अक्सर बच्चे की परवरिश को लेकर माता-पिता चिंतित रहते हैं। बच्चे के खाने-पीने के तौर-तरीकों के साथ-साथ उसे कैसे सुलाएं व अलग सुलाने की आदत डालें इसको भी लेकर चिंतित रहते हैं। माता-पिता इस बात को लेकर दुविधा में रहते हैं कि बच्चों को किस उम्र से उन्हें अलग सुलाएं। अगर आप भी अपने बच्चे में अलग सोने की आदत डालना चाहते हैं तो उससे पहले ये जान लें कि छोटी सी उम्र से ही अपने से अलग सुलाना क्यों जरूरी है। दरअसल, जब बच्चे अलग सोते हैं तो उनके अंदर आत्मनिर्भरता आती है। इसके अलावा बच्चों को अलग सुलाते वक्त कई बातों का ध्यान रखना चाहिए।
सोने का वातावरण भी अनुकूल होना जरूरी है। जब आप बच्चे को अलग सुलाने के बारे में सोच रहे हैं तो सबसे पहले उसके कमरे पर ध्यान दें। उसके कमरे का इंटीरियर, परदे का रंग, उसकी बेडशीट, सबकुछ बच्चे की पसंद का होना चाहिए। इससे बच्चा जुड़ाव महसूस करेगा जो उसके लिए अनुकूल होगा। बच्चे को जो भी चीज पसंद हो वह उसके कमरे में सजाएं। बच्चे को यह लगना चाहिए की उसका कमरे उसके हिसाब से सजाया गया है और उसका कमरा है।
बच्चों को हमेशा आरामदायक कपड़ा पहना कर सुलाना चाहिए। कई बार बच्चों को असहज कपड़ों के साथ नींद नहीं आती है। इससे उनकी पूरी रात खराब हो सकती है। कपड़ों में हमेशा ध्यान रखें कि कपड़ा कभी टाइट न हो या बच्चे ने जो कपड़ा पहन रखा है उसमें उसको ज्यादा गर्मी न लगे। इसलिए बच्चों को हमेशा नाइट ड्रेस पहना कर सुलाएं।
बच्चे को कैसे सुलाएं इसको भी लेकर माता-पिता दुविधा में रहते हैं। इसलिए जब भी आप अपने बच्चे को सुलाने जाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि वो कैसे सोता है। ऐसा जरूरी नहीं कि जो चीज आपने पढ़ी या सुनी है उसी तरीके से बच्चा सो जाए। क्योंकि हर बच्चे का अलग स्वभाव होता है। इसलिए पहले बच्चे को अच्छे से समझें फिर अपना तरीका अपनाएं।
सुलाने से पहले बच्चे की मालिश करें। इससे उसको अच्छी नींद आएगी। बच्चों को सुलाते वक्त उनके कमरे की लाइट बंद कर दें। क्योंकि अंधेरे में ही नींद से जुड़ा हार्मोन सक्रिय होता है। यह हार्मोन नींद लेने में सहायक होता है। धीमी संगीत और वार्म लाइट भी नींद में काफी सहायक होते हैं। कमरे की खिड़की के परदे जरूर फैला दें और कमरे का दरवाजा भी बंद कर दें। ताकि बच्चा बिना किसी डिस्टर्बेंस के सो सके।