Thursday 24 September 2015

आस्थमा क्या होता है? आस्थमा किन चीजों से होता है? आस्थमा के क्या लक्षण होते हैं? आस्थमा अटैक से कैसे बचें ?





आस्थमा क्या होता है?

आस्थमा, दमा या हफनी को कहते हैं। इस बीमारी में सांस लेने में तकलीफ होता है। यह सांस के नली का एक स्थायी बीमारी है, जो कि आजीवन रहता है।

आस्थमा में क्या होता है?

इस बीमारी में, सांस लेने के नली में तीन चीज़ होता है, जिससे कि सांस लेने में तकलीफ होता है।
  • संवेदनशील होना - सांस लेते समय, अनके तरह के कण, बाहरी वातावरण से फेफड़े के अंदर पहुंच जाते हैं। सामान्य स्थिती में शरीर, इन कण को खांसी के बलगम के द्वारा बाहर निकाल देता है। आस्थमा के मरीज में, इन कण के विरुद्ध, अत्याधिक और गाढ़ा बलगम बनने लगता है। इन कण को एलर्जन (allergen) कहते हैं, क्योंकि उनसे आस्थमा के मरीज़ को एलर्जी (allergy) होता है।
  • सूजन और जलन होना – इसे इनफ्लेमेशन कहते हैं। आस्थमा के मरीज में, इस दौरान सांस के नली भी सूज जाते हैं।
  • संकरा होना - सांस के नली के चारो तरफ मांस पेशी होते हैं। सामान्य स्थिती में मांस पेशी ढीले पड़े रहते हैं, लेकिन आस्थमा का अटैक होने पर वो सांस के नली के चारो ओर से कस देते हैं। इससे सांस के नली संकरा हो जाते हैं। बाद में समय के साथ या दवा लेने पर, मांस पेशी फिर ढीले पड़ जाते हैं।

आस्थमा किन चीजों से होता है? |Asthma - Trigger factors | 


आस्थमा (दमा, हफनी) का बीमारी हमेशा के लिए होता है| यह कभी खत्म नहीं होता है, किंतु अपना ध्यान रखने से आप अपने या अपने सगे संबन्धी के आस्थमा को नियंत्रण में रख सकते हैं| घर और बाहर में अनेक चीज होती हैं जिनके कारण आस्थमा चालू हो सकता है| ये कारक नीचे दिए गए हैं|

1  हवा में प्रदूषण सबसे मुख्य कारण है

  • जैसे की गाड़ियों से निकलता धुआं
  • धुम्रपान करते हुए व्यक्ति के साथ रहना | इसीलिए घर में कोई भी धूम्रपान करे, असर सब पर पड़ता है|
  • वसंत ऋतू में जब नए फूल निकलते हैं, तो उसके पौलन या फूलों के पराग से अस्थमा हो सकता है|
  • गर्दा से
  • सेंट, परफ्यूम, डियोडोरेंट, जेल, क्रीम, लोशन, स्प्रे, साबुन इत्यादी के गंध से
  • तेल युक्त पेंट से (Paint)

2  बाहर के वातावरण में बदलाव से

  • ठंडा हवा में सांस लेना

3  गहरा सांस लेने से, जैसे की

  • व्यायाम से या बच्चे को खेलने से भी अस्थमा हो सकता है| जिस बच्चे को आस्थमा के कारण खेलने में दिक्कत होता है, उसे खेल से आधा घंटा पहले दवा लेना चाहिए| ध्यान रहे की रोजाना व्यायाम या खेलने से आस्थ्मा कम हो सकता है|

4  मन के भावना से

  • आपके मन के भावना का आस्थमा पर बहुत असर होता है। किसी भी आवेश या उत्तेजना से, दमा के मरीज में, आस्थमा अटैक हो सकता है। जैसे कि अधिक हँसने से, रोने से, गुस्सा से या अन्य किसी भावना से अधिक तेज से सांस लेने से, आस्थमा हो सकता है।

5  घर के अन्दर प्रदूषण से

  • घर में भींगा होने पर दीवारों पर मोल्ड (Molds) या फंगस लग जाने पर
  • घर में पालतू जानवर (कुत्ता, बिल्ली) के बाल, थूक और पेशाब से, ख़ास करके अगर कोई बच्चा उस जानवर से बहुत खेलता है
  • तिलचट्टा के खाल से (Cockroach), छोटे कीटाणु से (House Dust Mite)
  • खाने में कोई पदार्थ से जैसे की पैकेट में रखे खाने के साथ अन्य मिलावट जो की उस खाने को ख़राब होने से बचाता है
  • खाना से एलरजी से जैसे की दूध, अंडा, श्रिम्प मछली, मूंगफली
  • कोई दवा से, जैसे की सिरदर्द का दवा इबुप्रोफेन (Ibuprofen) या अस्पिरिन (Aspirin), संक्रमित बीमार के लिए पेनीसिल्लिन (Penicillin), दिल के रोग के लिए बीटा ब्लोकर (Beta Blocker)

6  बीमारी से

  • कोई नाक, कान, गला या सांस के नली के बीमारी से
  • खट्टा ढकार आने पर, पेट से आधा-पचा हुआ खाना गर्दन तक आ सकता है, और फेफड़ा में जा सकता है। यह भी आस्थमा का कारण हो सकता है। इसको गस्ट्रो-इसोफेजियल रिफल्क्स (Gastro-esophageal reflux disorder or GERD) कहते हैं।

7  होर्मोंस के बदलाव से

  • होर्मोंस के बदलाव से लड़की में आस्थमा हो सकता है, जैसे की मासिक धर्म के समय या गर्भ के दौरान|


आस्थमा के क्या लक्षण होते हैं?


आस्थमा के अनेक लक्षण होते हैं। इसमें से मरीज़ को कोई भी लक्षण हो सकता है। कुछ लक्षण जो कि बहुत लोगों में पाया जा सकता है, वो हैं -
  • दमा या हफनी होना, खास करके सांस छोडते वख्त
  • खांसी होना
  • सांस लेने में तकलीफ़
  • छाती में कफ जमा हुआ लगना
  • छाती जकडा हुआ लगना
  • फेफड़ा में संक्रमित बीमारी होना, जिसे न्युमोनिया (pneumonia) कहते हैं

3.  अपने बच्चे को डाक्टर के पास कब ले जाना चाहिये?

अगर आपके बच्चे को कभी भी नीचे लिखे हुये बातों में से कुछ भी हो रहा है, तो अपने डाक्टर के पास जरूर ले जायें।
  • अगर उसको सांस लेने में तकलीफ है
  • खांसी जो बहुत दिनों से है, और छूट नहीं रहा है
  • जब भी आपका बच्चा खेलता है तो उसको खांसी या दमा होता है
  • छाती पर बहुत अधिक बोझ लगता है
  • सांस छोडते समय आवाज़ या सीटी निकलता है

4.  अपने बच्चे को अस्पताल कब जाना चाहिये?

अगर आपके बच्चे को कभी भी नीचे लिखे हुये बातों में से कुछ भी हो रहा है, तो तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिये-
  • अगर उसको सांस लेने में बहुत तकलीफ है या सांस रुक रहा है
  • उसको बोलने में तकलीफ है
  • उसको सांस लेने के लिये नाक, गले, छाती और पेट के अन्य मांस-पेशियों का इस्तेमाल लेना हो।
  • वो मुरछित अवस्था में है या होनेवाला है
ध्यान रहे कि आस्थमा का अटैक बहुत मिनटों में किसी मरीज को गम्भीर रूप से बीमार कर सकता है। इलाज न मिलने पर, दमा का भयानक अटैक जानलेवा भी हो सकता है।

5.  आस्थमा के लक्षण से कैसा समझा जाता है कि कितना गम्भीर स्थिती है?

आस्थमा के लक्षण से आस्थ्मा को अनेक वर्ग में विभाजित किया जाता है। सभी को एक ही तरह का दमा नहीं होता है, और एक ही व्यक्ति में अलग-अलग समय में विभिन्न प्रकार के दमा के लक्षण देखने को मिल सकता है। फिर भी, डाक्टर जब आप से शुरू में कुछ सवाल पूछते हैं, तो उससे आपका आस्थमा को वर्गीकरण करने में मद्द मिलता है। कुछ वर्ग नीचे दिया गया है -
  • कम समय से आस्थ्मा है, जैसे कुछ दिन, हफ्ते या महीने
  • बहुत समय से आस्थ्मा है, बहुत महीने या सालों से है
  • बोलने में तकलीफ है, और आप एक-एक शब्द रुक-रुक कर बोल रहे हैं, तो अत्यंत गम्भीर आस्थ्मा है
  • बोलने में तकलीफ है, और आप एक-एक वाक्य रुक-रुक कर बोल रहे हैं, तो मध्यम गम्भीर आस्थ्मा है
  • बोलने में तकलीफ है, और आप सामन्य तरीके से बोल रहे हैं, तो हल्का आस्थ्मा है
  • सांस के तकलीफ से, हर हफ्ते आप दो-तीन रात ठीक से सो नहीं पाते हैं, तो अत्यंत गम्भीर आस्थ्मा है
  • सांस के तकलीफ से, हर महीने आप दो-तीन रात ठीक से सो नहीं पाते हैं, तो मध्यम गम्भीर आस्थ्मा है
इसके अलावा डाक्टर आपसे पूछ सकते हैं, कि आप उस समय क्या कर रहे थे, जिससे कि आपको आस्थमा हुआ। इससे किसी कारण का पता चल सकता है।

आस्थमा और व्यायाम (Asthma and exercise )


1.  क्या आस्थमा में सामान्य तरह से व्यायाम कर सकते हैं?

अस्थमा होने का यह मतलब नहीं है कि आप पर कोई प्रतिबंध लगा है। आप सामान्य तरह से व्यायाम कर सकते हैं। बच्चे, सामान्य रूप से खेल-कूद सकते हैं। इससे आपका शरीर तंदरुस्त रहेगा। लेकिन, आपको पहले कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ेगा, जिसका जिक्र नीचे दिया गया है।

2.  कब सामान्य रूप से व्यायाम कर सकते हैं?

अगर आपका आस्थमा नियंत्रित है, तो आप सामान्य रूप से व्यायाम कर सकते हैं।
अगर व्यायाम के दौरान, अगर आपको कोई भी निम्नलिखित परेशानी हो, तो आपका आस्थमा नियंत्रण में नहीं है। उदाहरण के लिये – सांस लेने में और खास करके छोड़ने में तकलीफ होना, सांस लेते समय और छोड़ते समय सीटी बजना, जिसे व्हीज़ींग (wheezing) कहते हैं, खांसी, गाढ़ा बलगम, छाती पर भारीपन और छाती कसा होना।

3.  व्यायाम या खेल-कूद के समय क्या ध्यान रखना चाहिये?

  • कभी अकेले में कोई भी व्यायाम न करें
  • व्यायाम करने के 10 मिनट पहले अपना दवा लें
  • व्यायाम को धीरे-धीरे बढ़ायें, अर्थात पहले हल्का-फुल्का चलें या अन्य हल्का कसरत करें
  • हमेशा अपना दवा साथ में रखें, जिससे आपको तुरंत राहत पहुंचता है
  • आस्थमा के अन्य कारणों से अपना बचाव करें। उदाहरण के लिये – ठंडा हवा, फूल से पराग, धूल, बुरादा, प्रदुषण, धुंआ और अन्य
  • अंत में व्यायाम को धीरे-धीरे घटायें, अर्थात हल्का-फुल्का चलें या अन्य हल्का कसरत करें


 मिटरड डोज़ इनहेलर (Metered dose inhaler)


1.  मिटरड डोज़ इनहेलर क्या होता है?

मिटरड डोज़ इनहेलर, फेफड़ा में दवा लेने के लिये, एक तरह का यंत्र होता है। इसमें एक दवा का डिब्बा (Canister) को प्लास्टिक के खोल (plastic case) में रखा होता है, और एक माउथपीस (mouth-piece) होता है। यह माउथपीस को मुंह से लगाया जाता है। इस दवा का सबसे अधिक लाभ यह है कि अधिक से अधिक दवा, फेफड़ा तक पहुंच सकता है और बांकि शरीर पर दवा से कोई खास नुकसान नहीं पहुंचता है

3.  आस्थमा दवा का मिटरड डोज़ इनहेलर कैसे लें?

मिटरड डोज़ इनहेलर (Metered Dose Inhaler), फेफड़ा में दवा देने का एक तरीका है। इसको एम डी आई (MDI) भी कहते हैं। यह एक बहुचर्चित तरीका है, जो डाक्टर अपने आस्थमा के मरीज़ को देते हैं। इस दवा का सबसे अधिक लाभ यह है कि अधिक से अधिक दवा, फेफड़ा तक पहुंच सकता है और बांकि शरीर पर दवा से कोई खास नुकसान नहीं पहुंचता है। लेकिन इस दवा को लेने में एक रुकावट है, और वह है कि इस दवा को सही तरह से लेना आना चाहिये, अन्यथा सारा दवा मुंह में ही रह जाता है, और बहुत कम दवा फेफड़ा तक पहुंचता है। यहां हम इस दवा को सही तरह से लेने के विधी पर बात करेंगे।
मिटरड डोज़ इनहेलर (Metered Dose Inhaler) को सही तरह से लेने का विधी नीचे दिया गया है -
  • दवा पर से ढक्कन (plastic cap) हटायें|
  • दवा के डिब्बे को सही तरह से पकड़ें, जिससे कि दवा का माउथपीस मरीज़ के मुंह के 1 इंच या दो उंगली आगे हो।
  • मरीज का सिर हल्के तरीके से उठा होना चाहिये, और मुंह खुला होना चहिये।
  • दवा को कुछ समय तक हिलायें; इससे दवा अच्छे तरह से मिल जाते हैं।
  • एक बार गहरा सांस लेकर, आराम से सांस छोड़ें
  • दवा को मुंह से लगायें, और अपने होंठ से उसे जकड़ लें
  • सांस लेना चालू करें, और साथ ही दवा के डिब्बा (Canister) को नीचे के तरफ दबायें
  • सांस पूरे तरह से लें, और फिर कम से कम 10 सेकंड तक सांस रोक कर रखें, जिससे कि दवा के कण आपके फेफड़ा तक पहुंच कर अच्छे से फैल सकें।
  • फिर आहिस्ते से सांस बाहर छोड़ें
  • सामान्य रूप से सांस लेना चालू करें
  • अगर जरूरत हो उपर दिये गये क्रम को फिर से दोहरायें
  • बाद में एक बार कुल्ला कर लें, जिससे कि मुंह में कोई दवा न रहे
  • अगर ठीक तरह से दवा लिया गया है, तो तुरंत फेफड़ा तक आपको अच्छा महसूस होगा और सांस लेने में आसानी मिलेगा। अगर कोई फर्क नहीं पड़ा तो फिर से ध्यान दें कि क्या आप सही तरह से दवा ले रहे हैं कि नहीं?
  • डाक्टर के अनुसार बताये गये दवा को ही, निश्चित समय पर, एक या दो बार लेना चाहिये। यह कभी न करें कि जब जी चाहे, एक बार दवा ले लिया। अगर आपको बताये गये नुस्खे से अधिक बार दवा लेने का जरूरत पड रहा है तो फिर से अपने डाक्टर से परामर्श लें।
  • हफ्ता में एक बार दवा के प्लास्टिक डिब्बा (plastic case) और उसके ढक्कन (plastic cap) को पानी से धोना चाहिये।

4.  एक मिटरड डोज़ इनहेलर कितना दिन चलता है?

किसी मिटरड डोज़ इनहेलर को आप कितने बार इस्तेमाल करते हैं, इस पर निर्भर करता है कि वो दवा का डिब्बा आपको कितने दिन तक चलेगा। उदाहरण के लिये, अगर आप कोई दवा लेते हैं, जिसपर लिखा हुआ है कि वो डिब्बा में 200 बार दवा देने का क्षमता है, और आप उस दवा को दिन में 2 बार सुबह और 2 बार संध्या में रोज़ाना लेते हैं, तो यह डिब्बा आपको 200/4 = 50 दिन चलेगा। आप यह बात अपने डिब्बा के उपर और डायरी में लिख लें कि यह दवा का डिब्बा कब शूरु किया गया और अंदाज़ से किस तिथी को यह दवा का डिब्बा खत्म होगा। साथ ही यह देख कर रखें कि कहीं यह दवा काफ़ी पुराना तो नहीं है, या एक्सपायर्ड (expired) तो नहीं है। तो अगर आपका दवा खत्म होनेवाला है या फिर पुराना है, तो नया दवा बाज़ार से ले आयें।
जिन लोग को आस्थमा है, उन्हें अपने पास हमेशा अपना डिब्बा रखना चाहिये, चाहे घर पर, स्कूल में, दफ्तर में, किसी वाहन में या सफर पर। जरूरत पड़ने पर यह दवा मरीज़ के लिये अत्यंत आवश्यक हो जाता है।

5.  ये इन्हेलर को किन दवाओं को लेने के लिये इस्तेमाल किया जाता है?

इन्हेलर से अनेक प्रकार के दवा को फेफड़ा में पहुंचाने के लिये इस्तेमाल किया जाता है। जैसे कि
  • विभिन्न प्रकार के आस्थमा के दवा
  • धूम्रपान के आदत को छुड़ाने के लिये निकोटीन(nicotine) दवा के लिये




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