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Thursday, 8 October 2015

शीघ्र वीर्य स्खलन से छुटकारा दिलाती है इमली! (Tamarind early ejaculation helps to relive!)

इमली का खट्टा-मीठा स्वाद किसी के भी मुंह में देखते ही पानी ला देता है। इसीलिए इमली का उपयोग खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। मगर बहुत कम लोग जानते हैं कि इमली सिर्फ टेस्टी ही नहीं है यह स्वाद के साथ सेहत से भी भरी है। जी हां सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन यह सच है इमली कई तरह के औषधीय गुणों से भरपूर है।
चलिए आज जानते है इमली से जुड़े कुछ ऐसे ही लाजवाब हर्बल नुस्खों के बारे में.....

 (1) वीर्य – पुष्टिकर योग : इमली के बीज दूध में कुछ देर पकाकर और उसका छिलका उतारकर सफ़ेद गिरी को बारीक पीस ले और घी में भून लें, इसके बाद सामान मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें | इसे प्रातः एवं शाम को ५-५ ग्राम दूध के साथ सेवन करने से वीर्य पुष्ट हो जाता है | बल और स्तम्भन शक्ति बढ़ती है तथा स्व-प्रमेह नष्ट हो जाता है |

(२) शीघ्रपतन : लगभग ५०० ग्राम इमली ४ दिन के लिए जल में भिगों दे | उसके बाद इमली के छिलके उतारकरछाया में सुखाकर पीस ले | फिर ५०० ग्राम के लगभग मिश्री मिलाकर एक चौथाई चाय की चम्मच चूर्ण (मिश्री और इमली मिला हुआ) दूध के साथ प्रतिदिन दो बार लगभग ५० दिनों तक लेने से लाभ होगा |

(३) बहुमूत्र या महिलाओं का सोमरोग : इमली का गूदा ५ ग्राम रात को थोड़े जल में भिगो दे, दूसरेदिन प्रातः उसके छिलके निकालकर दूध के साथ पीसकरऔर छानकर रोगी को पिला दे | इससे स्त्री और पुरुषदोनों को लाभ होता है | मूत्र- धारण की शक्ति क्षीण हो गयी हो या मूत्र अधिक बनता हो या मूत्रविकार के कारण शरीर क्षीण होकर हड्डियाँ निकल आयी हो तो इसके प्रयोग से लाभ होगा |

(४) अण्डकोशों में जल भरना : लगभग ३० ग्राम इमली की ताजा पत्तियाँ को गौमूत्र में औटाये | एकबार मूत्र जल जाने पर पुनः गौमूत्र डालकर पकायें | इसके बाद गरम – गरम पत्तियों को निकालकर किसी अन्डी या बड़े पत्ते पर रखकर सुहाता- सुहाता अंडकोष पर बाँध कपड़े की पट्टी और ऊपर से लगोंट कास दे | सारा पानी निकल जायेगा और अंडकोष पूर्ववत मुलायम हो जायेगें |

इमली में कई तरह के औषधीय गुण मौजूद है। इमली शीघ्र वीय स्खलन से छुटकारा दिलाने के अलावा गर्मी लू लगने से भी बचाती है। इसके अलावा गले कीसूजन, चर्म रोग, खूनी बवासीर जैसी बीमारियों के लिए भी रामबाण है इमली