Thursday 27 October 2016

दो लोगों का प्यार किस-किस मोड़ से गुज़रता है, दर्शाती हैं ये Sex Positions

ज़िन्दगी को बिना प्यार के सोच कर देखिए. सोचिए अगर आपका कोई लाइफ पार्टनर न होता, शादी न होती. ज़ाहिर सी बात है अगर शादी न होती तो आप ये पढ़ने के लिए इस दुनिया में न होते. ​किसी भी दूसरे सुख की तरह भौतिक सुख भी ज़िन्दगी में बेहद ज़रूरी है. दिनभर की फर्जी चकल्ल्स, काम और टेंशन से उभरने के लिए ज़िन्दगी में रोमांस और प्यार ज़रूरी है. कहते हैं जिसकी सेक्स लाइफ अच्छी होती है उसका जीवन बेहद खुशहाल होता है. तो आपके जीवन को खुशियों से भरने के लिए हम लाए हैं दुनिया की सबसे रोमांटिक Sex Positions की लिस्ट.





















संभल कर! सभी पोजिशंस ट्राई करने से पहले अपनी बॉडी फिट ज़रूर कर लीजिएगा.

Saturday 15 October 2016

Magical Drink For Weight Loss - मोटी से मोटी तोंद घटाएँ अब चुटकीयों में,रात में सिर्फ 1 ग्लास इस जादुई जूस का पिए, और फिर कमाल देखें

हम लोग अक्सर अपनी निकलती हुई तोंद (belly fat) से परेशान रहते हैं और उसे कम करने के लिए कई तरह के जतन करते हैं। लेकिन अब आपको बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे आप इस आसान से बनने वाले जूस का सोने से पहले सेवन करके कर सकते हैं तोंद को गुड-बाय। चाहे मोटी से मोटी तोंद ही क्यों ना हो सिर्फ 1 ग्लास रात को पीने से वो हो जायेगी फुटबॉल से गेंद।
सोने से पहले खीरे के जूस का सेवन करें। खीरे का जूस पेट को साफ करता है। इसके साथ ही यह फैट भी नहीं बढ़ाता है। इसमें कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है और और आपकी निकलती हुई तोंद को कंट्रोल (weight loss) करने में काफी लाभदायक होता है।

➡ खीरे के जूस 🍹 की सामग्री :
– दो खीरे  🍆🍆
– दो छोटे चम्मच नींबू का रस  🍋🍋
– अदरक का एक छोटा टुकड़ा  🍗🍗
– दो छोटे चम्मच चीनी  🍚
– एक छोटा चम्मच- भुना जीरा पाउडर 🍜
– तीन से चार पुदीना पत्ती 🌿
– काला व सफेद नमक स्वादानुसार 🍚
➡ खीरे का जूस 🍹

 बनाने की विधि :
खीरे को धोलें और छोटा छोटा काट कर छिलके सहित जूसर में डालें। अदरक और पुदीना भी जूसर में डाल दें और जूस निकाल लें। इसमें चीनी, नींबू का रस, भुना जीरा पाउडर, काला व सफेद नमक स्वादानुसार डालकर अच्छी तरह हिलाएं। फिर 1 ग्लास झट से गटक (पीना) जाए और इसका कमाल देखे, देखते ही देखते तोंद हो जायेगी फिट एंड फाइन।

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सहजन (Drumstick tree) के आयुर्वेदिक और औषधीय गुण (Drumstick is Medicine over Three hundred diseases)

दुनीया का सबसे ताकतवर पोषण पुरक आहार है सहजन (मुनगा) 300 से अधि्क रोगो मे बहोत फायदेमंद इसकी जड़ से लेकर फुल, पत्ती, फल्ली, तना, गोन्द हर चीज़ उपयोगी होती है सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। एक अध्ययन के अनुसार इसमें दूध की तुलना में 4 गुना  कैल्शियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है। प्राकृतिक गुणों से भरपूर सहजन इतने औषधीय गुणों से भरपूर है कि इसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। यह सिर्फ खाने वाले के लिए ही नहीं, बल्कि जिस जमीन पर यह लगाया जाता है, उसके लिए भी लाभप्रद है।



  • आयुर्वेद में सहजन से तीन सौ रोगों का उपचार संभव है
  • सहजन के पौष्टिक गुणों की तुलना
  • 100 ग्राम सहजन, 5 गिलास दूध जितनी ताकतवर
  • सहजन (Drumstick tree) के आयुर्वेदिक और औषधीय गुण
  • सहजन का पेड़ सेहत का खजाना
  • Drumstick is Medicine over Three hundred diseases
  • सहजन पेड़ नहीं मानव के लिए कुदरत का चमत्कार
  • सहजन से बढ़ाएं सेक्स पावर, जानें 7 बेहतरीन लाभ
  • वैवाहिक जीवन के लिए वरदान है सहजन का सूप
  • कई बीमारियों को दूर करती है सहजन
  • सहजन से बढ़ाएं सेक्स पावर  
  • सहजन में छुपा है कई रोगों का इलाज, जानें इसके कुछ बेहद खास गुणों को


1-विटामिन सी- संतरे से सात गुना
2-विटामिन ए- गाजर से चार गुना
3-कैलशियम- दूध से चार गुना
4-पोटेशियम- केले से तीन गुना
5-प्रोटीन- दही की तुलना में तीन गुना


  • स्वास्थ्य के हिसाब से इसकी फली, हरी और सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन , कैल्शियम , पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम,
  • विटामिन-ए , सी और बी-काम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाई जाती है
  • इनका सेवन कर कई बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है, इसका बॉटेनिकल नाम ‘ मोरिगा ओलिफेरा ‘ है हिंदी में इसे सहजना , सुजना , सेंजन और मुनगा नाम से भी जानते हैं.
  • जो लोग इसके बारे में जानते हैं , वे इसका सेवन जरूर करते हैं
  • सहजन में दूध की तुलना में चार गुना कैल्शियम और दोगुना प्रोटीन पाया जाता है.
  • ये हैं सहजन के औषधीय गुण सहजन का फूल पेट और कफ रोगों में , इसकी फली वात व उदरशूल में , पत्ती नेत्ररोग , मोच , साइटिका , गठिया आदि में उपयोगी है
  • इसकी छाल का सेवन साइटिका , गठिया , लीवर में लाभकारी होता है। सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात और कफ रोग खत्म हो जाते हैं
  • इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया , साइटिका , पक्षाघात , वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है। साइटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है.
  • मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं और मोच के स्थान पर लगाने से जल्दी ही लाभ मिलने लगता है |
  • सहजन की सब्जी के फायदे.


सहजन के फली की सब्जी खाने से पुराने गठिया , जोड़ों के दर्द , वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है।
इसके ताजे पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है साथ ही इसकी सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है,
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  • इसकी जड़ की छाल का काढ़ा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है
  • सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के किड़े निकालता है और उल्टी-दस्त भी रोकता है
  • ब्लड प्रेशर और मोटापा कम करने में भी कारगर सहजन का रस सुबह-शाम पीने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है
  • इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे-धीरे कम होनेलगता है
  • इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़े नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है
  • इसके कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होता है इसके अलावा इसकी जड़ के काढ़े को सेंधा नमक और हिंग के साथ पीने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है।
  • इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सूजन ठीक होते हैं
  • पानी के शुद्धिकरण के रूप में कर सकते हैं इस्तेमाल सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

इसके बीज को चूर्ण के रूप में
पीसकर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लेरीफिकेशन एजेंट बन जाता है यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है , बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है।

काढ़ा पीने से क्या-क्या हैं फायदे
  • कैंसर और पेट आदि के दौरान शरीर के बनी गांठ , फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन , हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है यह भी पाया गया है कि यह काढ़ा साइटिका (पैरों में दर्द) , जोड़ों में दर्द , लकवा ,दमा,सूजन , पथरी आदि में लाभकारी है |
  •  सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है। आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से वायरस से होने वाले रोग , जैसे चेचक के होने का खतरा टल जाता है

शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है , जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिए अति आवश्यक है। सहजन में विटामिन-सी की मात्रा बहुत होती है। यह शरीर के कई रोगों से लड़ता है

सर्दी-जुखाम
यदि सर्दी की वजह से नाक-कान बंद हो चुके हैं तो , आप सहजन को पानी में उबालकर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।

हड्डियां होती हैं मजबूत.
  • सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है , जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं। इसके अलावा इसमें आइरन , मैग्नीशियम और सीलियम होता है
  • इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है , इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है, गर्भवती महिला को इसकी पत्तियों का रस देने से डिलीवरी में आसानी होती है।
  • सहजन में विटामिन-ए होता है , जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिए प्रयोग किया आता जा रहा है
  • इसकी हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढ़ापा दूर रहता है इससे आंखों की रोशनी भी अच्छी होती है
  • यदि आप चाहें तो सहजन को सूप के रूप में पी सकते हैं इससे शरीर का खून साफ होता है |

कुछ अन्य उपयोग –

1) . सहजन के फूल उदर रोगों व कफ रोगों में इसकी फली वात व उदरशूल में पत्ती नेत्ररोग, मोच ,शियाटिका ,गठिया आदि में उपयोगी है।2) सहजन की जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग साईटिका ,गठिया,,यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है।
3) . सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है
4) . सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वातए व कफ रोग शांत हो जाते है, इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है\ साईं टिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है
5) सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है।6) सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है।
7) सहजन की सब्जी खाने से पुराने गठिया और जोड़ों के दर्द व् वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है।
8) सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।
9) .सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है।
10) . सहजन की जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।
11) . सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है।
12) सहजन फली का रस सुबह शाम पीने से
उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
13) सहजन की पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है।
14) . सहजन. की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।
15) . सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है।
16) सहजन. की जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है।
17) . सहजन की पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है।
18) सहजन के पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे तो सर दर्द दूर हो जाता है .
19) सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
20) . सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तोए आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। ईससे जकड़न कम होगी।
21) . सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन , मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
22) .सहजन का जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।23) सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।
24) सहजन का सूप पीने से शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।
25) . सहजन के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है। त्वचा साफ करने के लिए सहजन के बीजों का सत्व कॉस्मेटिक उद्योगों में बेहद लोकप्रिय है। सत्व के जरिए त्वचा की गहराई में छिपे विषैले तत्व बाहर निकाले जा सकते हैं।
26) . सहजन के बीजों का पेस्ट त्वचा के रंग और टोन को साफ रखने में मदद करता है।मृत त्वचा के पुनर्जीवन के लिए इससे बेहतर कोई रसायन नहीं है। धूम्रपान के धुएँ और भारी धातुओं के विषैले प्रभावों को दूर करने में सहजन के बीजों के सत्व का प्रयोग सफल साबित हुआ है।

27)  सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। एक अध्ययन के अनुसार इसमें दूध की तुलना में 4 गुना  कैल्शियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है। प्राकृतिक गुणों से भरपूर सहजन इतने औषधीय गुणों से भरपूर है कि इसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। यह सिर्फ खाने वाले के लिए ही नहीं, बल्कि जिस जमीन पर यह लगाया जाता है, उसके लिए भी लाभप्रद है।

28) सहजन पाचन से जुड़ी समस्याओं को खत्म कर देता है। हैजा, दस्त, पेचिश, पीलिया और कोलाइटिस होने पर इसके पत्ते का ताजा रस, एक चम्मच शहद, और नारियल पानी मिलाकर लें, यह एक उत्कृष्ट हर्बल दवाई है।

29) सहजन के पत्ते का पाउडर कैंसर और दिल के रोगियों के लिए एक बेहतरीन दवा है। यह ब्लडप्रेशर कंट्रोल करता है। इसका प्रयोग पेट में अल्सर के इलाज के लिए किया जा सकता है। यह पेट की दीवार के अस्तर की मरम्मत करने में सक्षम है। यह शरीर की ऊर्जा का स्तर बढ़ा देता है।

30) इसके बीज में पानी को साफ करने का गुण होता है। बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है ।

31) कुपोषण पीड़ित लोगों के आहार के रूप में सहजन का प्रयोग करने की सलाह दी गई है। एक से तीन साल के बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह वरदान माना गया है। सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। इसका काढ़ा साइटिका रोग के साथ ही, पैरों के दर्द व सूजन में भी बहुत लाभकारी है।

32) इसका जूस प्रसूता स्त्री को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ  कम होती है। सहजन की पत्तियों के साथ ही सजहन का फल विटामिन्स से भरा होता है।  सहजन में विटामिन ए होता है, इसीलिए यह सौन्दर्यवर्धक के रूप में काम करता है। साथ ही, यह आंखों के लिए भी लाभदायक होता है।

33) पिंपल्स की प्रॉब्लम हो तो सहजन का सेवन करना चाहिए। इसके सूप से शरीर का खून साफ होता है। चेहरे पर लालिमा आती है और पिंपल्स की समस्या खत्म हो जाती है। सहजन की पत्तियों से तैयार किया गया सूप तपेदिक, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस आदि रोगों में भी दवा का काम करता है।

34) इसमें  कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है, जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है। इसीलिए महिलाओं व बच्चों को इसका सेवन जरूर करना चाहिए। इसमें जिंक भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो कि पुरुषों की कमजोरी दूर करने में अचूक दवा का काम करता है। इसकी छाल का काढ़ा और शहद के प्रयोग से शीघ्र पतन की बीमारी ठीक हो जाती है और यौन दुर्बलता भी समाप्त हो जाती है।

35) सहजन में ओलिक एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह एक तरह का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिए अति आवश्यक है। साथ ही सहजन में विटामिन सी बहुत मात्रा में होता है। यह कफ की समस्या में भी रामबाण दवा की तरह काम करता है। जुकाम में सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें।


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Monday 10 October 2016

लिंग का साइज बढ़ाने के नैचरली टिप्स

बहलाने वाले विज्ञापनों के चक्कर में पडकर अपने शिश्न की लंबाई, मोटाई एवं उत्तेजना बढ़ाने वाले दवाओं का सेवन कदापि ना करें . इससे फायदा तो दुर नुकसान अवश्य हो सकता है।
हर पुरुष के लिंग मे लंबाई, मोटाई तथा स्थिरता में भिन्नता तो अवश्य होती पर इस भिन्नता का यौन संतुष्टी, गर्भाधारण तथा यौन क्षमता पर कोई प्रभाव नहीं पडता. वास्तव में स्त्री के योनि का उपरी एक तिहाई भाग ही यौन स्पर्श के प्रति संवेदनशील होता है. अत; उत्तेजित अवस्था मे यदि शिश्न की लंबाई केवल 2 से.मे. भी हो तो वह अपने यौन साथी को प्रयाप्त यौन आनंद प्रदान करा पाने मे सक्ष्म होता है.
बॉडी की निगेटिव इमेज से सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी ग्रसित रहते हैं। पुरुषों में हीन भावना की जो सबसे आम समस्या है वह उनका अपने पेनिस (लिंग) के साइज को लेकर चिंतित रहना। अगर आप भी हैं इस परेशानी से पीड़ित हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है अपनाइए ये टिप्स और नैचरली बढ़ाइए अपने लिंग का साइज…

तनाव कम करिएः

निराशा और तनाव भी पेनिस के साइज को घटा देते हैं क्योंकि तनाव की स्थिति में ब्लड पेनिस से वापस लौट जाता है और पेनिस का साइज बढ़ नहीं पाता। परफॉर्मेंस का डर भी पेनिस के छोटे होने के कारणों में से एक है।

स्मोकिंग करना छोड़ दें:

सिगरेट के छोटे-छोटे कण धमनियों को ब्लॉक कर देते हैं जिससे शरीर के सभी हिस्सों तक पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं पहुंच पाता और शरीर के ठीक से विकास नहीं हो पाता। यही बात शरीर के दूसरे हिस्से के साथ पेनिस पर भी लागू होती है। इसलिए स्मोकिंग करना बंद कर दें।

हाई कैलरी के खाने को न कहें:

ज्यादा फैट और कैलरी वाले खाने से न सिर्फ दिल की बीमारियों का खरता बढ़ जता है बल्कि पेनिस के छोटे होने का भी खतरा रहता है। ऐक्ससार्इज और शारीरिक मेहनत न करने पर आपके धमनियों में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का भी खतरा रहता है, जिससे आपके लिंग में बल्ड सर्कुलेशन कम हो सकता है। इसलिए मोटे और स्वस्थ पेनिस (लिंग) के लिए जंक फूड खाना छोड़ दें।

नियमित एक्सर्साइज करें:

सिर्फ मजबूत मसल्स और वेट कम करने के लिए ही जिम जाने की वजह नहीं होती। अगर आप अपने पेनिस (लिंग) का साइज बढ़ाना चाहते हैं तो जिम जाइए, जिससे धमनियां का रास्ता साफ हो और बल्ड सर्कुलेशन भी ठीक ढंग से हो।

पेट का फैट कम करिएः

ज्यादा भारीभरकम पेट से पेनिस (लिंग) छोटा लगने लगता है। भले ही पेनिस (लिंग) बड़ा भी है लेकिन आपके भारीभरकम पेट के सामने वह छोटा ही नजर आएगा। इसलिए पेट के फैट को कम करिए।

ज्यादा सब्जियां और फल खाएं:

उन फलों और सब्जियों को खाएं जिनमें ऐंटि-ऑक्सिडेंट ज्यादा हो। यह कंपाउंड धमनियों में मौजूद फ्री रेडिकल्स से लड़ता है और धमनियों को मजबूत बनाता है। इसलिए ऐंटि-ऑक्सिडेंट से भरपूर फल और सब्जियों के सेवन से आप अपने पेनिस के साइज को बढ़ा सकते हैं।

मेडिटेशन करें:

बेहतर सेक्स लाइफ के लिए मेडिटेशन करिए या योगा करिए। मेडिटेशन से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और पेनिस का साइज बढ़ता है।

पत्ता गोभी है खतरनाक, लेकिन कुछ फायदे भी हैं इसके

पत्ता गोभी अन्य सब्जियों की तरह न्यूट्रिशन और प्रोटीन से भरपूर होती है। पत्ता गोभी में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो डाइटिंग करने वालों के लिए फायदेमंद है। आज हम आपको पत्ता गोभी में मौजूद गुणों के बारे में बता रहे हैं। 

पत्ता गोभी में पाए जाने वाला कीड़ा: पत्ता गोभी की खासियत के साथ-साथ हम आपको पत्ता गोभी से जुड़े एक सच के बारे में भी बता रहे हैं। पत्ता गोभी में टेव वर्म (कीड़ा) होता है जो खाने पर दिमाग में पहुंच जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, बंदगोभी और पत्ता गोभी में कीड़ा इतना पतला और छोटा होता
है कि देखा नहीं जा सकता। गोभी के कीड़े की रेजिस्टेंस पावर ज्यादा होती है। ये पेट में पाए जाने वाले एसिड व एंजाइम से भी नहीं मरता। अगर तापमान पानी के उबाल जितना भी हो जाए, तो भी यह जिंदा रहता है। ये दिमाग पर ही वार करता है। जैसे ही ये दिमाग पर अपना असर डालता है, रोगी को दौरे पड़ने लग जाते हैं। ऑपरेशन में देरी और गड़बड़ी से पूरे शरीर को लकवा मार सकता है।


इन सब कमियों के बावजूद पत्ता गोभी के काफी लाभ भी हैं। आइए जानते हैं:
  • पत्ता गोभी में बहुत कम मात्रा में कैलोरी पाई जाती है। एक कटोरी पत्ता गोभी में मात्र 33 कैलोरी पाई जाती हैं। इसमें फाइबर बहुत होता है। डायटिंग कर रहे लोगों के लिए यह बहुत ही अच्छी होती है।
  • इसमें विटामिन-के की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इससे दिमाग को सही तरीके से काम करने की ताकत मिलती है। इससे नर्व डैमेज का खतरा भी कम होता है।
  • पत्ता गोभी में पाए जाने वाले सल्फर से त्वचा को सेहतमंद बनाया जा सकता है। इससे तैलीय त्वचा को ठीक किया जा सकता है। इसके फेस मास्क से चेहरा दमकने लगता है।
  • इसमें पाए जाने वाले विटामिन सी की मदद से शरीर को डिटॉक्सिफाई किया जा सकता है। इससे एलर्जी की समस्या भी कम होती है।
  • इसमें पाए जाने वाले पोटेशियम से ब्लड वेसल्स को फैलने में मदद मिलती है। इससे ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं होती। हाई ब्लड प्रेशर वालों को ज्यादा फायदा होता है। 

पत्ता गोभी के औषधीय उपयोग:
  1. पायरिया (दांतों के मसूढ़ों से पीव का आना): पत्ता गोभी के कच्चे पत्ते 50 ग्राम रोजाना खाने से पायरिया व दांतों के अन्य रोगों में लाभ होता है। बंदगोभी का रस निकालकर पिएं तथा इसके मध्य भाग को सलाद बनाकर खाने से पायरिया तथा दांतों के अन्य रोग ठीक होते हैं। 
  2. घाव या चोट लगने पर: पत्ता गोभी के रस का सेवन करने से घाव ठीक होते हैं। पत्ता गोभी के आधे गिलास रस में पानी मिलाकर पीना चाहिए। इसके अलावा, घाव पर पत्ता गोभी के रस की पट्टी बांधने से आराम मिलता है। 
  3. बालों का गिरना: पत्ता गोभी के 50 ग्राम पत्ते को रोजाना 1 महीने तक खाने से झड़े हुए बाल फिर से उग आते हैं। 
  4. गैस्ट्रिक अल्सर: पत्ता गोभी के रस को पीने और गोभी के बीच वाले भाग को कच्चा सलाद के रूप में खाने से गैस्ट्रिक अल्सर और पेप्टिक अल्सर में लाभ होता है। 
  5. कैंसर जैसे रोग होने पर: सुबह खाली पेट पत्ता गोभी का कम से कम आधा कप रस रोजाना पीने से कैंसर की पहली स्टेज में काफी फायदा होता है। पत्ता गोभी में कैंसर को रोकने की अपार क्षमता है। चिकित्सकों का कहना है कि पत्तागोभी में एक ऐसा रसायन होता है, जिसमें स्तन कैंसर पैदा करने वाले तत्वों की मात्रा घटाने की क्षमता होती है। 
  6. कोलाइटिस (वृहद आंत्रिक प्रदाह): एक गिलास छाछ में चौथाई कप पालक का रस, 1 कप पत्ता गोभी का रस मिलाकर रोजाना दिन में 2 बार पीने से कोलाइटिस ठीक हो जाती है। 
  7. आमाशय का जख्म: पत्ता गोभी  का रस 1-1 कप दिन में 3 बार लगातार 14 दिनों तक पीने से आमाशय के रोगों में लाभ होता है। पत्ता गोभी को कच्चा खाने से भी आराम मिलता है। 
  8. पेप्टिक अल्सर: एक एक कप पत्ता गोभी का रस 3 बार रोजाना पीने से अल्सर का रोग ठीक हो जाता है। पत्ता गोभी का ताजा रस कम से कम 2 सप्ताह तक पीने से बहुत लाभ होता है। 
  9. नींद की कमी, पथरी और मूत्राशय में दिक्कत होने पर: पत्ता गोभी की सब्जी को घी से छौंककर खाने से अच्छी नींद आती है। इससे पथरी और पेशाब की रुकावट में भी लाभ मिलता है। 
  10. जोड़ों का दर्द: पत्ता गोभी के रस का सेवन करने से पेट के घावों के अलावा जोड़ों के दर्द, दांतों के रोग, खून की खराबी,  पीलिया, मस्तिष्क की कमजोरी और शरीर का मोटापा आदि रोगों में लाभ मिलता है। 
  11. कब्ज़ होने पर: पत्ता गोभी के कच्चे पत्ते रोजाना खाने से पुराना कब्ज दूर हो जाता है। शरीर में मौजूद गंदे पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। साथ ही, आंतों की कमजोरी के साथ गैस की शिकायत भी दूर होती है। 
  12. पत्ता गोभी खाएं, स्लिम हो जाएं: पत्ता गोभी के हरे पत्ते में बेशुमार गुण होते हैं। पत्ता गोभी को नियमित खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। हाल ही में हुए अध्ययनों से पता चला है कि पत्ता गोभी वजन घटाने में काफी लाभदायक साबित हुई है।
  13. इसके अलावा, पत्ता गोभी में विटामिन बी-1, बी-2, बी-3, बी-6 और बी-9 पाया जाता है। इसमें आयरन और कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में रहता है। साथ ही, यह पोटेशियम, जिंक, ग्लूटामाइन और मैग्नीशियम का भी बेहतर स्रोत है।
  14. आहार विशेषज्ञों के अनुसार, पत्ता गोभी में काफी मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। यह रेशेदार तत्वों से भरपूर है। यही नहीं, इसमें कुछ ऐसे तत्व होते हैं, जो शारीरिक विकास में मददगार होते हैं और बुद्धि को तेज करने में सहायक होते हैं। पत्ता गोभी में सेल्युलोस नामक तत्व होता है, जो हमें स्वस्थ रखने में सहायक है। यह तत्व शरीर से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को दूर करता है। इसे मधुमेह के रोगियों के लिए विशेष लाभकारी माना जाता है। यह खांसी, पित्त व रक्त विकार में भी लाभकारी है।
  15. जर्मन पद्धति के अनुसार, पत्ता गोभी को काटकर उसमें नमक लगाकर उसे खट्टा होने के लिए रख दिया जाता है। इस विधि से तैयार पत्ता गोभी को 'सोर क्राउट' के नाम से जाना जाता है। 'सोर क्राउट' में प्रचुर मात्रा में विटामिन पाए जाते हैं। हृदय रोगों को दूर करने के लिए सोर क्राउट का प्रयोग काफी लाभदायक है।  
  16. पेट व आंखों के अल्सर, उदर वायु, अमाशय या लिवर के रोगियों के लिए यह वरदान साबित हो सकता है। भूख बढ़ाने के लिए इसका प्रयोग किसी टॉनिक से कम नहीं है। 

पत्तागोभी (Cabbages)- सुपर फ़ूड और जटिल रोगो का समाधान

पत्तागोभी देखने में जितनी साधारण हैं उतनी ही गुणों में अमृत के समान हैं, अनेक कष्ट साध्य रोग जैसे कैंसर, कोलाइटिस, हार्ट, मोटापा, अलसर, ब्लड क्लॉटिंग रक्त के थक्के जमने में, उच्च रक्तचाप, नींद की कमी, पथरी, मूत्र की रुकावट में पत्तागोभी बहुत लाभकारी हैं। इसकी सब्जी घी से छौंककर बनानी चाहिए। पत्तागोभी को करमकल्ला के नाम से भी पुकारा जाता हैं। इसका रस, सलाद और सब्जी सभी गुणकारी हैं। आइये जाने इसके प्रयोग और उपयोग की विधि।

कैंसर में पत्तागोभी का प्रयोग ।
प्रात: खाली पेट सब से पहले कम से कम आधा कप पत्तागोभी का रस नित्य पियें। इससे आरंभिक अवस्था में कैंसर, बड़ी आंत का प्रदाह ठीक हो जाता हैं। यदि कैंसर पुराना हो और बड़ी स्टेज पर हो तो दिन में 3-४ बार पत्तागोभी का एक एक कप रस देना चाहिए। अनेक शोधो में सिर्फ पत्तागोभी के रस से असाध्य कैंसर को सही करने की बात कही गयी हैं। इसलिए कैंसर के मरीजों को ये ज़रूर पीना चाहिए।

कोलाइटिस Colitis (वृहद आंतरिक प्रदाह) में पत्तागोभी का प्रयोग
आज का विज्ञान जहाँ कोलाइटिस को सही करने में असमर्थ हैं वही पत्तागोभी इसको सही करने में बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस रोग में आंतो में सूजन आ जाती हैं। बार बार शौच जाना पड़ता हैं, मल के साथ तीव्र बदबू आती हैं और मल करते समय बहुत कष्ट होता हैं, मानो जान ही निकल जाए। इस रोग में एक गिलास छाछ में चौथाई पालक का रस, एक कप पत्तागोभी का रस मिलाकर नित्य दिन में दो बार सुबह और दोपहर में पियें। कुछ ही दिनों में कोलाइटिस ठीक हो जाती हैं।

कोलाइटिस Colitis के लिए अन्य प्रयोग।
दो दिन उपवास रखे। उपवास में केवल छाछ ही पियें। तीसरे दिन खाली पेट एक गिलास पानी, तीन चम्मच शहद डालकर इसमें आधा निम्बू निचोड़े और पियें। नाश्ते में एक कप गाजर का रस, भोजन में दही, एक कप गाजर का रस, चौथाई कप पालक का रस, और एक कप पत्तागोभी का रस मिलाकर पियें। शाम को भोजन में पपीता खाएं। ये प्रयोग उपवास के बाद जितने रोज़ हो सके करना चाहिए। एक सप्ताह में पूर्ण आराम मिल सकता हैं।

हृदय रोगो में पत्तागोभी का प्रयोग ।
एक कप पत्तागोभी के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर नित्य दो बार पीने से सीढियाँ चढ़ते समय दम फूलना, धड़कन तेज़ होना, हृदय की दुर्बलता आदि ठीक हो जाती हैं। रोगी को यह 2-३ महीने तक निरंतर करना चाहिए। अगर रक्त के थक्के भी जम गए हैं तो इसका निरंतर नित्य प्रयोग बहुत लाभ देता हैं।

मोटापे में पत्तागोभी का प्रयोग।
मोटे व्यक्तियों को पत्तागोभी का रस एक कप रस में आधा कप पानी मिलाकर पीना चाहिए। दिन में दो बार पीना चाहिए। इसे पीने से मोटापा कम होता हैं।

पायोरिया में पत्तागोभी का प्रयोग ।
पत्तागोभी के कच्चे पत्ते 50 ग्राम नित्य खाने से पायोरिया व् दांतो के अन्य रोगो में लाभ होता हैं।

बाल गिरना – गंज में पत्तागोभी का प्रयोग।
पत्तागोभी के 50 ग्राम पत्ते खाने से गिरे हुए बाल उग आते हैं। बाल गिरते हो, गंज हो गयी हो तो पत्तागोभी के रस से बालो को तर करके मले और 10 मिनट बाद सर धोएं। नित्य कुछ सप्ताह तक करने से लाभ होगा।

घाव (अलसर) में पत्तागोभी का प्रयोग।
पत्ता गोभी का रस आधा गिलास, आधा गिलास पानी मिला कर पीने से कैसे भी घाव सही होते हैं। घावों पर इसकी पट्टी भी की जा सकती हैं।

परिणाम शूल (पेप्टिक अलसर) में पत्तागोभी का प्रयोग।
पत्तागोभी का रस दिन में तीन कप सुबह दोपहर शाम में पियें। ध्यान रहे पत्तागोभी का ताज़ा रस ही काम करता हैं। कम से कम 2 से ३ सप्ताह तक पीना चाहिए। अवश्य लाभ होता हैं। इसके कच्चे पत्ते भी खा सकते हैं।

कब्ज में पत्तागोभी का प्रयोग।
पत्तागोभी के कच्चे पत्ते खाने से पुराना कब्ज़ दूर हो जाता हैं। यह शरीर में व्याप्त विजातीय पदार्थ, दोषपूर्ण पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।