट के पेड़ की छाल को पीसकर सूजन वाले भाग पर लेप की तरह से लगाने से शरीर के उस भाग की सूजन दूर हो जाती है।

याददाश्त कमजोर होना

ऐसा कहा जाता है कि हमारे शरीर का कोई अंग जिस आकार का होता है, उसी आकार का फल खाने से उस अंग को मजबूती मिलती है। अखरोट की बनावट हमारे दिमाग की तरह होती है इसलिए अखरोट खाने से दिमाग की शक्ति बढ़ती है। याददाश्त मजबूत होती है।

नाड़ी की जलन

अखरोट की छाल को पीसकर लेप करने से नाड़ी की सूजन, जलन व दर्द मिटता है।

हैजे में जब शरीर में बाइटें चलने लगती हैं या सर्दी में शरीर ऐंठता हो तो अखरोट के तेल से मालिश करनी चाहिए।

विरेचन (पेट साफ करना)

अखरोट के तेल को 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में 250 मिलीलीटर दूध के साथ सुबह देने से मल मुलायम होकर बाहर निकल जाता है।

अर्श (बवासीर) होने पर

    वादी बवासीर में अखरोट के तेल की पिचकारी को गुदा में लगाने से सूजन कम होकर पीड़ा मिट जाती है।
    अखरोट के छिलके की राख 2 से 3 ग्राम को किसी दस्तावर औषधि के साथ सुबह, दोपहर तथा शाम को खिलाने से खूनी बवासीर में खून का आना बंद हो जाता है।”

आर्त्तव जनन (मासिक-धर्म को लाना)

    मासिक-धर्म की रुकावट में अखरोट के छिलके का काढ़ा 40 से 60 मिलीलीटर की मात्रा में लेकर 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार पिलाने से लाभ होता है।
    इसके फल के 10 से 20 ग्राम छिलकों को एक किलो पानी में पकायें, जब यह पानी आठवां हिस्सा शेष बचे तो इसे सुबह-शाम पिलाने से दस्त साफ हो जाता है।”

प्रमेह (वीर्य विकार)

अखरोट की गिरी 50 ग्राम, छुहारे 40 ग्राम और बिनौले की मींगी 10 ग्राम एक साथ कूटकर थोड़े से घी में भूनकर बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर रखें, इसमें से 25 ग्राम प्रतिदिन सेवन करने से प्रमेह में लाभ होता है। ध्यान रहे कि इसके सेवन के समय दूध न पीयें।

वात रोग

अखरोट की 10 से 20 ग्राम की ताजी गिरी को पीसकर दर्द वाले स्थान पर लेप करें, ईंट को गर्मकर उस पर जल छिड़ककर कपड़ा लपेटकर उस स्थान पर सेंक देने से शीघ्र पीड़ा मिट जाती है। गठिया पर इसकी गिरी को नियमपूर्वक सेवन करने से रक्त शुद्धि होकर लाभ होता है।

शोथ (सूजन)

    अखरोट का 10 से 40 मिलीलीटर तेल 250 मिलीलीटर गौमूत्र (गाय के पेशाब) में मिलाकर पिलाने से सभी प्रकार की सूजन में लाभ होता है।
    वात-जन्य सूजन में इसकी 10 से 20 ग्राम अखरोट की गिरी को कांजी में पीसकर लेप करने से लाभ होता है।

बूढ़ों के शरीर की कमजोरी

10 ग्राम अखरोट की गिरी को 10 ग्राम मुनक्का के साथ रोजाना सुबह खिलाना चाहिए।

दाद

सुबह-सुबह बिना मंजन कुल्ला किए बिना 5 से 10 ग्राम अखरोट की गिरी को मुंह में चबाकर लेप करने से कुछ ही दिनों में दाद मिट जाती है।

नासूर

अखरोट की 10 ग्राम गिरी को महीन पीसकर मोम या मीठे तेल के साथ गलाकर लेप करें।

नारू (गंदा पानी पीने से होने वाला रोग)

    अखरोट की खाल को जल के साथ महीन पीसकर आग पर गर्म कर नहरुआ की सूजन पर लेप करने से तथा उस पर पट्टी बांधकर खूब सेंक देने से नारू 10-15 दिन में गलकर बह जाता है।
    अखरोट की छाल को पानी में पीसकर गर्मकर नारू के घाव पर लगावें।

दस्त के लिए

    अखरोट को पीसकर पानी के साथ मिलाकर नाभि पर लेप करने से पेट में मरोड़ और दस्त का होना बंद हो जाता है।
    अखरोट के छिलकों को पानी के साथ पीसकर पेट की नाभि पर लगाने से पेट में होने वाली मरोड़ के साथ आने वाले दस्त तुरंत बंद हो जाते हैं।

खूनी बवासीर (अर्श)

अखरोट के छिलके का भस्म (राख) बनाकर उसमें 36 ग्राम गुरुच मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से खूनी बवासीर (रक्तार्श) नष्ट होता है।

पेट में कीड़े होने पर

अखरोट को गर्म दूध के साथ सेवन करने से बच्चों के पेट में मौजूद कीड़े मर जाते हैं तथा पेट के दर्द में आराम देता है।

कमजोरी

अखरोट की मींगी पौष्टिक होती है। इसके सेवन से कमजोरी मिट जाती है।

दांतों के लिए

अखरोट की छाल को मुंह में रखकर चबाने से दांत स्वच्छ होते हैं। अखरोट के छिलकों की भस्म से मंजन करने से दांत मजबूत होते हैं।

लकवा (पक्षाघात-फालिस-फेसियल, परालिसिस)

रोजाना सुबह अखरोट का तेल नाक के छिद्रों में डालने से लकवा ठीक हो जाता है।

नष्टार्तव (बंद मासिक धर्म)

अखरोट का छिलका, मूली के बीज, गाजर के बीज, वायविडंग, अमलतास, केलवार का गूदा सभी को 6-6 ग्राम की मात्रा में लेकर लगभग 2 लीटर पानी में पकायें फिर इसमें 250 ग्राम की मात्रा में गुड़ मिला दें, जब यह 500 मिलीलीटर की मात्रा में रह जाए तो इसे उतारकर छान लेते हैं। इसे सुबह-शाम लगभग 50 ग्राम की मात्रा में मासिक स्राव होने के 1 हफ्ते पहले पिलाने से बंद हुआ मासिक-धर्म खुल जाता है।

दर्द व सूजन में

किसी भी कारण या चोट के कारण हुए सूजन पर अखरोट के पेड़ की छाल पीसकर लेप करने से सूजन कम होती है।
घाव (जख्म)

इसकी छाल के काढे़ से घावों को धोने से लाभ होता है।

जोड़ों के (गठिया) रोग में

    सुबह खाली पेट 5 ग्राम अखरोट की गिरी और 5 ग्राम पिसी हुई सोंठ को 1 चम्मच एरंड के तेल में पीसकर गुनगुने पानी से लें। इससे रोगी के घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।
    दर्द को दूर करने के लिए अखरोट का तेल जोड़ों पर लगाने से रोगी को लाभ मिलता है।


गुल्यवायु हिस्टीरिया

अखरोट और किसमिस को खाने और ऊपर से गर्म गाय का दूध पीने से लाभ मिलता है।

हृदय की दुर्बलता होने पर

अखरोट खाने से दिल स्वस्थ बना रहता है। रोज एक अखरोट खाने से हृदय के विकार 50 प्रतिशत तक कम हो जाते हैं। इससे हृदय की धमनियों को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक कॉलेस्ट्राल की मात्रा नियंत्रित रहती है। अखरोट के असर से शरीर में वसा को पचाने वाला तंत्र कुछ इस कदर काम करता है। कि हानिकारक कॉलेस्ट्राल की मात्रा कम हो जाती है। हालांकि रक्त में वासा की कुल मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं होता। अखरोट में कैलोरी की अधिकता होने के बावजूद इसके सेवन से वजन नहीं बढ़ता और ऊर्जा स्तर बढ़ता है।

खांसी (कास)

    अखरोट गिरी को भूनकर चबाने से लाभ होता है।
    छिलके सहित अखरोट को आग में डालकर राख बना लें। इस राख की एक ग्राम मात्रा को पांच ग्राम शहद के साथ चटाने से लाभ होता है।


हाथ-पैरों की ऐंठन

हाथ-पैरों पर अखरोट के तेल की मालिश करने से हाथ-पैरों की ऐंठन दूर हो जाती है।

विसर्प-फुंसियों का दल बनना

अगर फुंसिया बहुत ज्यादा निकलती हो तो पूरे साल रोजाना सुबह 4 अखरोट खाने से बहुत लाभ होता है।

कंठमाला के रोग में

अखरोट के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से और कंठमाला की गांठों को उसी काढ़े से धोने से आराम मिलता है।

कब्ज

अखरोट के छिलकों को उबालकर पीने से दस्त में राहत मिलती है।

अखरोट के अचूक फायदे

वात रक्त दोष

वातरक्त (त्वचा का फटना) के रोगी को अखरोट की मींगी (बीज) खिलाने से आराम आता है।

होठों का फटना

अखरोट की मिंगी (बीज) को लगातार खाने से होठ या त्वचा के फटने की शिकायत दूर हो जाती है।
सफेद दाग होने पर

रोजाना अखरोट खाने से श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) का रोग नहीं होता है और स्मरण शक्ति (याददाश्त) भी तेज हो जाती है।

शरीर में सूजन

अखरोट के पेड़ की छाल को पीसकर सूजन वाले भाग पर लेप की तरह से लगाने से शरीर के उस भाग की सूजन
दूर हो जाती है।

याददाश्त कमजोर होना

ऐसा कहा जाता है कि हमारे शरीर का कोई अंग जिस आकार का होता है, उसी आकार का फल खाने से उस अंग को मजबूती मिलती है। अखरोट की बनावट हमारे दिमाग की तरह होती है इसलिए अखरोट खाने से दिमाग की शक्ति बढ़ती है। याददाश्त मजबूत होती है।

नाड़ी की जलन

अखरोट की छाल को पीसकर लेप करने से नाड़ी की सूजन, जलन व दर्द मिटता है।

गर्भवती महिलाओं को खाना चाहिए अखरोट (Pregnant women should eat walnuts)

गर्भवास्था के समय महिलाओं का स‍ही खानपान बच्चे के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है और इसलिए मां की सेहत को दुरुस्त रखने के लिए उन्हें पौष्टिक और स्वास्थवर्धक भोजन दिया जाता है. फ्रूट, जूस, हरी सब्जियों के साथ ही फाइबर और प्रोटीन की संतुलित मात्रा मां और बच्चे दोनों को स्वस्थ रखने में सहायक होती है.

बच्चे के दिमाग के विकास के लिए गर्भवती महिलाओं को ड्राई फ्रूट्स खाने की सलाह दी जाती है और इसमें भी अखरोट खाना बहुत ही फायदेमंद होता है. अखरोट किस तरह मां और बच्चे के लिए है लाभकारी आइए जानें:


  •  अखरोट में फैटी एसिड होता है जो बच्चे को फूड एलर्जी के जोखिम से बचाता है. इसे खाने से बच्चे की ग्रोथ के लिए आवश्यवक तत्व भी मिलते हैं.
  •  अखरोट ऊर्जा का बेहतर स्रोत है. साथ ही इसमें शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व, मिनरल्स, एंटीआक्सीडेंट्स, ओमेगा-3, फैटी एसिड और विटामिन्स प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं जो मां और बच्चे के लिए बहुत लाभकारी होते हैं.
  •  अखरोट में पोटेशियम, सेलेनियम, कैल्शियम, मैंगनीज, कॉपर, आयरन, मैग्नीशियम और जिंक जैसे मिनरल्स पाए जाते हैं जो बच्चे के दिमाग के विकास में मदद करते हैं. गर्भावस्था के दौरान अखरोट खाने से कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और हाई बीपी को कंट्रोल करने में मदद मिलती है.
  •  अखरोट में मौजूद कॉपर भ्रूण के सामान्य विकास के लिए आवश्यक है। अखरोट में मौजूद फैटी एसिड (अल्फा-लिनोलेनिक एसिड) बच्चे के दांतों और हड्डियों के विकास में मदद करता है.
  •  अखरोट में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ई, पॉलीफिनॉल और कॉपर मां की इम्युनिटी बढ़ाते हैं.
  •  अखरोट गर्भावस्था के दौरान शरीर के आंतरिक सूजन को कम करके ब्लड सर्क्यूलेशन को बढ़ता है. इससे बच्चे तक ज्यादा खून पहुंचता है.
  •  वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है जिससे मां डायबिटीज के खतरे से भी बची रहती है.
  • अखरोट खाने से गर्भवती महिलाओं में मेलाटोनिन नाम का हार्मोन बनता है जिससे उन्हें अच्छी नींद आती है.

Monday 22 August 2016

प्रकृति के संकेत खाद्य पदार्थ (Indication of the nature of foods)

1. अखरोट की रचना सिर की तरह होती है तथा उसके अंदर भरा हुआ गूदा मस्तिष्क की तरह होता है। यही गूदा पर्याप्त मात्रा में नियमित सेवन करने से सिर संबंधी समस्याओं पर कंट्रोल होता है तथा मस्तिष्क की कार्य क्षमता एवं क्रिया प्रणाली में पॉजीटिव प्रभाव नजर आने लगता है।
2. पिस्ता आँख की भाँति दिखाई देता है। पिस्ते के अंदर का खाया जाने वाला हरे रंग का हिस्सा आँख के लिए परम लाभदायक होता है, इसलिए नेत्रों के लिए परम लाभदायक होता है। नेत्र लाभ के लिए कुछ मात्रा में पिस्ते का सेवन हमें करना चाहिए या यूँ कहें कि नेत्र रोगों के इलाज में पिस्ता आपकी सहायता कर सकता है।
3. जिन्होंने किडनी को देखा है या जो उसके आकार से परिचित हैं, वे यह कह सकते हैं कि काजू, सोयाबीन तथा किडनी बीन जैसे कुछ मेवे तथा फली वाले अनाज वगैरह किडनी को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं।
4. किशमिश या अंगूर की रचना पित्ताशय (गाल ब्लैडर) से बहुत कुछ 'मैच' करती है, इसीलिए पित्ताशय को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए किशमिश या अंगूर का सेवन लाभदायक हो सकता है।
5. बादाम का आकार जहाँ एक ओर नेत्रों की तरह होता है, वहीं दूसरी ओर उसकी समानता मस्तिष्क से भी की जा सकती है। बादाम का नियमित सेवन नेत्र तथा मस्तिष्क दोनों ही के लिए परम प्रभावी होता है।
6. अनार के दानों का रंग रक्त के समान होने से अनारदानों का रस रक्त शोधक (खून की सफाई करने वाला) एवं रक्तर्द्धक (खून बढ़ाने वाला) होता है।
7. सेवफल का आकार और रंग भी बहुत कुछ हृदय के समान होता है, इसलिए सेवफल का नियमित सेवन हृदय के लिए विशेष लाभदायक होता है।
8. नारंगी की फाँकें किडनी और आँत से मेल खाती हैं, इसीलिए इसका नियमित सेवन किडनी तथा आँत के लिए फायदेमंद है।
9. गिलकी या घिया और तोरई आँत के एक भाग की तरह दिखाई देती है, इसलिए आँत की क्रिया प्रणाली को व्यवस्थित करने में इसका जवाब नहीं इनमें 'रफेज' की मात्रा भी बहुत है।
10. लम्बी-पतली ककड़ी तो मानो आँत ही हो। इसका सेवन कब्ज दूर करता है और आँत क्रिया प्रणाली को नियमित करता है। ऐसे अनेक प्राकृतिक संकेत या संदेश वनस्पतिज पदार्थों में छिपे हुए हैं, जिनको समझकर स्वास्थ्य लाभ उठाया जा सकता है।
1. The composition of walnuts is like the head and inside his brain is like mush filled. Regular users of the pulp sufficient head control, as well as to problems in brain functioning and mechanism of action seems to be a positive influence.

2. Like eye appears pistachios. Ate pistachios inside part of the eye to the ultimate benefit of green, so the eyes are the ultimate beneficial. Eye to profit in some measure we should take pistachios or pistachio narrowly in the treatment of eye diseases that can help you.

3. Kidney who have seen or are aware of its size, they can say that cashew nuts, soybeans and some nuts and legumes such as kidney beans and so the grain can be helpful in maintaining healthy kidney.

4. The composition of raisins or grapes gall bladder (gall bladder), very few 'match' is, therefore, to keep fit gallbladder consumed raisins or grapes can be profitable.

5. almond shaped eyes is like one hand, and on the other by the similarity of the brain can be. Regular intake of almonds for both eye and brain is the ultimate effect.

6. The color of pomegranate seeds from the same blood Anardanon juice blood purifier (to clean the blood) and Rktrddhk (which increases blood) occurs.

7. Sevfl size and color much more like heart, so regular consumption of Sevfl particular is beneficial for the heart.

8. Orange Slices match kidneys and intestine, kidney and intestine so it is beneficial to be regular.

9. Gilki or Luffa Ghia and appears like a part of the intestine, the intestine, the answer is not to organize the mechanism of these "roughage" is also very content.

10. Long-thin cucumber intestine as it will. The intake system to relieve constipation and regulates bowel action. Vnsptij natural signal or message hidden in many foods that can be taken advantage of those health conscious.

Wednesday 17 August 2016

कलौंजी लगाएं, सर पर लहलहाते बाल वापस पाएं

महिलाएं ही क्या पुरुष भी आम तौर पर अपने बालों को लेकर काफी चिंतित रहते हैं, आज की आधुनिक शैली और आधुनिक प्रोडक्ट्स ने हमारे शरीर को फायदा पहुंचाने के बजाय नुक्सान ही पहुंचाया है. बहुत कम लोग जानते हैं कि हमारे आसपास ऐसी बहुत सारी चीजें हैं, जिन्हें सही तरीके से खाकर सुन्दर त्वचा, बालों से लेकर अच्छी सेहत का फायदा उठाया जा सकता है.

इन्हीं में शामिल है कलौंजी जिसमें बहुत सारे मिनरल्स और न्यूट्रिएंट्स होते हैं. आयरन, सोडियम, कैल्शियम, पोटैशियम और फाइबर से भरपूर कलौंजी कई प्रकार के रोगों का घर बैठे इलाज है. लगभग 15 एमीनो एसिड वाला कलौंजी शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन की कमी भी पूरी करता है.

कलौंजी के लाभ में से सबसे बड़ा लाभ बालों को होता है. अनहेल्दी लाइफस्टाइल, स्ट्रेस जैसी कई समस्याओं से महिला हो या पुरुष, दोनों के ही साथ बालों के गिरने की समस्या आम हो चुकी है. इसके लिए तमाम तरह के ट्रीटमेंट कराने पर भी फायदा नहीं होता. लेकिन घर में मौजूद कलौंजी इस समस्या के निपटारे में बहुत ही कारगर उपाय है. सिर पर 20 मिनट तक नींबू के रस से मसाज करें और फिर अच्छे से धो लें. इसके बाद कलौंजी का तेल बालों में लगाकर उसे अच्छे से सूखने दें. लगातार 15 दिनों तक इसका इस्तेमाल बालों के गिरने की समस्या को दूर करता है.



कलौंजी ऑयल, ऑलिव ऑयल और मेहंदी पाउडर को मिलाकर हल्का गर्म करें. ठंडा होने दें और हफ्ते में एक बार इसका इस्तेमाल करें. इससे गंजेपन की समस्या भी दूर होती है.

कलौंजी की राख को तेल में मिलाकर गंजे अपने सर पर मालिश करें कुछ दिनों में नए बाल पैदा होने लगेंगे. इस प्रयोग में धैर्य महत्वपूर्ण है.

कलौंजी के अन्य लाभ


  • डायबिटीज से बचाता है, पिंपल की समस्या दूर, मेमोरी पावर बढ़ाता है, सिरदर्द करे दूर, अस्थमा का इलाज, जोड़ों के दर्द में आराम, आंखों की रोशनी, कैंसर से बचाव, ब्लड प्रेशर करे कंट्रोल.



  • कलौंजी एक बेहद उपयोगी मसाला है. इसका प्रयोग विभिन्न व्यंजनों जैसे दालों, सब्जियों, नान, ब्रेड, केक और आचार आदि में किया जाता है.
  • कलौंजी की सब्जी भी बनाई जाती है.
  • कलौंजी में एंटी-आक्सीडेंट भी मौजूद होता है जो कैंसर जैसी बीमारी से बचाता है.
  • कलौंजी का तेल कफ को नष्ट करने वाला और रक्तवाहिनी नाड़ियों को साफ़ करने वाला होता है. इसके अलावा यह खून में मौजूद दूषित व
  • अनावश्यक द्रव्य को भी दूर रखता है. कलौंजी का तेल सुबह ख़ाली पेट और रात को सोते समय लेने से बहुत से रोग समाप्त होते हैं. गर्भावस्था के समय स्त्री को कलौंजी के तेल का उपयोग नहीं कराना चाहिए इससे गर्भपात होने की सम्भावना रहती है.


कलौंजी का तेल बनाने के लिए 50 ग्राम कलौंजी पीसकर ढाई किलो पानी में उबालें. उबलते-उबलते जब यह केवल एक किलो पानी रह जाए तो इसे
ठंडा होने दें. कलौंजी को पानी में गर्म करने पर इसका तेल निकलकर पानी के ऊपर तैरने लगता है. इस तेल पर हाथ फेरकर तब तक कटोरी में पोछें जब तक पानी के ऊपर तैरता हुआ तेल खत्म न हो जाए. फिर इस तेल को छानकर शीशी में भर लें और इसका प्रयोग औषधि के रूप में करें.

आयुर्वेद कहता है कि इसके बीजों की ताकत सात साल तक नष्ट नहीं होती. दमा, खांसी, एलर्जीः एक कप गर्म पानी में एक चम्मच शहद तथा आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह निराहार (भोजन से पूर्व) पी लेना चाहिए, फिर रात में भोजन के बाद उसी प्रकार आधा चम्मच कलौंजी और एक चम्मच शहद गर्म पानी में मिलाकर इस मिश्रण का सेवन कर लेना चाहिए. इस प्रकार 40 दिनों तक प्रतिदिन दो बार पिया जाए. सर्दी के ठंडे पदार्थ वर्जित हैं.

मधुमेहः एक कप काली चाय में आधा चाय का चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह नाश्ते से पहले पी लेना चाहिए. फिर रात को भोजन के पश्चात सोने से पहले एक कप चाय में एक चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर पी लेना चाहिए. चिकनाई वाले पदार्थों के उपयोग से बचें. इस इलाज के साथ अंगे्रजी दवा का उपयोग होता है तो उसे जारी रखें और बीस दिनों के पश्चात शर्करा की जांच करा लें. यदि शक्कर नार्मल हो गई हो तो अंग्रेजी दवा बंद कर दें, किंतु कलौंजी का सेवन करते रहें.

हृदय रोगः एक कप दूध में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर प्रतिदिन दो बार प्रयोग करें. इस तरह दस दिनों तक उपचार चलता रहे. चिकनाई वाले पदार्थों का सेवन न करें.

नेत्र रोगों की चिकित्साः नेत्रों की लाली, मोतियाबिंद, आंखों से पानी का जाना, आंखों की तकलीफ और आंखों की नसों का कमजोर होना आदि में एक कप गाजर के जूस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार सुबह (निराहार) और रात में सोते समय लेना चाहिए. इस प्रकार 40 दिनों तक इलाज जारी रखें. नेत्रों को धूप की गर्मी से बचाएं.

अपच या पेट दर्द में आप कलौंजी का काढा बनाइये फिर उसमे काला नमक मिलाकर सुबह शाम पीजिये. दो दिन में ही आराम देखिये.
कैंसर के उपचार में कलौजी के तेल की आधी बड़ी चम्मच को एक ग्लास अंगूर के रस में मिलाकर दिन में तीन बार लें.

हृदय रोग, ब्लड प्रेशर और हृदय की धमनियों का अवरोध के लिए जब भी कोई गर्म पेय लें, उसमें एक छोटी चम्मच तेल मिला कर लें.

सफेद दाग और लेप्रोसीः 15 दिन तक रोज पहले सेब का सिरका मलें, फिर कलौंजी का तेल मलें.


  • एक चाय की प्याली में एक बड़ी चम्मच कलौंजी का तेल डाल कर लेने से मन शांत हो जाता है और तनाव के सारे लक्षण ठीक हो जाते हैं.
  • कलौंजी के तेल को हल्का गर्म करके जहां दर्द हो वहां मालिश करें और एक बड़ी चम्मच तेल दिन में तीन बार लें. 15 दिन में बहुत आराम मिलेगा.
  • एक बड़ी चम्मच कलौंजी के तेल को एक बड़ी चम्मच शहद के साथ रोज सुबह लें, आप तंदुरूस्त रहेंगे और कभी बीमार नहीं होंगे; स्वस्थ और निरोग रहेंगे .
  • याददाश्त बढाने के लिए और मानसिक चेतना के लिए एक छोटी चम्मच कलौंजी का तेल 100 ग्राम उबले हुए पुदीने के साथ सेवन करें.
  • पथरी हो तो कलौंजी को पीस कर पानी में मिलाइए फिर उसमे शहद मिलाकर पीजिये, १०-११ दिन प्रयोग करके टेस्ट करा लीजिये.कम न हुई हो तो फिर १०-११ दिन पीजिये.
  • अगर गर्भवती के पेट में बच्चा मर गया है तो उसे कलौंजी उबाल कर पिला दीजिये, बच्चा निकल जायेगा.और गर्भाशय भी साफ़ हो जाएगा.
  • किसी को बार-बार हिचकी आ रही हो तो कलौंजी के चुटकी भर पावडर को ज़रा से शहद में मिलकर चटा दीजिये.
  • अगर किसी को पागल कुत्ते ने काट लिया हो तो आधा चम्मच से थोडा कम करीब तीन ग्राम कलौंजी को पानी में पीस कर पिला दीजिये, एक दिन
  • में एक ही बार ३-४ दिन करे.
  • जुकाम परेशान कर रहा हो तो इसके बीजों को गरम कीजिए ,मलमल के कपडे में बांधिए और सूंघते रहिये.
  • दो दिन में ही जुकाम और सर दर्द दोनों गायब . कलौंजी की राख को पानी से निगलने से बवासीर में बहुत लाभ होता है.
  • कलौंजी का उपयोग चर्म रोग की दवा बनाने में भी होता है. कलौंजी को पीस कर सिरके में मिलकर पेस्ट बनाए और मस्सों पर लगा लीजिये. मस्से कट जायेंगे. मुंहासे दूर करने के लिए कलौंजी और सिरके का पेस्ट रात में मुंह पर लगा कर सो जाएँ.

  • जब सर्दी के मौसम में सर दर्द सताए तो कलौंजी और जीरे की चटनी पीसिये और मस्तक पर लेप कर लीजिये.
  • घर में कुछ ज्यादा ही कीड़े-मकोड़े निकल रहे हों तो कलौंजी के बीजों का धुँआ कर दीजिये.



  • गैस/पेट फूलने की समस्या –50 ग्राम जीरा, 25 ग्राम अजवायन, 15 ग्राम कलौंजी अलग-अलग भून कर पीस लें और उन्हें एक साथ मिला दें. अब 1 से 2 चम्मच मीठा सोडा, 1 चम्मच सेंधा नमक तथा 2 ग्राम हींग शुद्ध घी में पका कर पीस लें. सबका मिश्रण तैयार कर लें. गुनगुने पानी की सहायता से 1 या आधा चम्मच खाएं.
  • महिलाओं को अपने यूट्रस (बच्चेदानी) को सेहतमंद बनाने के लिए डिलीवरी के बाद कलौंजी का काढा ४ दिनों तक जरूर पी लेना चाहिए. काढ़ा बनाने के लिए दस ग्राम कलौंजी के दाने एक गिलास पानी में भिगायें, फिर २४ घंटे बाद उसे धीमी आंच पर उबाल कर आधा कर लीजिये. फिर उसको ठंडा करके पी जाइये, साथ ही नाश्ते में पचीस ग्राम मक्खन जरूर खा लीजियेगा. जितने दिन ये काढ़ा पीना है उतने दिन मक्खन जरूर खाना है.


आपको अगर बार बार बुखार आ रहा है अर्थात दवा खाने से उतर जा रहा है फिर चढ़ जा रहा है तो कलौंजी को पीस कर चूर्ण बना लीजिये फिर उसमे गुड मिला कर सामान्य लड्डू के आकार के लड्डू बना लीजिये. रोज एक लड्डू खाना है ५ दिनों तक , बुखार तो पहले दिन के बाद
दुबारा चढ़ने का नाम नहीं लेगा पर आप ५ दिन तक लड्डू खाते रहिएगा, यही काम मलेरिया बुखार में भी कर सकते हैं.


  • ऊनी कपड़ों को रखते समय उसमें कुछ दाने कलौंजी के डाल दीजिये,कीड़े नहीं लगेंगे.


भैषज्य रत्नावली कहती है कि अगर कलौंजी को जैतून के तेल के साथ सुबह सवेरे खाएं तो रंग एकदम लाल सुर्ख हो जाता है. चेहरे को सुन्दर व आकर्षक बनाने के लिए कलौंजी के तेल में थोड़ा सा जैतून का तेल मिलाकर चेहरे पर लगाएं और थोड़ी देर बाद चेहरा धो लें. इससे चेहरे के दाग़-धब्बे दूर होते हैं.

नोट : यूं तो ये सारे उपाय आयुर्वेद की किताब से लिए गए हैं और नुक्सान होने की आशंका नगण्य है फिर भी कोई भी उपचार अपनाने से पहले घर के बुजुर्गों की सलाह अवश्य लें, क्योंकि हर शरीर की तासीर अलग होती है, जिससे शरीर कोई विपरीत प्रतिक्रया भी दे सकता है.

Tuesday 16 August 2016

दोबारा से बालों को उगाए, बालों को झड़ने से रोके, सफ़ेद बालों को काला करे प्याज़ का रस..!!

खुबसूरत बाल हर कोई चाहता है लेकिन व्यस्त दिनचर्या के चलते बालों का ख्याल रखना नामुकिन होता जा रहा है. घर पर बालों को धोना ही कई महिलाओं को अखरता है जिसके लिए वह महंगे पार्लर में जा कर हेयर स्पा आदि लेती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं बालों की समस्याओं के लिए आपके घर में एक रामबाण इलाज मौजूद है!

बालों का झड़ना, असमय सफेदी, रूसी की समस्या तो आम हो गई है. बालों की इन उलझनों के लिए प्याज एक वरदान है! जी हाँ, प्याज आपके बालों को झड़ने, रुसी, सफेदी और गंजे होते सिर की समस्याओं को दूर करती है |

प्याज  वैसे  तो भारत में बहुत आम वरतों में होने  वाला पदार्थ है | प्याज में सल्फर (Sulfur) नामक मिनरल भरपूर मात्र में होता है , जो के बालों के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है | एक आम सा प्याज आपके बालों के बढ़ने की रफ़्तार को दोगुना तक बढ़ा सकता है |

जानते है कैसे काम आता है प्याज , हमारे बालों को घना और लम्बा करने में –

इस  प्रक्रिया में हम आपको बतायेंगे के केसे एक लाल रंग का प्याज भूरे रंग के बालों का उगना और बालों का झडना रोक सकता है | हमारे बालों का विकास  हमारे जींस (Genes) पर निर्भर करता है , लेकिन कई कारणों की वजेह से हमारे बालों का विकास रुक जाता है या कम हो जाता है | यह  विधि आप के लिए लाभदायक तो होगी ही बल्कि आगे चल कर आपके बचों को भी लाभ देगी |

विधि :–

बालों को झड़ने से रोकने के लिए बालों पर प्याज़ के प्रयोग का सबसे बेहतरीन तरीका प्याज का रस के रूप में प्रयोग करना है। प्याज के रस के फायदे, 3-5 प्याज छीलें और उन्हें अच्छे से पीस लें। इस पेस्ट को अपने हाथों से निचोड़कर इसका रस निकाल लें। अब इस रस को अपने सिर पर तथा बालों पर लगाएं। अब इस रस को सिर पर आधे घंटे तक रहने दें एवं एक हलके शैम्पू का प्रयोग करके इसे धो दें। हफ्ते में 3 बार इस पद्दति का इस्तेमाल करने से मनचाहे परिणामों की प्राप्ति होगी। तुरंत अच्छे परिणाम पाने की आशा ना करें क्योंकि प्राकृतिक उपचारों में काफी समय लगता है।

दोबारा से बालों को उगाए प्याज का रस और शहद का उपचार (Onions and honey hair regrowth treatment)

एक कटोरी में 2 चम्मच शहद लें और इसमें एक चौथाई कप प्याज का रस डालें। इन दोनों को अच्छे से मिलाएं एवं सिर पर मसाज करते हुए धीरे धीरे लगाएं। बेहतरीन परिणामों के लिए इस प्रक्रिया का प्रयोग हफ्ते में 3 बार करें।

प्‍याज, ऑलिव ऑयल, नारियल तेल पैक-

इस पैक को बनाने के लिये कुछ प्‍याज ले कर पीस लीजिये और उसका रस निकाल लीजिये। उसमें चम्‍मच ऑलिव ऑयल और नारियल तेल मिलाइये। इस मिश्रण को बालों में लगाइये, जड़ों में इस तेल को न लगाएं। इसे 2 घंटे तक लगा रहने के बाद शैंपू से धो लें। इस पैक को आप रोज लगा सकते  हैं।

प्‍याज, बियर और नारियल तेल-
बियर और नारियल तेल के साथ प्‍याज के गूदे को मिलाइये और बालों में लगा लीजिये। इस मिश्रण को 1 घंटे तक बालों में रखना है इसके बाद शैंपू कर लेना है। इससे बलों में शाइन आएगी और वह घने दिखेगें।

Friday 5 August 2016

उत्तेजना लाने और स्तम्भन शक्ति बढ़ाने के लिए...

आज कल की जीवन शैली, खान पान, अत्यधिक मैथुन और दवाओ के सेवन से कमज़ोर हो चुकी यौन शक्ति में उत्तेजना और स्तम्भन शक्ति बढ़ाने के लिए ये उपचार बहुत सहायक और आसान हैं। आइये जाने।


* एक लौंग को चबाकर उसकी लार को लिंग के पिछले भाग पर लगाने से संभोग करने की शक्ति तेज हो जाती है।

* बकरी के घी को लिंग पर लगाने से लिंग मजबूत होता है और उसमें उत्तेजना आती है।

* धतूरा, कपूर, शहद और पारे को बराबर मात्रा में मिलाकर इसके लेप को लिंग के आगे के भाग (सुपारी) को छोड़कर बाकी भाग पर लेप करने से संभोग शक्ति तेज हो जाती है।

* हरी हींग को शुद्ध शहद में मिलाकर लिंग पर लेप करने से शीघ्रपतन का रोग जल्दी दूर हो जाता है। लिंग पर इस मलहम अर्थात लेप को लगाने के बाद शीघ्रपतन से ग्रस्त रोगी अपनी मर्जी से स्त्री के साथ संभोग करने का समय बढ़ा सकता है।

* 10 ग्राम दालचीनी का तेल और 30 ग्राम जैतून के तेल को एक साथ मिलाकर लिंग पर लेप करते रहने से शीघ्रपतन की शिकायत दूर हो जाती है, संभोग करने की शक्ति बढ़ती है। इस क्रिया के दौरान लिंग को ठंडे पानी से बचाना चाहिए।

* काले धतूरे की पत्तियों के रस को टखनों पर लगाकर सूखने के बाद संभोग करने से संभोग क्रिया पूरी तरह से और संतुष्टि के साथ संपन्न होती है।


वीर्य को जल्दी गिरने से रोकने के 5 रामबाण घरेलु उपाय, जरूर अपनाए...

वीर्य का जल्दी गिरना आजकल एक आम समस्या बन गई है। जिसकी मुख्य वजह हैं युवाओं में टेंशन का अधिक लेना, गलत साहित्य पढ़ना, गंदी फिल्में देखना व सही तरह का खान-पान न करना आदि है। यदि आप भी इस तरह की समस्या से परेशान हैं तो आप आयुर्वेद में दिए गए कुछ उपायों को अपने घर पर ही बनाकर इस परेशानी से ठीक हो सकते हों। शीध्रपतन जैसी समस्याओं से बचने के लिए वैदिक वाटिका आपको बता रही है आसान नुस्खे।

वीर्य को जल्दी गिरने से रोकने के उपाय : 

बबूल का पंचाग :

बबूल के पत्ते, छाल, फल, गोंद और फूल को बराबर मात्रा में लेकर अच्छे से सुखा लें और फिर इसे पीस लें। अब कपड़े से छानकर इसे किसी शीशी में भरकर रख दें।

सेवन की विधि :

बबूल के बने इस चूर्ण का सेवन सुबह और शाम को पानी के साथ एक-एक चम्मच लें। यह उपाय दो माह तक करें। इस उपाय से वीर्य का जल्दी गिरना बंद हो जाता है।

मुलहठी :

अश्वगंधा 100 ग्राम, मुलहठी 50 ग्राम और शतावर 200 ग्राम। इन सभी को मिलाएं और पीसकर चूर्ण बना लें। और साफ कपड़े से छानकर कांच की शीशी में भर लें।

सेवन की विधि :

मुलहठी से बने इस चूर्ण को रोज सुबह-शाम आधा चम्म्च मीठे दूध के साथ सेवन करना चाहिए। यह उपाय शीध्रपतन को ठीक करता है।


अश्वगंधा :

50 ग्राम अष्वगंधा, 50 ग्राम नागकेसर और अजवायन को मिला लें और इसे पीस लें। अब इसे किसी साफ कपड़े से छानकर कांच की बोतल में रख लें।

सेवन का तरीका :
इस चूर्ण को हल्के गर्म दूध में आधी चम्मच मिलाकर सुबह के समय में सेवन करें। इस उपाय को रोज करने से वीर्य जल्दी से नहीं झड़ता है।




अजवायन सेवन :

आधा चम्मच पिसी हुई अजवायन और एक चम्मच पिसी हुई बारीक मिश्री को मिलाकर सुबह- शाम गुनगुने दूध के साथ सेवन करें। यह नुस्खा भी वीर्य को जल्दी गिरने की समस्या को ठीक करता है।








पिसी हुई धनिया :

100 ग्राम पिसी हुई धनिया और 100 ग्राम पिसी हुई मिश्री को बराबर मात्रा में मिला लें और इस चूर्ण को किसी कांच की बोतल या शीशी में भर लें।

सेवन का तरीका :
यह चूर्ण सुबह के समय खाली पेट एक चम्मच मठ्ठे के साथ सेवन करें। और रात में भी एक चम्मव छाछ के साथ लें। इस अचूक उपाय से वीर्य जल्दी से नहीं गिरता है।

इन चीजों से करें परहेज : 

जब भी आप इन उपायों को करें तो कुछ चीजों का सेवन आपको बंद करना है। यह हैं तेज मिर्च मसाले का सेवन करना, शराब पीना, गर्म मसाले और अधिक चटपटे खाने आदि से