Thursday 23 April 2020

आयुर्वेद के अनुसार गर्म तासीर वाले हैं ये 7 आहार, गर्मियों में इनका ज्यादा सेवन हो सकता है नुकसानदायक

आयुर्वेद में मौसम के अनुसार चीजों को खाने-पीने की सलाह दी जाती है। जैसे इस समय भारत में गर्मी ने दस्तक दे दी है, तो अगर आप गर्म आहारों का सेवन ज्यादा करेंगे, तो आपको कई तरह की परेशानियां शुरू हो सकती हैं। आयुर्वेद में ऐसे कई आहार बताए गए हैं, जिनकी तासीर गर्म होती है। इनमें बहुत सारे आहार तो ऐसे हैं, जिन्हें आप हेल्दी मानते हैं और रोजाना खाने में इस्तेमाल करते हैं। इन आहारों को खाना गलत नहीं है, मगर इनकी मात्रा सर्दियों की अपेक्षा कम रखनी चाहिए। हम आपको बता रहे हैं ऐसे ही गर्म तासीर वाले 7 आहार।


गुड़:

गुड़ को बहुत हेल्दी माना जाता है। अगर आपको मीठा खाना पसंद है, तो चीजों को चीनी के बजाय गुड़ से बनाइए। चीनी और गुड़ दोनों ही गन्ने के रस से बनाए जाते हैं। मगर चीनी बनाने में इसकी प्रॉसेसिंग और रिफाइनिंग की जाती है, जिसके कारण ये शरीर के लिए बिल्कुल भी हेल्दी नहीं होती है। वहीं गुड़ अपने प्राकृतिक स्वरूप के ज्यादा निकट रहता है इसलिए अच्छा है। लेकिन गुड़ की तासीर गर्म होती है, इसलिए गर्मी के मौसम में बहुत अधिक गुड़ नहीं खाना चाहिए। इससे नकसीर फूटने (नाक से खून निकलने) का खतरा रहता है।

लाल मिर्च:

लाल मिर्च के बिना मसालों को अधूरा माना जाता है। मगर लाल मिर्च काफी गर्म होती है। खासकर मोमोज की चटनी और रेस्टोरेंट्स में मिलने वाले दूसरे आहारों में लाल मिर्च का खूब प्रयोग किया जाता है, जिसके कारण गर्मियों में इनका सेवन नुकसानदायक हो सकता है। अगर आपको तीखा पसंद है तो आप लाल सूखी मिर्च की जगह हरी ताजी मिर्च का प्रयोग करें।

अदरक:

अदरक में वैसे तो एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जिसके कारण ये इम्यूनिटी बढ़ाने और वायरस से बचाने में मददगार है। मगर गर्मी के मौसम में अगर आप ज्यादा अदरक का प्रयोग करेंगे, तो इससे आपको सीने में जलन और त्वचा पर एलर्जी की समस्या हो सकती है। अदरक की तासीर भी गर्म होती है, इसलिए गर्मियों में इसका सेवन करें, लेकिन कम करें।

लहसुन:

कुछ लोग खाने में लहसुन न डालें तो स्वाद अधूरा लगता है। खासकर नॉनवेज बनाने वाले लोग खूब मात्रा में अदरक, लहसुन और लाल मिर्च डालते हैं। मगर लहसुन की तासीर भी गर्म होती है। अगर आप गर्मियों में ज्यादा लहसुन खाएंगे तो इससे आपको पेट की समस्याएं और दूसरी कई समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि गर्मियों में लहसुन का प्रयोग पूरी तरह बंद नहीं करना चाहिए। आप इसे थोड़ी मात्रा में खाएं।

बाजरा:

बाजरा भी गर्म होता है इसलिए इसका सेवन सर्दियों में तो सही है, मगर गर्मियों में इसे कम से कम खाएं या न खाएं। गर्मियों में बाजरे का ज्यादा सेवन करने से आपके शरीर में वात-पित्त-कफ का संतुलन बिगड़ सकता है और आपको कई तरह की शारीरिक परेशानियां हो सकती हैं।

बादाम:

बादाम वैसे तो बहुत हेल्दी होता है और सुबह-सुबह खाने से बड़े फायदे मिलते हैं। मगर गर्मियों में बादाम का ज्यादा सेवन आपके शरीर में गर्मी पैदा कर सकता है, जिससे आपको त्वचा पर दाने, चकत्ते और पेट की समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि आप गर्मियों में भी रात में पानी में भिगोकर रखे गए 6-7 बादाम सुबह छीलकर खा सकते हैं। लेकिन अगर आपको इसके दुष्प्रभाव दिखें, तो इसकी संख्या कम कर दें।

गरम मसाले:

गरम मसाले खाने का स्वाद भी बढ़ाते हैं और शरीर की इम्यूनिटी भी बढ़ाते हैं। मगर इन्हें गरम मसाले इन्हीं लिए कहा जाता है क्योंकि इन सबकी तासीर गर्म होती है। अगर आप गर्मियों में गरम मसालों जैसे- दालचीनी, कालीमिर्च, जायफल, लौंग, चक्रफूल आदि का सेवन ज्यादा करेंगे, तो आपको नुकसान हो सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि आप इनका पाउडर बना लें और आधा या 1 चम्मच जरूरत से अनुसार डिशेज में डालें।

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घर पर बनाएं इम्यूनिटी बढ़ाने वाला आयुर्वेदिक च्यवनप्राश, जानें 30 मिनट में बनाने की आसान रेसिपी और फायदे

च्यवनप्राश खाने से इम्यूनिटी यानी रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने भी अपनी गाइडलाइन में ये निर्देश दिए हैं कि इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए रोजाना सुबह 10 ग्राम यानी 1 चम्मच च्यवनप्राश खाना चाहिए। डायबिटीज के मरीजों को शुगर-फ्री च्यवनप्राश खाने की हिदायत दी गई है। च्यवनप्राश दरअसल कई तरह के आयुर्वेदिक औषधियों और हर्ब्स से बनाया गया एक स्वादिष्ट पेस्ट होता है। तो क्या जरूरी है कि आप बाजार से ही च्यवनप्राश खरीदें? जी नहीं, ऐसा बिल्कुल भी जरूरी नहीं है। दरअसल च्यवनप्राश को घर पर ही बनाना इतना आसान है कि आप इसे 30 मिनट में बना सकते हैं। घर पर अपने हाथ से बनाया हुआ च्यवनप्राश ज्यादा हेल्दी और पौष्टिक होता है क्योंकि एक तो ये बिल्कुल ताजा होता है और दूसरा कि इसमें आप खुद ही अच्छी क्वालिटी के मसाले और इंग्रीडिएंट्स चुनकर डालते हैं। आइए आपको बताते हैं घर पर च्यवनप्राश बनाने की आसान रेसिपी।


च्यवनप्राश बनाने के लिए आवश्यक सामग्री (Chyawanprash Ingredients)

  • आंवला- आधा किलो
  • किशमिश- एक मुट्ठी
  • खजूर (बिना बीज वाला)- 10 पीस (अगर उपलब्ध हो)
  • देसी घी- 100 ग्राम
  • गुड़- 400 ग्राम
  • तेजपत्ता- 2 पत्तियां
  • दालचीनी- 1 छोटा टुकड़ा
  • सूखी अदरक (सौंठ)- 10 ग्राम
  • जायफल- 5 ग्राम
  • हरी इलायची (छोटी)- 7-8 पीस
  • लौंग- 5 ग्राम
  • काली मिर्च- 5 ग्राम
  • केसर- एक चुटकी
  • जीरा- 1 चम्मच
  • पिप्पली- 10 ग्राम (अगर आसानी से मिल जाए)
  • चक्रफूल- 1 पीस


घर पर च्यवनप्राश बनाने की आसान रेसिपी (Chyawanprash Recipe)

  • सबसे पहले सभी सूखे मसालों (तेजपत्ता, दालचीनी, सौंठ, जायफल, हरी इलायची, लौंग, कालीमिर्य जीरा, पिप्पली, चक्रफूल आदि) को पीसकर इसका पाउडर बना लें।
  • अब आंवलों को धोकर अच्छी तरह साफ कर लीजिए और इन्हें कुकर (2 सीटी) या पैन में उबाल लीजिए।
  • अब आंवला को उबले हुए पानी से निकालकर अलग रख लीजिए और इसी बचे हुए गर्म पानी में किशमिश और खजूर को डाल दीजिए और 10 मिनट के लिए ढक दीजिए ताकि ये मुलायम हो जाएं।
  • अब जब आंवले ठंडे हो जाएं, तो इन्हें काटकर इसके बीज निकालकर लीजिए।
  • अब ब्लेंडर या मिक्सर जार में आंवला, किशमिश और खजूर को डालिए और थोड़ा सा वही पानी डाल दीजिए, जिसमें आपने खजूर और किशमिश को भिगोया था।
  • इन्हें पीसकर अच्छा स्मूद सा पेस्ट बना लीजिए। (ध्यान दें ज्यादा पानी न मिलाएं)
  • अब एक पैन में देसी घी को डालें और मीडियम आंच पर इसे 10 मिनट तक पकाएं।
  • इसके बाद इसी घी में गुड़ डाल दीजिए और गुड़ को पिघलाकर चाशनी जैसा बनने तक पकाएं। (लगभग 5-6 मिनट)
  • इस गुड़ में आंवला और खजूर का पेस्ट डालें और चलाएं।
  • धीमी आंच पर इस पेस्ट को चलाते रहें और पकाते रहें।
  • 3-4 मिनट बाद तैयार किए गए मसालों का पाउडर डालें और अच्छी तरह धीमी आंच पर ही चलाते हुए मिलाएं।
  • जब पकते-पकते ये पेस्ट इतना गाढ़ा हो जाए कि चम्मच से चिपकने लगे और पैन या कड़ाही की सतह छोड़ने लगे, तो आप गैस बंद कर दें।
  • इसे ठंडा होने दें और आपका च्यवनप्राश बनकर तैयार है।
  • अगर सभी सामग्रियां उपलब्ध हैं, तो आपको इसे बनाने में 30 मिनट से ज्यादा नहीं लगेंगे।
  • इसे किसी एयर टाइट जार में भरकर रख दीजिए और रोजाना सेवन कीजिए।


कैसे करना है सेवन? (Chyawanprash Doses)

च्यवनप्राश को आप रोजाना सुबह 1 चम्मच 1ग्लास दूध के साथ या सादा ही ले सकते हैं।

क्यों फायदेमंद है च्यवनप्राश? (Ayurvedic Chyawanprash Benefits)

इस च्यवनप्राश में आंवला, किशमिश और खजूर हैं, जो विटामिन सी और नैचुरल शुगर का बहुत अच्छा स्रोत माने जाते हैं। विटामिन सी आपके शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाता है और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाता है। इसके अलावा इसमें मौजूद आयुर्वेदिक मसाले और हर्ब्स आपके शरीर को तमाम तरह के रोगों से बचाते हैं। इस च्यवनप्राश को बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हर उम्र के लोग खा सकते हैं। ये सेहत के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा।
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लोध्र त्वचा की देखभाल के साथ ही आपके दांतों को भी रखता है स्वस्थ, जानें इसके अनेक फायदे और नुकसान

लोध्र के बारे में बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि ये क्या है, वहीं कुछ ऐसे भी लोग होंगे जिन्होंने इसका नाम पहले कभी नहीं सुना होगा। लोध्रा एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। लोध्र के पेड़ सदाबहार की तरह होते हैं, इसकी पत्तियां करीब 3 से 4 इंच लंबी होती है। ये एक तरह से गोलाकार या अंडाकार आकार के होते हैं और इसको छूने पर आपको ये बहुत ही मखमली सा अनुभव देगा। लोध्र के पेड़ उत्तर और पूर्वी भारत के पहाड़ों पर पाए जाते हैं। लोध्र दस्त और खून बहने जैसी समस्याओं के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। लोध्र के फूल आमतौर पर नवंबर के महीने में होते हैं और फरवरी के महीने तक रहते हैं। लोध्र के फल बैंगनी रंग के काले होते हैं और करीब 1.5 इंच लंबे, चमड़े के होते हैं और इनमें 1 से 3 बीज होते हैं। इसका इस्तेमाल कई आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है, लेकिन इसके ज्यादा इस्तेमाल करने पर कुछ नुकसान भी होते हैं। आज हम आपको इस लेख के जरिए बताते हैं कि लोध्र के फायदे क्या होते हैं और इसके नुकसान क्या होते हैं। 

लोध्र के फायदे

त्वचा के लिए लोध्र है फायदेमंद

अगर आप अपनी त्वचा को हमेशा स्वस्थ और सुंदर बनाएं रहना चाहते हैं तो इसके लिए आपके पास एक बेहतर विकल्प है, आप लोध्र का इस्तेमाल कर अपनी त्वचा की देखभाल कर सकते है। त्वचा की समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए लोध्र, करंजा, इन्द्राव, जति और धातकी का पेस्ट त्वचा रोग में काफी फायदा पहुंचाता है। इसके साथ ही आप लोध्र का इस्तेमाल हर्बल फेस पैक के रूप में भी कर सकते हैं। 
 

ब्लीडिंग डिसऑर्डर में है कारगर

कई बार खून ज्यादा बहने के कारण लोग हमेशा परेशान रहते हैं, आप लोध्र का इस्तेमाल कर खून के बहने को रोक सकते हैं। ब्लीडिंग डिसऑर्डर के इलाज के लिए लोध्र काफी कारगर माना जाता है। खून को बहने से रोकने के लिए लोध्रा का काढ़ा बनाकर मरीज को दिया जाना चाहिए। इससे कुछ ही देर में ब्लीडिंग डिसऑर्डर की समस्या पर निजाप पा सकते हैं। 

दांतों को रखता है स्वस्थ

दांतों को लंबे समय तक स्वस्थ रखने के लिए लोध्र की छाल का इस्तेमाल किया जातै है, लोध्र की छाल का काढ़ा बनाकर उससे दांत और मुंह स्वस्थ रहते हैं। इसके साथ ही आपके मसूड़े से खून आने की समस्या और ढीलापन खत्म आसानी से खत्म हो सकता है। लोध्र के पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने पर आपके दांतों में मजबूती आती है।
 

आंखों के इलाज में है मददगार

आंखों को हमेशा स्वस्थ रखने के लिए अक्सर लोग तरह-तरह के नुस्खे अपनाते हैं, लेकिन किसी नुस्खे से फायदा होता है और किसी से नहीं। लेकिन अगर आप आंखों के लिए लोध्रा का इस्तेमाल करते हैं तो इससे आपकी आंखें स्वस्थ रह सकती हैं। आंखों में आई सूजन में लोध्र का लेप फायदेमंद हो सकता है। इसके साथ ही आंखों में दर्द और पानी निकलने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
 

मुंहासों की समस्या को करता है दूर

मुंहासों की समस्या को लेकर अगर आप भी परेशान हैं तो आप लोध्र का सहारा ले सकते हैं। लोध्रा का इस्तेमाल करने से आप अपने चेहरे से मुंहासों को दूर कर सकते हैं। इसके लिए आप लोध्र की छाल, बच और धनिया पाउडर को एक समान मात्रा में मिलाकर इसका पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को आप अपने चेहरे पर लगा सकते हैं, कुछ ही दिनों में आपको अपने चेहरे से मुंहासे गायब होते नजर आएंगे। 

लोध्र के नुकसान
लोध्र का ज्यादा सेवन पुरुषों के लिए समस्या पैदा कर सकता है। 
लोध्र एक प्रकार से हार्मोन्स पर काम करने वाली औषधि मानी जाती है, इसलिए इसका सेवन किसी की सलाह के बाद ही करना चाहिए। 
लोध्र टेस्टोंस्टेरोन का स्तर घटाती है इसलिए इसे खाली पेट नहीं लेना चाहिए। 

बार-बार होने वाली एसिडिटी से हैं परेशान? तो इन 4 तरीकों का इस्तेमाल कर इस समस्या से पाएं छुटकारा


अपने पसंद का खाना खाना हर किसी को अच्छा लगता है, लेकिन उम्र के साथ ही कई चीजों का त्याग करना हमारी मजबूरी हो जाती है। इसमें से सबसे ज्यादा लोगों को दिक्कत आती है जब उन्हें पेट से संबंधित परेशानियां होने लगती है। कई लोगों के साथ ऐसी समस्या आती है कि जब वो कुछ खाते हैं तो न तो वो सही तरीके से पच पाता है और एसिडिटी की समस्या भी पैदा होने लगती है। अक्सर लोग एसिडिटी की समस्या से काफी परेशान रहते हैं जिसकी वजह से कुछ भी खाने-पीने से कतराते हैं। यही वजह है कि लोग घरेलू नुस्खे भी अपनाते हैं और कोशिश करते हैं कि किसी तरह उनकी पेट की समस्या ठीक हो जाए। लेकिन अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है, हम आपको इस लेख के जरिए आयुर्वेद से एसिडिटी से छुटकारा पाने के तरीके बता रहे हैं। 


एसिडिटी दूर करने के उपाय


सौंफ:

एसिडिटी एक ऐसी समस्या है जिससे अधिकतर लोग परेशान रहते हैं, जिसकी वजह से अपने खानपान में कई तरह के बदलाव करते हैं। लेकिन आप एसिडिटी से छुटकारा पाने के लिए सौैंफ का इस्तेमाल कर सकते हैं। सौंफ आपकी सेहत के लिए कई तरीकों में फायदेमंद होता है। मुंह को ताजा रखने के साथ-साथ सौंफ एसिडिटी से भी आपको राहत दिलाने का काम करती है। एसिडिटी से छुटकारा पाने के लिए आप सौंफ को ऐसे ही चबाएं या फिर इसकी चाय बनाकर पिएं, यह दोनों तरीकों से आपको काफी आराम देती है। 

ठंडा दूध पिएं:

स्वास्थ्य संबंधित कई ऐसे मामलों में दूध हमारे लिए मददगार होता है, कैल्शियम से भरपूर दूध एसिडिटी के दर्द को शांत कर देता है। लेकिन आपको एसिडिटी को दूर करने के लिए सिर्फ ठंडे दूध का सेवन करना चाहिए। आपको पेट में जब भी दर्द या जलन महसूस हो तो आप उस समय एक ग्लास ठंडा दूध पी लें, इससे आपको कुछ ही देर में राहत महसूस होगी। आपको बता दें कि जो लोग पाचन संबंधित परेशानी के कारण दूध भी नहीं पीते उनके लिए भी ठंडा दूध काफी अच्छा होता है। 

अदरक: 

अदरक हमारी सेहत की देखभाल करने का बहुत बेहतर उपाय है, ये हमे कई बीमारियों से दूर कर हमे सवस्थ रखने में हमारी मदद करता है। इसी तरह ये एसिडिटी की समस्या को भी दूर करने में कामयाब है। जब भी आपको एसिडिटी महसूस हो मुंह में थोड़ा अदरक चबाएं या फिर अदरक वाला गर्म पानी लें,  इसमें पेट की एसिडिटी में आराम पहुंचाने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व मौजूद होते हैं। इसका सेवन करने के बाद आपको पेट दर्द और पेट में बन रही एसिडीटी से राहत मिलेगी। 

आंवला:

पेट की गैस से हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए विटामिन सी सबसे बेहतर होता है, ये आपकी पाचन क्रिया को मजबूत करने के साथ ही आपकी एसिडिटी को खत्म करने का काम करता है। विटामिन-सी से भरपूर आंवला पेट के दर्द, गैस, ब्लोटिंग, एसिडिटी में राहत देता है। आप इसके रोजाना सेवन कर सकते हैं, पेट ही नहीं बल्कि ये आपको कई रोगों से दूर रखने में आपकी मदद करता है। इसके साथ ही ये आपको खूबसूरत बाल और स्किन में भी फायदा देता है।   
अन्य उपाय:
  • विटामिन बी और ई युक्त सब्जियों का अधिक सेवन करें।
  • व्यायाम और शारीरिक गतिविधियाँ करते रहें।
  • खाना खाने के बाद किसी भी तरह के पेय का सेवन ना करें।
  • बादाम का सेवन आपके सीने की जलन कम करने में मदद करता है।
  • खीरा, ककड़ी और तरबूज  का अधिक सेवन करें।
  • पानी में नींबू मिलाकर पियें, इससे भी सीने की जलन कम होती है।
  • नियमित रूप से पुदीने के रस का सेवन करें।
  • तुलसी के पत्ते एसिडिटी और मतली से काफी हद तक राहत दिलाते हैं।
  • नारियल पानी का सेवन अधिक करें।
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क्या आपको भी इन दिनों होने लगी है कब्ज की समस्या? जानें क्या है क्वारंटाइन कब्ज और इसे ठीक करने का उपाय

घर में रहे-रहे अगर आपको भी हो चुकी है कब्ज की समस्या तो जानें क्या है इसका कारण और उपचार।
कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन को लगभग 1 महीने होने वाले हैं। इस बीच जितनी संख्या में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, उससे कहीं ज्यादा तेजी से कब्ज के रोगी बढ़े हैं। कब्ज पेट से जुड़ी एक आम समस्या है, जिसमें व्यक्ति को मलत्याग के समय काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
लॉकडाउन के बाद से हम सभी की जीवनशैली में काफी बदलाव आया है। आजकल ज्यादातर लोग पेटभर के खाना तो खा रहे हैं, मगर न तो एक्सरसाइज कर रहे हैं और न ही चल-फिर रहे हैं। ऐसे में बैठे-बैठे या लेटे-लेटे पेट की समस्याएं होना स्वाभाविक है। कब्ज इन दिनों की आम समस्या बन गई है। डॉक्टर्स ने इस कब्ज को 'क्वारंटाइन कॉन्स्टिपेशन' नाम दिया है। आइए आपको बताते हैं इससे कैसे छुटकारा पा सकते हैं आप।

क्यों हो रही है आजकल कब्ज की समस्या?

दरअसल हमार शरीर एक खास सिस्टम के अनुसार काम करता है। ये सिस्टम आपकी सामान्य दिनचर्या के हिसाब से आपका शरीर खुद डेवलप करता है। यही सिस्टम आपके शरीर के लिए घड़ी की तरह भी काम करता है। इसीलिए इसे बॉडी क्लॉक या सर्केडियन रिद्म भी कहते हैं। अगर आपकी दिनचर्या बिगड़ती है, आप फिजिकल एक्टिविटी कम करते हैं या खानपान में बड़ा बदलाव करते हैं, तो इसका असर आपके शरीर के पूरे सिस्टम को प्रभावित करता है। इसमें आपका डाइजेस्टिव सिस्टम यानी पाचनतंत्र भी शामिल है। यही कारण है कि विपरीत परिस्थितियों में आपको पेट की समस्याएं शुरू हो जाती हैं।

कैसे पाएं क्वारंटाइन कब्ज से छुटकारा:

अगर आप लॉकडाउन के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखेंगे, तो आपको कब्ज की समस्या नहीं होगी।

घर में रहें थोड़ा एक्टिवेट:

दिनभर लेटे या बैठे न रहें, बल्कि थोड़ा एक्टिवेट रहें। अगर आपका घर छोटा है, तो कमरे में ही थोड़ा चहल-कदमी करें। इस दौरान योगासन करना बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। योगासनों के लिए बहुत अधिक स्थान की भी जरूरत नहीं होती है। इसके अलावा आप घर के छोटे-बड़े काम जैसे- झाड़ू, पोंछा, बर्तन धोना, खाना बनाना, बच्चों के साथ खेलना आदि भी अच्छी एक्टिविटीज हैं, जिससे आपको फायदा मिल सकता है। इसके अलावा फिल्मी गानों पर डांस करना भी बहुत अच्छी और मनोरंजक एक्टिविटी है।

खाने में फाइबर वाली चीजें शामिल करें:

अगर आपने लॉकडाउन के दौरान प्रॉसेस्ड चीजें खाना शुरू कर दिया है, तो आपको कब्ज की समस्या होने की संभावना है। खासकर मैदे से बनी चीजें इस समय काफी ज्यादा नुकसानदायक साबित हो सकती हैं। प्रॉसेस्ड फूड्स की जगह आपको अपने खाने में ज्यादा से ज्यादा फाइबर यानी रेशे वाले आहार शामिल करने चाहिए। कच्चे फल, सब्जियों, सलाद, अनाज, दाल आदि में फाइबर अच्छी मात्रा में होता है। इसलिए इस समय बेहतर होगा कि आप घर का बना खाना ही खाएं।

पानी पीते रहें

कई बार कम पानी पीने के कारण भी कब्ज की समस्या शुरू हो जाती है। इसलिए दिनभर में कम से कम 8-10 ग्लास पानी जरूर पिएं। पानी के अलावा भी अपनी डाइट में तरल चीजें जैसे- छाछ, मट्ठा, जूस, दूध आदि को शामिल करें। इसके अलावा आप पानी से भरपूर फल जैसे- खीरा, तरबूज, खरबूजा आदि का सेवन भी कर सकते हैं।
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Weight Loss: वजन घटाने और बेहतर पाचन के लिए डाइट में शामिल करें फाइबर से भरपूर ये 5 स्‍नैक्‍स

वजन घटाने और बेहतर पाचन के लिए यहां 5 फाइबर से भरपूर स्‍नैक्‍स दिए गये हैं, जिन्‍हें आप अपनी वेट लॉस डाइट में शामिल कर सकते हैं। 


वजन घटाने की बात हो या बेहतर पाचन की, फाइबर दोनों के लिए अच्‍छा माना जाता है। इतना ही नहीं, फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल करने का एक नहीं कई कारण हैं। लेकिन अगर आप वेट लॉस जर्नी पर हैं, तो आपका फाइबर का सेवन करना जरूरी है। यह आपके वजन को घटाने में आपकी तदद करेगा। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को वजन घटाने के आहार में आदर्श माना जाता है। क्‍योंकि यह आपको भरा महसूस कराने और पाचन में सहायक होत हैं, जिससे कि आपके वजन घटाने को तेजी मिलती है। 
साबुत अनाज, ताजे फल और सब्जियां, नट्स, बीज, बीन्स और फलियां फाइबर में समृद्ध खाद्य पदार्थ हैं। इसलिए आसानी से फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ आपके खाने का मुख्य हिस्सा हो सकते हैं। आइए यहां हम कुछ फाइबर युक्त स्नैकिंग विकल्पों बता रहे हें, जिन्‍हें कि आप अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। 

वजन घटाने और बेहतर पाचन के लिए स्‍नैक्‍स


चिया सीड्स और अलसी के बीज: 

चिया सीड्स और फ्लैक्ससीड्स, यह दोनों फाइबर से भरपूर हैं। यह ओमेगा -3 फैटी एसिड का भी अच्छा स्रोत हैं, जो कि आपके वजन घटाने, पाचन और ब्‍लड प्रेशर को कंट्रोल में रखने के साथ कई फायदों से भरपूर हैं। आप इन दोनों को सलाद, अनाज, स्मूदी और पेनकेक्स में डालकर डाइट में शामिल कर सकते हें।

हुम्मूस:

हुम्मूस एक स्वादिष्ट डिप है, जिसे कि आप अपने दैनिक आहार में शामिल की सकते हैं। यह फाइबर से भरपूर है और आपके वजन घटाने और बेहतर पाचन के लिए भी अच्‍छा है। हुम्मूस छोले और जैतून के तेल के साथ बनाया जाता है। हुम्मूस में छोले इसे फाइबर का अच्छा स्रोत बनाते हैं। आप हुम्मूस को रोटी रोल, सैंडविच में मेयो की जगह उपयोग कर सकते हैं। 

भुने हुए काले चने :

भुने हुए काले चने स्‍वाद में भी और सेहत में भी अच्‍छे माने जाते हैं। यह आपके वजन घटाने के लिए एक लोकप्रिय स्नैक है। आप इन्‍हें काली मिर्च और हल्‍के नमक के साथ रोस्‍ट करके खाएं। यह आपको वजन घटाने, स्‍टैमिना बढ़ाने और अन्‍य कई फायदों से भरपूर है। 



पॉपकॉर्न:

पॉपकॉर्न फाइबर में हाई और कैलोरी में लो होते हैं। 100 ग्राम पॉपकॉर्न आपको 14.5 ग्राम फाइबर दे सकता है। इसलिए यह वेट लॉट की कोशिश करने वाले लोगों के लिए बेस्‍ट इवनिंग टाइम स्‍नैक है। आप इसे कम बटर, चीज़ और नमक के साथ रोस्‍ट करें। 

ओट्स:

ओट्स, फाइबर का एक अच्‍छा स्‍त्रोत है, जो कि आपके समग्र स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अच्‍छा है। ओट्स में एक विशिष्ट प्रकार का फाइबर होता है, जिसे बीटा-ग्लूकन के रूप में जाना जाता है। इस तरह के फाइबर खराब कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं। इसके अलावा, यह आपके वजन घटाने के लिए भी अच्‍छा है। एक कप ड्राई ओट्स में लगभग 7.5 ग्राम फाइबर होता है। आप नाश्ते में ओट्स को बनाकर उसके साथ कुछ मौसमी फलों को मिलाकर खाएं। 

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कैसे पहचानें इंजेक्शन लगाकर पकाए गए तरबूज को? जानें कितना खतरनाक है इंजेक्शन वाला तरबूज खानागर्मी में तरबूज से बेहतर कोई दूसरा फल नहीं। मगर केमिकल और इंजेक्शन से पकाया गया तरबूज खाकर आपकी किडनी, लिवर खराब हो सकती हैं और कैंसर का खतरा बढ़ता है

गर्मी में तरबूज से बेहतर कोई दूसरा फल नहीं। मगर केमिकल और इंजेक्शन से पकाया गया तरबूज खाकर आपकी किडनी, लिवर खराब हो सकती हैं और कैंसर का खतरा बढ़ता है
गर्मियों का सीजन आ गया है और इसी के साथ बाजार में आने लगा है गर्मी का सबसे हेल्दी माना जाने वाला फल तरबूज। तरबूज एक ऐसा फल है जिसका 92% हिस्सा पानी होता है और इसमें 6% शुगर होता है। फाइबर की मात्रा अच्छी होने के कारण तरबूज का सेवन गर्मियों में बहुत फायदेमंद माना जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि इस सीजन में बाजार में ऐसे तरबूजों की भी भरमार हो जाती है, जिन्हें इंजेक्शन लगाकर पकाया जाता है?

इंजेक्शन लगाकर पकाए गए तरबूज को पहचानना सामान्य लोगों के लिए आसान बात नहीं है। आमतौर पर तरबूज को लाल बनाने के लिए इसमें डाई का इंजेक्शन लगाया जाता है। वहीं कई बार इसे तेजी से पकाने के लिए इसमें ऑक्सिटोसिन का इंजेक्शन लगाया जाता है। ये केमिकलयुक्त इंजेक्शन जो तरबूज में लगाए जाते हैं, आपकी सेहत के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदायक हो सकते हैं। इंजेक्शन वाले तरबूज के कारण विपरीत परिस्थितियों में व्यक्ति सेहत गंभीर हो सकती है। आइए आपको बताते हैं कि इंजेक्शन वाला तरबूज आपके लिए कितना नुकसानदायक है और आप इसे कैसे पहचान सकते हैं।

कितना खतरनाक है इंजेक्शन लगाकर पकाया गया तरबूज?
तरबूज में इन केमिकल्स का किया जाता है इस्तेमाल- नाइट्रेट, आर्टिफिशियल डाई (लेड क्रोमेट, मेथनॉल यलो, सुडान रेड), कार्बाइड, ऑक्सिटोसिन

ये होते हैं नुकसान:
कई बार तरबूज को जल्दी बढ़ाने और पकाने के लिए नाइट्रोजन का सहारा लिया जाता है। ये नाइट्रोजन अगर आपके शरीर में जाएगा तो बहुत अधिक नुकसानदायक हो सकता है। नाइट्रोजन ऑक्साइड को विषैला तत्व माना जाता है।
तरबूज को अच्छा लाल रंग का दिखाने के लिए अक्सर लेड क्रोमेट, मेथनॉल यलो, सुडान रेड जैसी आर्टिफिशियिल डाई का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह के रंग के इस्तेमाल वाला तरबूज खाने से आपको फूड पॉयजनिंग हो सकती है।
बहुत सारे तरबूज को कार्बाइड द्वारा पकाया जाता है। ये कार्बाइड लिवर और किडनी के लिए इतना खतरनाक है कि कुछ स्थितियों में व्यक्ति की किडनी बहुत अधिक डैमेज हो जाती है।
तरबूज को लाल रंग देने के लिए इस्तेमाल होने वाला मेथनॉल यलो व्यक्ति को कैंसर का रोगी बना सकता है। इसके अलावा ये पुरुषों की सेक्स क्षमता को खराब करता है।
तरबूज में इस्तेमाल होने वाला लेड क्रोमेट के सेवन से व्यक्ति के शरीर में खून की कमी हो सकती है, मस्तिष्क की सेल्स डैमेज हो सकती हैं और वो अंधा भी हो सकता है।
सूडान रेड डाई वाला तरबूज खाने से व्यक्ति को पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और पेट खराब हो सकता है।

ऐसे पहचानें केमिकल युक्त इंजेक्शन या पाउडर से पकाया हुआ तरबूज

सफेद पाउडर की जांच करें

कई बार तरबूज की ऊपरी सतह पर आपको बहुत हल्का सा सफेद, पीला पाउडर दिखाई देगा। आपको ऐसा आभास होगा कि ये धूल हो सकती है। मगर ये पाउडर कार्बाइड हो सकता है, जिसके कारण फल तेजी से पकता है। ये कार्बाइड आम और केले को पकाने में भी किया जाता है। इसलिए तरबूज को काटने से पहले अच्छी तरह पानी से धो लेना चाहिए।

काटने के बाद तरबूज बहुत अधिक लाल और गला हुआ तो नहीं?

अक्सर इंजेक्शन वाले तरबूज बहुत अधिक लाल दिखाई देंगे। इसे काटने पर आपको सामान्य से ज्यादा लालपन और मीठापन लगेगा। इसके अलावा तरबूज के बीच के हिस्से में ऐसा दिखाई देगा जैसे केमिकल से जला दिया गया है। हो सकता है कि इसे एक नजर में देखने पर आपको ऐसा लगे कि तरबूज लाल और मीठा है, मगर सड़ने वाला है।

देखें कोई सुराख तो नहीं

कई बार इंजेक्शन वाले तरबूज में कोई छोटा सा सुराख होता है, जिसे अक्सर लोग किसी कीड़े-मकोड़े द्वारा किया गया सुराख मानकर ले आते हैं। मगर ये सुराख दरअसल इंजेक्शन का हो सकता है।

तरबूज के बीच में दरार या गड्ढा होना

अगर तरबूज को काटने के बाद आपको इसके बीच में दरारों जैसे छेद दिखाई देते हैं, तो ये भी इस बात का संकेत हो सकता है कि तरबूज को इंजेक्शन लगाकर पकाया गया है। प्राकृतिक रूप से पके फल में ऐसा गड्ढा या दरार होना सामान्य नहीं है।

स्वाद में हो बदलाव

अगर तरबूज खाते समय आपको इसके स्वाद में किसी दवा के जैसा टेस्ट आए या इसे खा लेने के बाद जीभ में चिकनापन लगे, तो इसे तुरंत फेंक दें। प्राकृतिक रूप से पके तरबूज में ऐसा स्वाद आना असंभव है।
कैसे बचें इंजेक्शन वाले या गलत तरीके से पकाए गए तरबूज से?
इंजेक्शन वाले तरबूज से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप ऊपर बताए गए संकेतों को पहचानें। इसके अलावा एक तरीका यह है कि तरबूज को बाजार से खरीदने के बाद कम से कम 2-3 दिन उसे ऐसे ही छोड़ दें। तरबूज कई सप्ताह तक खराब नहीं होते हैं, इसलिए इन्हें 2-4 दिन छोड़ने में कोई बुराई नहीं है। इन 2-4 दिनों में अगर तरबूज की सतह से आपको किसी तरह का झाग या चिकना सफेद पानी जैसा निकलता दिखने लगा है, तो इसका अर्थ है कि तरबूज में केमिकल का प्रयोग हुआ है और ये जहरीला है।
2-4 दिन छोड़ने के बाद भी अगर तरबूज सही रहता है, तो आप इसे काटकर ऊपर बताए गए संकेतों को जांच लें तभी तरबूज का सेवन करें। याद रखें तरबूज बहुत फायदेमंद है। मगर इसमें मौजूद केमिकल्स आपकी किडनी, लिवर और स्वास्थ्य को बुरी तरह खराब कर सकते हैं।

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Home Remedies For Acidity: बेवजह और बिना सलाह की दवाओं से नहीं, इन 5 घरेलू उपायों से बोलें एसिडिटी को बाय-बाय

क्‍या आप भी अक्‍सर एसिडिटी की समस्‍या से परेशान रहते हैं? अगर हां, तो यहां एसिडिटी के लिए कुछ घरेलू उपाय बताए गये हैं।
एसिडिटी एक ऐसी समस्‍या है, जिससे आप में से कई लोग परेशान हो सकते हैं। कुछ लोगों में कुछ तला-भुना खा लेने से एसिडिटी हो जाती है, जो कुछ किसी अन्‍य कारणों से। हालांकि एसिडिटी एक आम समस्‍या है, लेकिन इसमें पेट में गंभीर दर्द, जलन, पेट फूलने और हिचकी आने जैसे लक्षण हो सकते हैं। अक्‍सर आप क्‍या करते हैं, जब आपको एसिडिटी होती है? दवा लेते हैं, लेकिन आप इसके बजाय कुछ प्राकृतिक तरीकों से एसिडिटी से छुटकारा पा सकते हैं। यह प्राकृतिक तरीके आपकी रसोई में ही छिपे हैं, जो न केवल आपको एसिडिटी या हार्ट बर्न से राहत दिलाएंगे, बल्कि आपके पेट के स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा भी देंगे। आइए यहां जानते हैं एसिडिटी के कुछ घरेलू उपाय। 

केला:

जब कभी आपको एसिडिटी हो आप केला खाएं क्‍योंकि केले में हाई फाइबर होने की वजह से यह आंत और पेट के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। यह पाचन प्रक्रिया को बढ़ाता है और पेट में बलगम के उत्पादन को बढ़ाते हैं, जो एक्‍सट्रा एसिड गठन को रोकता है। यही नहीं केला खाने से आपको एसिडिटी से राहत पाने में भी मदद मिलती है। 



छाछ:

आपने अपने बुजुर्गों को छाछ के फायदे गिनवाते सुना होगा। सचमुच छाछ आपके शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है। यह गर्मियों में शरीर को हाइड्रेट रखने से लेकर लू या हीट स्‍ट्रोक और एसिडिटी से बचाने में मददगार है। छाछ में लैक्टिक एसिड होता है जो पेट में अम्लता को बेअसर करता है। लैक्टिक एसिड आपके पेट या सीने की जलन को कम करने और एसिडिटी में राहत दिलाने में मदद करता है। इसके अलावा इसमें प्रोबायोटिक गुण हैं, जिसकी वजह से यह पाचन को सुचारू रखने में भी मदद करता है। इसलिए आप एसिडिटी से बचने के लिए एक गिलास ठंडी छाछ पिएं।  

सौंफ:

सौंफ़ के बीज में एनेथोल नामक एक यौगिक होता है, जो पेट के लिए अचछा होता है। यह ब्‍लोटिंग और पेट की ऐंठन को दूर करता है। क्‍योंकि सौंफ में एंटी-अल्सर गुण भी होते हैं इसलिए यह पेट की समस्‍याओं जैसे कब्ज और एसिडिटी से भी राहत दिलाने में मदद करता है। सौंफ अपच, एसिडिटी और एसिड रिफ्लक्स से निपटने के लिए एक प्रभावी प्राकृतिक उपचार के रूप में काम करती है। 

तुलसी और पुदीने की पत्तियां:

आप एसिडिटी की समस्‍या से निपटने के लिए घर में लगाई तुलसी या फिर पुदीने के पत्‍तों का उपयोग भी कर सकते हैं। यह आपके पेट को अधिक बलगम उत्पन्न करने के लिए उत्तेजित करता है, जो बदले में एसिडिटी के कारण होने वाली सीने में जलन और मतली से राहत देने में मदद करता है। आप एसिडिटी के लिए 2-3 तुलसी के पत्तों को चबाएं। इसके अलावा, पुदीना भी जलन औद दर्द को कम करने और पाचन में सहायक है। इसलिए आप पुदीने की कुछ पत्तियों को उबालकर या फिर पानी में काटकर डालें और फिर उसे पी लें।

अनानास का जूस :

एसिडिटी और हार्ट बर्न से राहत के लिए अनानास का रस भी एक प्राकृतिक उपचार है। अगर आपको तला-भुना या मसालेदार खाने एसिडिटी या पेट मे जलन हो रही है, तो एक गिलास अनानास का जूस पिएं। अनानास का जूस हाई बीपी और हार्टबर्न को कम करने और एसिडिटी से निपटने का अच्‍छा तरीका है। अनानास में ब्रोमेलैन होता है, जो एक एंजाइम है। यह आपके पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है और गंभीर एसिड रिफ्लक्स को रोकने का काम करता है। 
इसके अलावा आप एसिडिटी से रा‍हत पाने के लिए लौंग, लहसुन या फिर अदरक का भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं। यह सभी आपके पाचन को बढ़ावा देने और एसिडिटी को दूर करने के साथ और भी कई फायदों से भरपूर हैं।


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जुकाम, खांसी और बंद नाक की समस्या से आप चुटकियों में राहत दिलाएगा घर पर बना ये आयुर्वेदिक तेल। जानें बनाने की विधि और प्रयोग का तरीका।


जुकाम एक आम समस्या है, जो अक्सर लोगों को परेशान करता रहता है। बार-बार छींक आना, नाक बहना और आंखों से पानी निकलना आदि जुकाम के सामान्य लक्षण हैं। इसके अलावा जुकाम के कारण कई बार बलगम बढ़ जाता है और नाक बंद हो जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। सामान्य जुकाम को ठीक करने के लिए आमतौर पर दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि एक तो अंग्रेजी दवाओं का बहुत अधिक इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता और दूसरा कि जुकाम की समस्या कुछ घरेलू नुस्खों से ठीक हो जाती है। आज हम आपको बता रहे हैं जुकाम और बंद नाक की समस्या ठीक करने के लिए घर पर ही आसानी से बनाया जाने वाला एक खास आयुर्वेदिक तेल, जिसे गले और नाक में लगाने से आपको जुकाम से बहुत जल्दी राहत मिलेगी।

जुकाम, खांसी जैसी समस्याओं में फायदेमंद है ये तेल:

जुकाम और खांसी जैसी कई समस्याओं में फायदेमंद ये तेल है लोबान का तेल। लोबान को धार्मिक कार्यों में भी इस्तेमाल किया जाता है। लोबान को आयुर्वेद में बड़ा गुणकारी माना जाता है और कई बीमारियों के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जाता है। आप लोबान का तेल आसानी से बिना किसी झंझट के घर पर ही बना सकते हैं। इसे बनाने के लिए आपको सिर्फ 2 चीजों की जरूरत है- लोबान और कैरियर ऑयल। इन दोनों की मदद से 5 मिनट में तेल बनकर तैयार हो जाता है।

कैसे बनाएं घर पर लोबान का तेल (Recipe to make Frankincense Oil At Home)

सबसे पहले लोबान के कुछ टुकड़ों को पीसकर इसका पाउडर बना लें। ये जितना अधिक महीन होंगे, तेल में उतनी अच्छी तरह घुलेंगे।

अब कोई कैरियर ऑयल लें जैसे- ऑलिव ऑयल, ग्रेपसीड ऑयल या नारियल का तेल आदि।

3 भाग तेल में 1 भाग लोबान का पाउडर मिलाएं और चम्मच से थोड़ा सा चलाएं।

इसके बाद इस तेल को माइक्रोवेव में 1-1 मिनट करके गर्म करते रहें और चलाते रहें। अगर माइक्रोवेव नहीं है तो बिल्कुल धीमी आंच पर गैस में भी इसे गर्म कर सकते हैं। लेकिन ध्यान दें कि तेल में मिले लोबान को चलाते रहें।

अब इस तेल को एक तरफ रख दें ताकि यह ठंडा हो जाए और बची हुई लोबान के कण नीचे तली में जम जाएं।
इसके बाद ऊपर के तेल को निकालकर किसी शीशी में भर लें।

बस तैयार है लोबान का आयुर्वेदिक और बिल्कुल शुद्ध तेल।
आप इस तेल को 6 महीने तक इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि ये खराब नहीं होता है। बस इतना ध्यान दें कि इसकी शीशी में पानी न जाए।

कैसे करें लोबान के तेल का प्रयोग (Uses of Frankincense Oil)

अगर किसी व्यक्ति को खांसी की शिकायत है, तो लोबान के तेल की कुछ बूंदों को पानी में मिलाकर गरारा करने से उसकी ये समस्या ठीक हो सकती है।
लोबान का तेल फेफड़ों में जमा बलगम को निकालता है, जिससे बंद नाक भी खुल जाती है।
लोबान के तेल को नाक और गले में लगाने से भी फायदा मिलता है। इसका कारण यह है कि इसमें एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण होते हैं।
अगर आप चाहें तो किसी रूमाल या कपड़े में लोबान के तेल की कुछ बूंदें छिड़ककर इसकी खुश्बू लेकर भी बंद नाक को खोल सकते हैं।

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मस्से दूर करने के लिए अपनाएं ये खास घरेलू तरीके( Home remedies for warts)

मस्से सुंदरता पर दाग की तरह दिखाई देते हैं। मस्से होने का मुख्य कारण पेपीलोमा वायरस है। त्वचा पर पेपीलोमा वायरस के आ जाने से छोटे, खुरदुरे कठोर पिंड बन जाते हैं, जिन्हें मस्सा कहा जाता है। पहले मस्से की समस्या अधेड़ उम्र के लोगों में अधिक होती थी, लेकिन आजकल युवाओं में भी यह समस्या होने लगी है। यदि आप भी मस्सों से परेशान हैं तो इनसे राहत पाने के लिए कुछ घरेलू उपायों को अपना सकते हैं। आइए, जानते हैं कुछ ऐसे ही घरेलू नुस्खों के बारे में....

1. बेकिंग सोडा और अरंडी तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर इस्तेमाल करने से मस्से धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं।

2.बरगद के पत्तों का रस मस्सों के उपचार के लिए बहुत ही असरदार होता है। इसके रस को त्वचा पर लगाने से त्वचा सौम्य हो जाती है और मस्से अपने-आप गिर जाते हैं।

3. ताजा अंजीर मसलकर इसकी कुछ मात्रा मस्से पर लगाएं। 30 मिनट तक लगा रहने दें। फिर गुनगुने पानी से धो लें। मस्से खत्म हो जाएंगे।

4. खट्टे सेब का जूस निकाल लीजिए। दिन में कम से कम तीन बार मस्से पर लगाइए। मस्से धीरे-धीरे झड़ जाएंगे।

5. चेहरे को अच्छी तरह धोएं और कॉटन को सिरके में भिगोकर तिल-मस्सों पर लगाएं। दस मिनट बाद गर्म पानी से फेस धो लें। कुछ दिनों में मस्से गायब हो जाएंगे।

6. आलू को छीलकर उसकी फांक को मस्सों पर लगाने से मस्से गायब हो जाते हैं।

7. कच्चा लहसुन मस्सों पर लगाकर उस पर पट्टी बांधकर एक सप्ताह तक रहने दें। एक सप्ताह बाद पट्टी खोलने पर आप पाएंगे कि मस्से गायब हो गए हैं।

8. मस्सों से जल्दी निजात पाने के लिए आप एलोवेरा के जैल का भी उपयोग कर सकते हैं।

9. हरे धनिए को पीसकर उसका पेस्ट बना लें और इसे रोजाना मस्सों पर लगाएं।

10. ताजे मौसमी का रस मस्से पर लगाएं। ऐसा दिन में लगभग 3 या 4 बार करें। मस्से गायब हो जाएंगे।

11. केले के छिलके को अंदर की तरफ से मस्से पर रखकर उसे एक पट्टी से बांध लें। ऐसा दिन में दो बार करें और लगातार करते रहें, जब तक कि मस्से खत्म नहीं हो जाते।

12. मस्सों पर नियमित रूप से प्याज मलने से भी मस्से गायब हो जाते हैं।

13. फ्लॉस या धागे से मस्से को बांधकर दो से तीन सप्ताह तक छोड़ दें। इससे मस्से में रक्त प्रवाह रुक जाएगा और वह खुद ही निकल जाएगा।

14. अरंडी का तेल नियमित रूप से मस्सों पर लगाएं। इससे मस्से नरम पड़ जाएंगे और धीरे-धीरे गायब हो जाएंगे।

15. अरंडी के तेल की जगह कपूर के तेल का भी उपयोग कर सकते हैं।