Friday 30 December 2016

सर्दी के मौसम में खाएंगे अलसी के लड्डू, नहीं होंगी ये बीमारियां Amazing benifit of Alsi ke-Laddu in winter-season

अलसी में मौजूद घुलनशील फाइबर प्राकृतिक रुप से आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाता है 

 सर्दी के मौसम में सर्दी, जुकाम, हाथ-पैंरों और जोड़ों में दर्द की समस्या कई लोगों को होती है। इस मौसम में हमे गर्मागम चीजें अच्छी लगती है। सर्दियों में आप अपने खाने के शेयड्यूल में कुछ बदलाव करके इन बीमारियों से बच सकते है। सर्दी के मौसम में खुद को गर्म रखने के लिए गर्म तासीर वाला भोजन करना बहुत जरूरी है। आज हम आपको ऐसी एक स्वादिष्ट खाने की चीज के बारे में बताने जा रहे है जो आपको स्वाद को बढ़ाने के साथ-साथ शरीर के लिए भी काफी फायदेमंद है।

अलसी के नियमित सेवन से नहीं होती कब्ज, खांसी
वो स्वादिष्ट चीज है अलसी के लड्डू। सर्दी के मौसम में असली के लड्डू का सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है। सर्दियों में रोज सुबह अलसी के लड्डू खाने से बॉडी को ताजगी और स्फूर्ति का अहसास होता है। यह हमारी बॉडी को इतनी ताकत देता है कि इस मौसम में होने वाली कई बीमारियों तो यूं ही गायब हो जाती है। इसके अलावा इसके नियमित सेवन से आप कब्ज, खांसी आदि बीमारियों से बचे रहते हैं। यहीं नहीं अलसी शरीर के अंदर मौजूद अतिरिक्त फैट कम करने में असरदार है।

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाता है अलसी
यह हमारे बॉडी के वजन को नियंत्रित करने का भी काम करती है। अलसी में मौजूद घुलनशील फाइबर प्राकृतिक रुप से आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाता है। अलसी में अल्फा लाइनोइक एसिड अर्थराइटिस, अस्थमा, डायबिटीज और कैंसर से लडऩे में मदद करता है। इसके अलावा अलसी के लड्डू में ओमेगा-3 फैटी एसिड पया जाता है जो कि हमारी बॉडी को इन बीमारियों से लडऩे की ताकत देता है। इस तरह आप अलसी के लड्डू खाकर अपने आप सर्दियों में इस तरह की कई बीमारियों से बचा सकते हैं।

गर्भावस्था में ऐसा हो आपका आहार Diet-Fitness-in-Pregnancy follow this diet chart

गर्भवती महिला को यह नहीं भूलना चाहिए कि वह जो भी खाती हैं उससे बच्चे को पोषण मिलता है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ आहार का सेवन करना चाहिए 




मांं बनने का अहसास ही अनोखा होता है। गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान अपने खान-पान का खास ध्यान रखना चाहिए। गर्भवती महिला को यह नहीं भूलना चाहिए कि वह जो भी खाती हैं उससे बच्चे को पोषण मिलता है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ आहार का सेवन करना चाहिए। न्यूट्रिशनिस्ट तमन्ना नारंग ने गर्भवती महिलाओं के आहार के संबंध में ये सुझाव दिए हैं :

प्रोटीन : गर्भावस्था के दौरान बच्चे और प्लेसेंटा के विकास के लिए प्रोटीन युक्त आहार जरूर लेना चाहिए। यह जी मिचलाने और थकान से भी लडऩे में मददगार है। महिला को कितना प्रोटीन लेना चाहिए, यह महिला के वजन पर निर्भर करता है। सी फूड, लीन मीट, दाल, अंडा, दूध, बीन्स, अनसाल्टेड नट और सीड्स इसका अच्छा स्रोत है।

उपयोगी सुझाव : 90 प्रतिशत गर्भवती भारतीय महिलाओं में प्रोटीन की कमी है। प्रोटीन की मात्रा या कमी से संबंधित जानकारी के लिए पोषण विशेषज्ञ से संपर्क करें। चिकित्सक भी प्रोटान से संबंधित खुराक के बारे में बता सकते हैं।

आयरन : आयरन खून की कमी और संक्रमण से बचाता है। यह बच्चे और उसके दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पूरे गर्भावस्था के दौरान और अतिरिक्त रूप से 760 मिलीग्राम आयरन की जरूरत होती है। लीन मीट, स्किनलेश चिकन, मछली अच्छी तरह से पके अंडे, दाल, हरे पत्तीदार सब्जियां, फलियां, मेवा और अनाज आदि आयरन के अच्छे स्रोत हैं।

उपयोगी सुझाव : शरीर में अच्छी तरह से आयरन की आपूर्ति के लिए विटामिन सी युक्त फलों का भोजन के साथ या भोजन करने के फौरन बाद सेवन करें। चाय पीने के एक घंटे बाद या एक घंटे पहले आयरन से समृद्ध आहार लेने से बचें।

कैल्शियम : मां के खून में कैल्शियम की आपूर्ति होने से बच्चे के शरीर की हड्डियां अच्छी तरह से विकसित होती है। बच्चे के दिल, नसों और मांसपेशियों का विकास कैल्शियम पर निर्भर करता है, अगर मां कैल्शियम को पर्याप्त मात्रा में नहीं ले रही है तो फिर उसकी हड्डियों के भी कमजोर होने की संभावना बढ़ जाती है। गर्भावस्था के दौरान रोजाना 200 मिलीग्राम कैल्शियम युक्त आहार लेना चाहिए। कम वसा वाले डेयरी उत्पाद (स्किम्ड मिल्क, पनीर, दही), खाने लायक हड्डियां युक्त मछलियां जैसे सार्डिन, टोफू, नाश्ते में अंकुरित अनाज, ब्रेड, रोटी, साबूत बादाम, संतरे, सूखे मेवे जैसे अखरोट और हरी पत्तेदार सब्जियां कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं।

उपयोगी सुझाव : कैल्शियम सबसे जरूरी खुराक है। यह गर्भावस्था के दौरान मां की पोषण की जरूरतों को पूरा करता है। पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी लेने से भी शरीर में कैल्शियम की

आपूर्ति होती है। 

Thursday 24 November 2016

अमरूद के सेवन से मिलने वाले 15 फायदे 15 Benefits Arising From the Use of Guava

अमरूद में विटामिन सी और शर्करा काफी मात्रा में होती है। अमरूद में पेक्टिन की मात्रा भी बहुत अधिक होती है। अमरूद को इसके बीजों के साथ खाना अत्यंत उपयोगी होता है, जिसके कारण पेट साफ रहता है। अमरूद का उपयोग चटनियां, जेली, मुरब्बा और फल से पनीर बनाने में किया जाता है। आइए जानते हैं कि आखिर ठंड में अमरूद खाने के क्या फायदे हो सकते हैं।

अमरूद के सेवन से मिलने वाले 15 फायदे


  1. अमरूद हाई एनर्जी फ्रूट है जिसमें भरपूर मात्रा में विटामिन और मिनरल्‍स पाए जाते हैं। ये तत्व हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं।
  2. डीएनए को सुधारे अमरूद में पाया जाने वाला विटामिन बी-9 शरीर की कोशिकाओं और डीएनए को सुधारने का काम करता है।
  3. दिल का साथी अमरूद में मौजूद पोटैशियम और मैग्‍नीशियम दिल और मांसपेशियों को दुरुस्‍त रखकर उन्‍हें कई बीमारियों से बचाता है।
  4. अगर आप अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना चाहते हैं तो अमरूद का सेवन करना बहुत फायदेमंद होगा।
  5. अमरूद के नियमित सेवन से सर्दी जुकाम जैसी समस्‍याओं के होने का खतरा कम हो जाता है।
  6. अमरूद में पाया जाने वाला विटामिन ए और ई आंखों, बालों और त्‍वचा को पोषण देता है।
  7. अमरूद में मौजूद लाइकोपीन नामक फाइटो न्‍यूट्र‍िएंट्स शरीर को कैंसर और ट्यूमर के खतरे से बचाने में सहायक होते हैं।
  8. अमरूद में बीटा कैरोटीन होता है जो शरीर को त्‍वचा संबंधी बीमारियों से बचाता है।
  9. अमरूद का नियमित सेवन करने से कब्‍ज की समस्‍या में राहत मिलती है।
  10. फल के साथ ही अमरूद की पत्तियों का सेवन मुंह के छालों को दूर करने में कारगर होता है।
  11. अमरूद का रायता, चटनी, अचार और शेक खाने का स्‍वाद बढ़ा देते हैं।
  12. अमरूद मेटाबॉलिज्‍म को सही रखता है जिससे शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर नियंत्रित रहता है।
  13. कच्‍चे अमरूद में पके अमरूद की अपेक्षा विटामिन सी अधिक पाया जाता है। इसलिए कच्‍चा अमरूद खाना ज्‍यादा फायदेमंद होता है।
  14. अमरूद में फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है इसलिए यह डायबिटिज के मरीजों के लिए बहुत अच्‍छा होता है।
  15. थायरॉइडनॉर्मल थायरॉइड में भी डॉक्‍टर अमरूद खाने की सलाह देते हैं।


पेटदर्द
अमरूद के पेड़ की पत्तियों को बारीक पीसकर काले नमक के साथ चाटने से लाभ होता है। अमरूद के फल की फुगनी (अमरूद के फल के नीचे वाले छोटे पत्ते) में थोड़ा-सी मात्रा में सेंधानमक को मिलाकर गुनगुने पानी के साथ पीने से पेट में दर्द समाप्त होता है। यदि पेट दर्द की शिकायत हो तो अमरूद की कोमल पत्तियों को पीसकर पानी में मिलाकर पीने से आराम होता है।

अपच
अपच, अग्निमान्द्य और अफारा के लिए अमरूद बहुत ही उत्तम औषधि है। इन रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को 250 ग्राम अमरूद भोजन करने के बाद खाना चाहिए। जिन लोगों को कब्ज न हो तो उन्हें खाना खाने से पहले खाना चाहिए।

बवासीर
सुबह खाली पेट 200-300 ग्राम अमरूद नियमित रूप से सेवन करने से बवासीर में लाभ मिलता है। कुछ दिनों तक रोजाना सुबह खाली पेट 250 ग्राम अमरूद खाने से भी बवासीर ठीक हो जाती है। बवासीर को दूर करने के लिए सुबह खाली पेट अमरूद खाना उत्तम है। मल-त्याग करते समय बांयें पैर पर जोर देकर बैठें। इस प्रयोग से बवासीर नहीं होती है और मल साफ आता है। पके अमरुद खाने से पेट का कब्ज खत्म होता है, जिससे बवासीर रोग दूर हो जाता है।

कब्ज
अच्छी किस्म के तरोताजा बड़े-बड़े अमरूद लेकर उसके छिलकों को निकालकर टुकड़े कर लें और धीमी आग पर पानी में उबालें। जब अमरूद आधे पककर नरम हो जाएं, तब नीचे उतारकर कपड़े में डालकर पानी निकाल लें। उसके बाद उससे 3 गुना शक्कर लेकर उसकी चासनी बनायें और अमरूद के टुकड़े उसमें डाल दें। फिर उसमें इलायची के दानों का चूर्ण और केसर इच्छानुसार डालकर मुरब्बा बनायें। ठंडा होने पर इस मुरब्बे को चीनी-मिट्टी के बर्तन में भरकर, उसका मुंह बंद करके थोड़े दिन तक रख छोड़े। यह मुरब्बा 20-25 ग्राम की मात्रा में रोजाना खाने से कब्जियत दूर होती है।

खांसी
एक कच्चे अमरूद को लेकर चाकू से कुरेदकर उसका थोड़ा-सा गूदा निकाल लेते हैं। फिर इस अमरूद में पिसी हुई अजवायन तथा पिसा हुआ कालानमक 6-6 ग्राम की मात्रा में लेकर भर देते हैं। इसके बाद अमरूद पर कपड़ा लपेटकर उसमें गीली मिट्टी का लेप चढ़ाकर आग में भून लेते हैं पकने के बाद इसके ऊपर से मिट्टी और कपड़ा हटाकर अमरूद को पीस लेते हैं। इसे आधा-आधा ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम रोगी को चटाने से काली खांसी में लाभ होता है।

जल्द घाव भरना
अमरूद की कोमल पत्तियां उबालकर पीने से पुराने दस्तों का रोग ठीक हो जाता है। दस्तों में आंव आती रहे, आंतों में सूजन आ जाए, घाव हो जाए तो 2-3 महीने लगातार 250 ग्राम अमरूद रोजाना खाते रहने से दस्तों में लाभ होता है। अमरूद में-टैनिक एसिड होता है, जिसका प्रधान काम घाव भरना है। इससे आंतों के घाव भरकर आंते स्वस्थ हो जाती हैं।

अमरूद कब हो सकता है हानिकारक

शीत प्रकृति वालों को और जिनका आमाशय कमजोर हो, उनके लिए अमरूद हानिकारक होता है। बारिश के सीजन में अमरूद के अंदर सूक्ष्म धागे जैसे सफेद कीडे़ पैदा हो जाते हैं जिसे खाने वाले व्यक्ति को पेट दर्द, अफारा, हैजा जैसे विकार हो सकते हैं। हालांकि ठंड में ताजे अमरूद खाने से फायदेमंद होते हैं, लेकिन यदि कुछ दिन तक पुराने हो जाए तो नहीं खाना चाहिए। इसके बीज सख्म होने के कारण आसानी से नहीं पचते और यदि ये एपेन्डिक्स में चले जाए, तो रोग पैदा कर सकते हैं। अत: इनके बीजों के सेवन से बचना चाहिए। 

Wednesday 16 November 2016

गुणों से मालामाल मूली

ताजी व कोमल मूली, त्रिदोषशामक, जठराग्निवर्धक व उत्तम पाचक है | गर्मियों में इसका सेवन लाभकारी है | इसका कंद, पत्ते, बीज सभी औषधीय गुणों से सम्पन्न हैं | ताजी व कोमल मूली ही खानी चाहिए | पुरानी, सख्त व मोटी मूली त्रिदोषप्रकोपक, भारी एवम रोगकारक होती है |
इसके १०० ग्राम पत्तों में ३४० मि.ग्रा. कैल्शियम, ११० मि.ग्रा. फास्फोरस व ८.८ मि.ग्रा. लोह तत्त्व पाया जाता है | प्रचुर मात्रा में निहित ये खनिज तत्त्व दाँत एवं हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और रक्त को बढ़ाते हैं | इसके पत्ते सलाद के रूप में अथवा सब्ब्जी बनाकर भी खाये जा सकते हैं | पत्तों के रस का भी सेवन किया जाता हैं | इसके पत्ते गुर्दे के रोग, मूत्र-संबंधी विकार, उच्च रक्तचाप, मोटापा, बवासीर व पाचन-संबंधी गड़बड़ियों में खूब लाभदायी हैं |
गर्मी में अधिक पसीना आने से शारीर में सोडियम की मात्रा कम हो जाती है | मूली में ३३ मि.ग्रा. सोडियम पाया जाता है, अत: मूली खाने से इसकी आपूर्ति सहजता से हो जाती है और थकान भी मिट जाती है |

पत्ते भी हैं फायदेमंद-

अक्सर लोग मूली खाकर उसके पत्तों को फेंक देते हैं, जबकि पत्तों में भी स्वाद तथा काफी मात्र में पोषक तत्व होते हैं। उन्हें भूजी- सब्जियां, पराठों में प्रयोग करें। इसमें पतली-पतली फलियां भी आती हैं, जिसे मोंगर या मोंगरा के नाम से जाना जाता है। इन फलियों की सब्जियां बहुत स्वादिष्ट बनती हैं। हमेशा छोटी, पतली तथा ताजा मूली का ही प्रयोग करें।
हड्डियों को मजबूती दे-
मूली खाने से शरीर की विषैली गैस (कार्बन डाई ऑक्साइड) का निष्कासन होता है तथा जीवनदायी ऑक्सीजन की प्राप्ति होती है। मूली खाने से दांत मंसूड़े मजबूत होते हैं, हड्डियों में मजबूती आती है। थकान मिटाने और नींद लाने में भी मूली सहायक है।
पीलिया में फायदेमंद-
यह उच्च रक्तचाप, बवासीर की तकलीफ में लाभकारी है। इसका रस निकाल पीने से मूत्र रोगों में भी लाभ होता है। पीलिया रोग में ताजा मूली का प्रयोग बहुत ही उपयोगी है।
मोटापा से मुक्ति दिलाए-
आज की महाबीमारी मोटापा से परेशान हैं तो इसके रस में नींबू व नमक मिला कर नियमित सेवन करें, लाभ होगा। सिर में जूं पड़ रही हो तो इसका रस पानी में मिला कर धोएं।
हीमोग्लोबिन की कमी दूर करे-
मूली के रस में सामान मात्र में अनार का रस मिला कर पीने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
दांतों को चमकाए-
इसके खाने से रक्तविकार दूर होते हैं। त्वचा के दाग धब्बे हटते हैं। दांतों पर पीलापन हो तो मूली के टुकड़े पर नींबू का रस लगाकर दांतों पर धीरे-धीरे मलने से दांत साफ होंगे। इसके अलावा मूली को काट कर नींबू लगा कर छोटे छोटे टुकड़े दांतों से काट कर धीरे-धीरे चबाएं। थोड़ी देर बाद उगल दें। ऐसा नियमित रूप से करने से दांतों पर चढ़ी पीली परतें हट जाएंगी।
पायरिया से राहत-
पायरिया से परेशान लोग मूली के रस से दिन में 2-3 बार कुल्ले करें और इसका रस पिएं तो लाभ होगा। मूली के रस से कुल्ले करना, मसूड़ों-दांतों पर मलना और पीना दांतों के लिये बहुत लाभकारी है। मूली को चबा-चबा कर खाना दांतों व मसूड़ों को निरोग करता है।
कब्ज से राहत दिलाए-
कब्ज से परेशान हैं तो मूली पर नींबू व नमक लगा कर सवेरे खाएं, लाभ होगा। भोजन में मूली सलाद के रूप में लें तो और लाभ होगा। सुबह-शाम मूली का रस पीने से पुराने कब्ज में भी लाभ होता है। इस दौरान तला-भूना भोजन न खाएं, बल्कि खिचड़ी, दलिया आदि खाएं।
पेट-दर्द में कारगर
पेट-दर्द परेशान करे तो मूली का रस नींबू मिला कर पिएं या मूली का अचार खाएं।
मुंह की दुर्गन्ध दूर करे -
मुंह से गंध आती हो तो मूली के पत्तों पर सेंधा नमक मिला कर सवेरे-सवेरे
रोज खाएं। दुर्गन्ध नष्ट होगी।
चेहरा दमकाए, खूबसूरत बनाएहम सभी खूबसूरत दिखना चाहते हैं लेकिन मुंहासे और झाईयां चेहरे की खूबसूरती छीन लेती हैं। अगर आप इससे मुक्ति के लिए काफी प्रयास कर चुके हैं तो इस बार मूली को आजमा कर देखें, लाभ होगा। मुंहासों के लिए मूली का टुकड़ा गोल काट कर मुंहासों पर लगाएं और तब तक लगाए रखें, जब तक यह खुश्क न हो जाए। थोड़ी देर बाद चेहरे को ठण्डे पानी से धो लें, काफी लाभ होगा। मुंहासे निकलना खून की खराबी का लक्षण है। मूली के सेवन से इस समस्या से मुक्ति मिलती है।

Wednesday 9 November 2016

इन फूड्स को खाने के बाद नहीं पड़ेगी वियाग्रा की जरुरत

सेक्सुअल लाइफ को अगर आप और ज्यादा एंज्वॉय करना चाहते हैं, तो ऐसे फूड को खाएं जो आपकी स्टेमिना को बढ़ाए। इन फूड का सेवन करने से न सिर्फ आपकी सेक्सुअल लाइफ पर पॉजिटिव असर पड़ेगा, बल्कि अलग से सेक्सुअल एक्सपीरियंस भी बेहतर और अलग होगा।

जाने क्या खाकर आप बढ़ा सकेंगे अपनी सेक्स पावर-

अवोकैडो- बेहतर सेक्स लाइफ के लिए विटामिन बी-6 और फॉलिक एसिड की जरूरत होती है। फॉलिक एसिड बॉडी को एनर्जी से पूरा करता है तो वहीं विटामिन बी-6 हॉर्मोंस को स्थिर बनाता है। अवोकैडो में यह दोनों ही चीजें पाई जाती हैं।

केला- इसके अंदर प्रचुर मात्रा में ब्रोमेलिन पाया जाता है, जो कामेच्छा को बढ़ाने में आपकी मदद करता है। रीबोफ्लैविन और पौटेशियम एनर्जी लेवल को बढ़ाने में मदद करता है।

स्ट्रॉबेरीज, पीच और बेरीज- इन सभी फलों में बीज में जिंक होता है जो सेक्स को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाती है। जिंक महिलाओं को सेक्स के लिए मानसिक रूप से तैयार करती है। जबकि पुरुषों में जिंक टेस्टोस्टोरेन को कंट्रोल करता है, जो स्पर्म के प्रॉडक्शन को बढ़ाता है।

अंडा- इसमें विटामिन बी-6 बी-5 के पावरहाउस होते हैं जो स्ट्रेस को घटाता है। इसके साथ ही महिलाओं और पुरुष दोनों में सेक्स की इच्छा को जगाता है।

अजवाइन- इसमें एल्डेस्टेरोन पाया जाता है जो महिलाओं में सेक्स करने के मूड को बनाती है।

डार्क चॉकलेट- डार्क चॉकलेट में सीरोटोनिन और एंडोरफिंस होता है, जो आपके मूड को सेक्स के प्रति और एक्साइटेड करती है।

ड्राई फ्रूट्स और नट्स- नट्स में आर्जीनिन होता है, जो ब्लड सर्कुलेशन बेहतर बनाकर धमनियों को राहत पहुंचाने का काम करता है। वहीं बादाम में पाया जाने वाला अमीनो एसिड इरेक्शन को बेहतर करने में मदद करता है।

अंजीर- इसमें अमीनो एसिड्स के सबसे अच्छे स्रोत होते हैं, जो आपकी सेक्स की इच्छा को और बढ़ा देती है। इसको खाने से स्टैमिना भी बढ़ती है।

लहसुन- इसमें कोमोत्तेजक गुण पाए जाते हैं, जो ब्लड सर्कुलेशन और सेक्सुअल परफॉर्मेंस को बढ़ाता है। ध्यान दें कि इसका सेवन ज्यादा न करें।

Thursday 27 October 2016

दो लोगों का प्यार किस-किस मोड़ से गुज़रता है, दर्शाती हैं ये Sex Positions

ज़िन्दगी को बिना प्यार के सोच कर देखिए. सोचिए अगर आपका कोई लाइफ पार्टनर न होता, शादी न होती. ज़ाहिर सी बात है अगर शादी न होती तो आप ये पढ़ने के लिए इस दुनिया में न होते. ​किसी भी दूसरे सुख की तरह भौतिक सुख भी ज़िन्दगी में बेहद ज़रूरी है. दिनभर की फर्जी चकल्ल्स, काम और टेंशन से उभरने के लिए ज़िन्दगी में रोमांस और प्यार ज़रूरी है. कहते हैं जिसकी सेक्स लाइफ अच्छी होती है उसका जीवन बेहद खुशहाल होता है. तो आपके जीवन को खुशियों से भरने के लिए हम लाए हैं दुनिया की सबसे रोमांटिक Sex Positions की लिस्ट.





















संभल कर! सभी पोजिशंस ट्राई करने से पहले अपनी बॉडी फिट ज़रूर कर लीजिएगा.

Saturday 15 October 2016

Magical Drink For Weight Loss - मोटी से मोटी तोंद घटाएँ अब चुटकीयों में,रात में सिर्फ 1 ग्लास इस जादुई जूस का पिए, और फिर कमाल देखें

हम लोग अक्सर अपनी निकलती हुई तोंद (belly fat) से परेशान रहते हैं और उसे कम करने के लिए कई तरह के जतन करते हैं। लेकिन अब आपको बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे आप इस आसान से बनने वाले जूस का सोने से पहले सेवन करके कर सकते हैं तोंद को गुड-बाय। चाहे मोटी से मोटी तोंद ही क्यों ना हो सिर्फ 1 ग्लास रात को पीने से वो हो जायेगी फुटबॉल से गेंद।
सोने से पहले खीरे के जूस का सेवन करें। खीरे का जूस पेट को साफ करता है। इसके साथ ही यह फैट भी नहीं बढ़ाता है। इसमें कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है और और आपकी निकलती हुई तोंद को कंट्रोल (weight loss) करने में काफी लाभदायक होता है।

➡ खीरे के जूस 🍹 की सामग्री :
– दो खीरे  🍆🍆
– दो छोटे चम्मच नींबू का रस  🍋🍋
– अदरक का एक छोटा टुकड़ा  🍗🍗
– दो छोटे चम्मच चीनी  🍚
– एक छोटा चम्मच- भुना जीरा पाउडर 🍜
– तीन से चार पुदीना पत्ती 🌿
– काला व सफेद नमक स्वादानुसार 🍚
➡ खीरे का जूस 🍹

 बनाने की विधि :
खीरे को धोलें और छोटा छोटा काट कर छिलके सहित जूसर में डालें। अदरक और पुदीना भी जूसर में डाल दें और जूस निकाल लें। इसमें चीनी, नींबू का रस, भुना जीरा पाउडर, काला व सफेद नमक स्वादानुसार डालकर अच्छी तरह हिलाएं। फिर 1 ग्लास झट से गटक (पीना) जाए और इसका कमाल देखे, देखते ही देखते तोंद हो जायेगी फिट एंड फाइन।

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सहजन (Drumstick tree) के आयुर्वेदिक और औषधीय गुण (Drumstick is Medicine over Three hundred diseases)

दुनीया का सबसे ताकतवर पोषण पुरक आहार है सहजन (मुनगा) 300 से अधि्क रोगो मे बहोत फायदेमंद इसकी जड़ से लेकर फुल, पत्ती, फल्ली, तना, गोन्द हर चीज़ उपयोगी होती है सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। एक अध्ययन के अनुसार इसमें दूध की तुलना में 4 गुना  कैल्शियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है। प्राकृतिक गुणों से भरपूर सहजन इतने औषधीय गुणों से भरपूर है कि इसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। यह सिर्फ खाने वाले के लिए ही नहीं, बल्कि जिस जमीन पर यह लगाया जाता है, उसके लिए भी लाभप्रद है।



  • आयुर्वेद में सहजन से तीन सौ रोगों का उपचार संभव है
  • सहजन के पौष्टिक गुणों की तुलना
  • 100 ग्राम सहजन, 5 गिलास दूध जितनी ताकतवर
  • सहजन (Drumstick tree) के आयुर्वेदिक और औषधीय गुण
  • सहजन का पेड़ सेहत का खजाना
  • Drumstick is Medicine over Three hundred diseases
  • सहजन पेड़ नहीं मानव के लिए कुदरत का चमत्कार
  • सहजन से बढ़ाएं सेक्स पावर, जानें 7 बेहतरीन लाभ
  • वैवाहिक जीवन के लिए वरदान है सहजन का सूप
  • कई बीमारियों को दूर करती है सहजन
  • सहजन से बढ़ाएं सेक्स पावर  
  • सहजन में छुपा है कई रोगों का इलाज, जानें इसके कुछ बेहद खास गुणों को


1-विटामिन सी- संतरे से सात गुना
2-विटामिन ए- गाजर से चार गुना
3-कैलशियम- दूध से चार गुना
4-पोटेशियम- केले से तीन गुना
5-प्रोटीन- दही की तुलना में तीन गुना


  • स्वास्थ्य के हिसाब से इसकी फली, हरी और सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन , कैल्शियम , पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम,
  • विटामिन-ए , सी और बी-काम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाई जाती है
  • इनका सेवन कर कई बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है, इसका बॉटेनिकल नाम ‘ मोरिगा ओलिफेरा ‘ है हिंदी में इसे सहजना , सुजना , सेंजन और मुनगा नाम से भी जानते हैं.
  • जो लोग इसके बारे में जानते हैं , वे इसका सेवन जरूर करते हैं
  • सहजन में दूध की तुलना में चार गुना कैल्शियम और दोगुना प्रोटीन पाया जाता है.
  • ये हैं सहजन के औषधीय गुण सहजन का फूल पेट और कफ रोगों में , इसकी फली वात व उदरशूल में , पत्ती नेत्ररोग , मोच , साइटिका , गठिया आदि में उपयोगी है
  • इसकी छाल का सेवन साइटिका , गठिया , लीवर में लाभकारी होता है। सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात और कफ रोग खत्म हो जाते हैं
  • इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया , साइटिका , पक्षाघात , वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है। साइटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है.
  • मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं और मोच के स्थान पर लगाने से जल्दी ही लाभ मिलने लगता है |
  • सहजन की सब्जी के फायदे.


सहजन के फली की सब्जी खाने से पुराने गठिया , जोड़ों के दर्द , वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है।
इसके ताजे पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है साथ ही इसकी सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है,
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  • इसकी जड़ की छाल का काढ़ा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है
  • सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के किड़े निकालता है और उल्टी-दस्त भी रोकता है
  • ब्लड प्रेशर और मोटापा कम करने में भी कारगर सहजन का रस सुबह-शाम पीने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है
  • इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे-धीरे कम होनेलगता है
  • इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़े नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है
  • इसके कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होता है इसके अलावा इसकी जड़ के काढ़े को सेंधा नमक और हिंग के साथ पीने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है।
  • इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सूजन ठीक होते हैं
  • पानी के शुद्धिकरण के रूप में कर सकते हैं इस्तेमाल सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

इसके बीज को चूर्ण के रूप में
पीसकर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लेरीफिकेशन एजेंट बन जाता है यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है , बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है।

काढ़ा पीने से क्या-क्या हैं फायदे
  • कैंसर और पेट आदि के दौरान शरीर के बनी गांठ , फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन , हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है यह भी पाया गया है कि यह काढ़ा साइटिका (पैरों में दर्द) , जोड़ों में दर्द , लकवा ,दमा,सूजन , पथरी आदि में लाभकारी है |
  •  सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है। आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से वायरस से होने वाले रोग , जैसे चेचक के होने का खतरा टल जाता है

शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है , जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिए अति आवश्यक है। सहजन में विटामिन-सी की मात्रा बहुत होती है। यह शरीर के कई रोगों से लड़ता है

सर्दी-जुखाम
यदि सर्दी की वजह से नाक-कान बंद हो चुके हैं तो , आप सहजन को पानी में उबालकर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।

हड्डियां होती हैं मजबूत.
  • सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है , जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं। इसके अलावा इसमें आइरन , मैग्नीशियम और सीलियम होता है
  • इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है , इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है, गर्भवती महिला को इसकी पत्तियों का रस देने से डिलीवरी में आसानी होती है।
  • सहजन में विटामिन-ए होता है , जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिए प्रयोग किया आता जा रहा है
  • इसकी हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढ़ापा दूर रहता है इससे आंखों की रोशनी भी अच्छी होती है
  • यदि आप चाहें तो सहजन को सूप के रूप में पी सकते हैं इससे शरीर का खून साफ होता है |

कुछ अन्य उपयोग –

1) . सहजन के फूल उदर रोगों व कफ रोगों में इसकी फली वात व उदरशूल में पत्ती नेत्ररोग, मोच ,शियाटिका ,गठिया आदि में उपयोगी है।2) सहजन की जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग साईटिका ,गठिया,,यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है।
3) . सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है
4) . सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वातए व कफ रोग शांत हो जाते है, इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है\ साईं टिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है
5) सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है।6) सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है।
7) सहजन की सब्जी खाने से पुराने गठिया और जोड़ों के दर्द व् वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है।
8) सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।
9) .सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है।
10) . सहजन की जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।
11) . सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है।
12) सहजन फली का रस सुबह शाम पीने से
उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
13) सहजन की पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है।
14) . सहजन. की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।
15) . सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है।
16) सहजन. की जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है।
17) . सहजन की पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है।
18) सहजन के पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे तो सर दर्द दूर हो जाता है .
19) सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
20) . सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तोए आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। ईससे जकड़न कम होगी।
21) . सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन , मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
22) .सहजन का जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।23) सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।
24) सहजन का सूप पीने से शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।
25) . सहजन के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है। त्वचा साफ करने के लिए सहजन के बीजों का सत्व कॉस्मेटिक उद्योगों में बेहद लोकप्रिय है। सत्व के जरिए त्वचा की गहराई में छिपे विषैले तत्व बाहर निकाले जा सकते हैं।
26) . सहजन के बीजों का पेस्ट त्वचा के रंग और टोन को साफ रखने में मदद करता है।मृत त्वचा के पुनर्जीवन के लिए इससे बेहतर कोई रसायन नहीं है। धूम्रपान के धुएँ और भारी धातुओं के विषैले प्रभावों को दूर करने में सहजन के बीजों के सत्व का प्रयोग सफल साबित हुआ है।

27)  सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। एक अध्ययन के अनुसार इसमें दूध की तुलना में 4 गुना  कैल्शियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है। प्राकृतिक गुणों से भरपूर सहजन इतने औषधीय गुणों से भरपूर है कि इसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। यह सिर्फ खाने वाले के लिए ही नहीं, बल्कि जिस जमीन पर यह लगाया जाता है, उसके लिए भी लाभप्रद है।

28) सहजन पाचन से जुड़ी समस्याओं को खत्म कर देता है। हैजा, दस्त, पेचिश, पीलिया और कोलाइटिस होने पर इसके पत्ते का ताजा रस, एक चम्मच शहद, और नारियल पानी मिलाकर लें, यह एक उत्कृष्ट हर्बल दवाई है।

29) सहजन के पत्ते का पाउडर कैंसर और दिल के रोगियों के लिए एक बेहतरीन दवा है। यह ब्लडप्रेशर कंट्रोल करता है। इसका प्रयोग पेट में अल्सर के इलाज के लिए किया जा सकता है। यह पेट की दीवार के अस्तर की मरम्मत करने में सक्षम है। यह शरीर की ऊर्जा का स्तर बढ़ा देता है।

30) इसके बीज में पानी को साफ करने का गुण होता है। बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है ।

31) कुपोषण पीड़ित लोगों के आहार के रूप में सहजन का प्रयोग करने की सलाह दी गई है। एक से तीन साल के बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह वरदान माना गया है। सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। इसका काढ़ा साइटिका रोग के साथ ही, पैरों के दर्द व सूजन में भी बहुत लाभकारी है।

32) इसका जूस प्रसूता स्त्री को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ  कम होती है। सहजन की पत्तियों के साथ ही सजहन का फल विटामिन्स से भरा होता है।  सहजन में विटामिन ए होता है, इसीलिए यह सौन्दर्यवर्धक के रूप में काम करता है। साथ ही, यह आंखों के लिए भी लाभदायक होता है।

33) पिंपल्स की प्रॉब्लम हो तो सहजन का सेवन करना चाहिए। इसके सूप से शरीर का खून साफ होता है। चेहरे पर लालिमा आती है और पिंपल्स की समस्या खत्म हो जाती है। सहजन की पत्तियों से तैयार किया गया सूप तपेदिक, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस आदि रोगों में भी दवा का काम करता है।

34) इसमें  कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है, जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है। इसीलिए महिलाओं व बच्चों को इसका सेवन जरूर करना चाहिए। इसमें जिंक भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो कि पुरुषों की कमजोरी दूर करने में अचूक दवा का काम करता है। इसकी छाल का काढ़ा और शहद के प्रयोग से शीघ्र पतन की बीमारी ठीक हो जाती है और यौन दुर्बलता भी समाप्त हो जाती है।

35) सहजन में ओलिक एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह एक तरह का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिए अति आवश्यक है। साथ ही सहजन में विटामिन सी बहुत मात्रा में होता है। यह कफ की समस्या में भी रामबाण दवा की तरह काम करता है। जुकाम में सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें।


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Monday 10 October 2016

लिंग का साइज बढ़ाने के नैचरली टिप्स

बहलाने वाले विज्ञापनों के चक्कर में पडकर अपने शिश्न की लंबाई, मोटाई एवं उत्तेजना बढ़ाने वाले दवाओं का सेवन कदापि ना करें . इससे फायदा तो दुर नुकसान अवश्य हो सकता है।
हर पुरुष के लिंग मे लंबाई, मोटाई तथा स्थिरता में भिन्नता तो अवश्य होती पर इस भिन्नता का यौन संतुष्टी, गर्भाधारण तथा यौन क्षमता पर कोई प्रभाव नहीं पडता. वास्तव में स्त्री के योनि का उपरी एक तिहाई भाग ही यौन स्पर्श के प्रति संवेदनशील होता है. अत; उत्तेजित अवस्था मे यदि शिश्न की लंबाई केवल 2 से.मे. भी हो तो वह अपने यौन साथी को प्रयाप्त यौन आनंद प्रदान करा पाने मे सक्ष्म होता है.
बॉडी की निगेटिव इमेज से सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी ग्रसित रहते हैं। पुरुषों में हीन भावना की जो सबसे आम समस्या है वह उनका अपने पेनिस (लिंग) के साइज को लेकर चिंतित रहना। अगर आप भी हैं इस परेशानी से पीड़ित हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है अपनाइए ये टिप्स और नैचरली बढ़ाइए अपने लिंग का साइज…

तनाव कम करिएः

निराशा और तनाव भी पेनिस के साइज को घटा देते हैं क्योंकि तनाव की स्थिति में ब्लड पेनिस से वापस लौट जाता है और पेनिस का साइज बढ़ नहीं पाता। परफॉर्मेंस का डर भी पेनिस के छोटे होने के कारणों में से एक है।

स्मोकिंग करना छोड़ दें:

सिगरेट के छोटे-छोटे कण धमनियों को ब्लॉक कर देते हैं जिससे शरीर के सभी हिस्सों तक पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं पहुंच पाता और शरीर के ठीक से विकास नहीं हो पाता। यही बात शरीर के दूसरे हिस्से के साथ पेनिस पर भी लागू होती है। इसलिए स्मोकिंग करना बंद कर दें।

हाई कैलरी के खाने को न कहें:

ज्यादा फैट और कैलरी वाले खाने से न सिर्फ दिल की बीमारियों का खरता बढ़ जता है बल्कि पेनिस के छोटे होने का भी खतरा रहता है। ऐक्ससार्इज और शारीरिक मेहनत न करने पर आपके धमनियों में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का भी खतरा रहता है, जिससे आपके लिंग में बल्ड सर्कुलेशन कम हो सकता है। इसलिए मोटे और स्वस्थ पेनिस (लिंग) के लिए जंक फूड खाना छोड़ दें।

नियमित एक्सर्साइज करें:

सिर्फ मजबूत मसल्स और वेट कम करने के लिए ही जिम जाने की वजह नहीं होती। अगर आप अपने पेनिस (लिंग) का साइज बढ़ाना चाहते हैं तो जिम जाइए, जिससे धमनियां का रास्ता साफ हो और बल्ड सर्कुलेशन भी ठीक ढंग से हो।

पेट का फैट कम करिएः

ज्यादा भारीभरकम पेट से पेनिस (लिंग) छोटा लगने लगता है। भले ही पेनिस (लिंग) बड़ा भी है लेकिन आपके भारीभरकम पेट के सामने वह छोटा ही नजर आएगा। इसलिए पेट के फैट को कम करिए।

ज्यादा सब्जियां और फल खाएं:

उन फलों और सब्जियों को खाएं जिनमें ऐंटि-ऑक्सिडेंट ज्यादा हो। यह कंपाउंड धमनियों में मौजूद फ्री रेडिकल्स से लड़ता है और धमनियों को मजबूत बनाता है। इसलिए ऐंटि-ऑक्सिडेंट से भरपूर फल और सब्जियों के सेवन से आप अपने पेनिस के साइज को बढ़ा सकते हैं।

मेडिटेशन करें:

बेहतर सेक्स लाइफ के लिए मेडिटेशन करिए या योगा करिए। मेडिटेशन से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और पेनिस का साइज बढ़ता है।

पत्ता गोभी है खतरनाक, लेकिन कुछ फायदे भी हैं इसके

पत्ता गोभी अन्य सब्जियों की तरह न्यूट्रिशन और प्रोटीन से भरपूर होती है। पत्ता गोभी में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो डाइटिंग करने वालों के लिए फायदेमंद है। आज हम आपको पत्ता गोभी में मौजूद गुणों के बारे में बता रहे हैं। 

पत्ता गोभी में पाए जाने वाला कीड़ा: पत्ता गोभी की खासियत के साथ-साथ हम आपको पत्ता गोभी से जुड़े एक सच के बारे में भी बता रहे हैं। पत्ता गोभी में टेव वर्म (कीड़ा) होता है जो खाने पर दिमाग में पहुंच जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, बंदगोभी और पत्ता गोभी में कीड़ा इतना पतला और छोटा होता
है कि देखा नहीं जा सकता। गोभी के कीड़े की रेजिस्टेंस पावर ज्यादा होती है। ये पेट में पाए जाने वाले एसिड व एंजाइम से भी नहीं मरता। अगर तापमान पानी के उबाल जितना भी हो जाए, तो भी यह जिंदा रहता है। ये दिमाग पर ही वार करता है। जैसे ही ये दिमाग पर अपना असर डालता है, रोगी को दौरे पड़ने लग जाते हैं। ऑपरेशन में देरी और गड़बड़ी से पूरे शरीर को लकवा मार सकता है।


इन सब कमियों के बावजूद पत्ता गोभी के काफी लाभ भी हैं। आइए जानते हैं:
  • पत्ता गोभी में बहुत कम मात्रा में कैलोरी पाई जाती है। एक कटोरी पत्ता गोभी में मात्र 33 कैलोरी पाई जाती हैं। इसमें फाइबर बहुत होता है। डायटिंग कर रहे लोगों के लिए यह बहुत ही अच्छी होती है।
  • इसमें विटामिन-के की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इससे दिमाग को सही तरीके से काम करने की ताकत मिलती है। इससे नर्व डैमेज का खतरा भी कम होता है।
  • पत्ता गोभी में पाए जाने वाले सल्फर से त्वचा को सेहतमंद बनाया जा सकता है। इससे तैलीय त्वचा को ठीक किया जा सकता है। इसके फेस मास्क से चेहरा दमकने लगता है।
  • इसमें पाए जाने वाले विटामिन सी की मदद से शरीर को डिटॉक्सिफाई किया जा सकता है। इससे एलर्जी की समस्या भी कम होती है।
  • इसमें पाए जाने वाले पोटेशियम से ब्लड वेसल्स को फैलने में मदद मिलती है। इससे ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं होती। हाई ब्लड प्रेशर वालों को ज्यादा फायदा होता है। 

पत्ता गोभी के औषधीय उपयोग:
  1. पायरिया (दांतों के मसूढ़ों से पीव का आना): पत्ता गोभी के कच्चे पत्ते 50 ग्राम रोजाना खाने से पायरिया व दांतों के अन्य रोगों में लाभ होता है। बंदगोभी का रस निकालकर पिएं तथा इसके मध्य भाग को सलाद बनाकर खाने से पायरिया तथा दांतों के अन्य रोग ठीक होते हैं। 
  2. घाव या चोट लगने पर: पत्ता गोभी के रस का सेवन करने से घाव ठीक होते हैं। पत्ता गोभी के आधे गिलास रस में पानी मिलाकर पीना चाहिए। इसके अलावा, घाव पर पत्ता गोभी के रस की पट्टी बांधने से आराम मिलता है। 
  3. बालों का गिरना: पत्ता गोभी के 50 ग्राम पत्ते को रोजाना 1 महीने तक खाने से झड़े हुए बाल फिर से उग आते हैं। 
  4. गैस्ट्रिक अल्सर: पत्ता गोभी के रस को पीने और गोभी के बीच वाले भाग को कच्चा सलाद के रूप में खाने से गैस्ट्रिक अल्सर और पेप्टिक अल्सर में लाभ होता है। 
  5. कैंसर जैसे रोग होने पर: सुबह खाली पेट पत्ता गोभी का कम से कम आधा कप रस रोजाना पीने से कैंसर की पहली स्टेज में काफी फायदा होता है। पत्ता गोभी में कैंसर को रोकने की अपार क्षमता है। चिकित्सकों का कहना है कि पत्तागोभी में एक ऐसा रसायन होता है, जिसमें स्तन कैंसर पैदा करने वाले तत्वों की मात्रा घटाने की क्षमता होती है। 
  6. कोलाइटिस (वृहद आंत्रिक प्रदाह): एक गिलास छाछ में चौथाई कप पालक का रस, 1 कप पत्ता गोभी का रस मिलाकर रोजाना दिन में 2 बार पीने से कोलाइटिस ठीक हो जाती है। 
  7. आमाशय का जख्म: पत्ता गोभी  का रस 1-1 कप दिन में 3 बार लगातार 14 दिनों तक पीने से आमाशय के रोगों में लाभ होता है। पत्ता गोभी को कच्चा खाने से भी आराम मिलता है। 
  8. पेप्टिक अल्सर: एक एक कप पत्ता गोभी का रस 3 बार रोजाना पीने से अल्सर का रोग ठीक हो जाता है। पत्ता गोभी का ताजा रस कम से कम 2 सप्ताह तक पीने से बहुत लाभ होता है। 
  9. नींद की कमी, पथरी और मूत्राशय में दिक्कत होने पर: पत्ता गोभी की सब्जी को घी से छौंककर खाने से अच्छी नींद आती है। इससे पथरी और पेशाब की रुकावट में भी लाभ मिलता है। 
  10. जोड़ों का दर्द: पत्ता गोभी के रस का सेवन करने से पेट के घावों के अलावा जोड़ों के दर्द, दांतों के रोग, खून की खराबी,  पीलिया, मस्तिष्क की कमजोरी और शरीर का मोटापा आदि रोगों में लाभ मिलता है। 
  11. कब्ज़ होने पर: पत्ता गोभी के कच्चे पत्ते रोजाना खाने से पुराना कब्ज दूर हो जाता है। शरीर में मौजूद गंदे पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। साथ ही, आंतों की कमजोरी के साथ गैस की शिकायत भी दूर होती है। 
  12. पत्ता गोभी खाएं, स्लिम हो जाएं: पत्ता गोभी के हरे पत्ते में बेशुमार गुण होते हैं। पत्ता गोभी को नियमित खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। हाल ही में हुए अध्ययनों से पता चला है कि पत्ता गोभी वजन घटाने में काफी लाभदायक साबित हुई है।
  13. इसके अलावा, पत्ता गोभी में विटामिन बी-1, बी-2, बी-3, बी-6 और बी-9 पाया जाता है। इसमें आयरन और कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में रहता है। साथ ही, यह पोटेशियम, जिंक, ग्लूटामाइन और मैग्नीशियम का भी बेहतर स्रोत है।
  14. आहार विशेषज्ञों के अनुसार, पत्ता गोभी में काफी मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। यह रेशेदार तत्वों से भरपूर है। यही नहीं, इसमें कुछ ऐसे तत्व होते हैं, जो शारीरिक विकास में मददगार होते हैं और बुद्धि को तेज करने में सहायक होते हैं। पत्ता गोभी में सेल्युलोस नामक तत्व होता है, जो हमें स्वस्थ रखने में सहायक है। यह तत्व शरीर से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को दूर करता है। इसे मधुमेह के रोगियों के लिए विशेष लाभकारी माना जाता है। यह खांसी, पित्त व रक्त विकार में भी लाभकारी है।
  15. जर्मन पद्धति के अनुसार, पत्ता गोभी को काटकर उसमें नमक लगाकर उसे खट्टा होने के लिए रख दिया जाता है। इस विधि से तैयार पत्ता गोभी को 'सोर क्राउट' के नाम से जाना जाता है। 'सोर क्राउट' में प्रचुर मात्रा में विटामिन पाए जाते हैं। हृदय रोगों को दूर करने के लिए सोर क्राउट का प्रयोग काफी लाभदायक है।  
  16. पेट व आंखों के अल्सर, उदर वायु, अमाशय या लिवर के रोगियों के लिए यह वरदान साबित हो सकता है। भूख बढ़ाने के लिए इसका प्रयोग किसी टॉनिक से कम नहीं है। 

पत्तागोभी (Cabbages)- सुपर फ़ूड और जटिल रोगो का समाधान

पत्तागोभी देखने में जितनी साधारण हैं उतनी ही गुणों में अमृत के समान हैं, अनेक कष्ट साध्य रोग जैसे कैंसर, कोलाइटिस, हार्ट, मोटापा, अलसर, ब्लड क्लॉटिंग रक्त के थक्के जमने में, उच्च रक्तचाप, नींद की कमी, पथरी, मूत्र की रुकावट में पत्तागोभी बहुत लाभकारी हैं। इसकी सब्जी घी से छौंककर बनानी चाहिए। पत्तागोभी को करमकल्ला के नाम से भी पुकारा जाता हैं। इसका रस, सलाद और सब्जी सभी गुणकारी हैं। आइये जाने इसके प्रयोग और उपयोग की विधि।

कैंसर में पत्तागोभी का प्रयोग ।
प्रात: खाली पेट सब से पहले कम से कम आधा कप पत्तागोभी का रस नित्य पियें। इससे आरंभिक अवस्था में कैंसर, बड़ी आंत का प्रदाह ठीक हो जाता हैं। यदि कैंसर पुराना हो और बड़ी स्टेज पर हो तो दिन में 3-४ बार पत्तागोभी का एक एक कप रस देना चाहिए। अनेक शोधो में सिर्फ पत्तागोभी के रस से असाध्य कैंसर को सही करने की बात कही गयी हैं। इसलिए कैंसर के मरीजों को ये ज़रूर पीना चाहिए।

कोलाइटिस Colitis (वृहद आंतरिक प्रदाह) में पत्तागोभी का प्रयोग
आज का विज्ञान जहाँ कोलाइटिस को सही करने में असमर्थ हैं वही पत्तागोभी इसको सही करने में बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस रोग में आंतो में सूजन आ जाती हैं। बार बार शौच जाना पड़ता हैं, मल के साथ तीव्र बदबू आती हैं और मल करते समय बहुत कष्ट होता हैं, मानो जान ही निकल जाए। इस रोग में एक गिलास छाछ में चौथाई पालक का रस, एक कप पत्तागोभी का रस मिलाकर नित्य दिन में दो बार सुबह और दोपहर में पियें। कुछ ही दिनों में कोलाइटिस ठीक हो जाती हैं।

कोलाइटिस Colitis के लिए अन्य प्रयोग।
दो दिन उपवास रखे। उपवास में केवल छाछ ही पियें। तीसरे दिन खाली पेट एक गिलास पानी, तीन चम्मच शहद डालकर इसमें आधा निम्बू निचोड़े और पियें। नाश्ते में एक कप गाजर का रस, भोजन में दही, एक कप गाजर का रस, चौथाई कप पालक का रस, और एक कप पत्तागोभी का रस मिलाकर पियें। शाम को भोजन में पपीता खाएं। ये प्रयोग उपवास के बाद जितने रोज़ हो सके करना चाहिए। एक सप्ताह में पूर्ण आराम मिल सकता हैं।

हृदय रोगो में पत्तागोभी का प्रयोग ।
एक कप पत्तागोभी के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर नित्य दो बार पीने से सीढियाँ चढ़ते समय दम फूलना, धड़कन तेज़ होना, हृदय की दुर्बलता आदि ठीक हो जाती हैं। रोगी को यह 2-३ महीने तक निरंतर करना चाहिए। अगर रक्त के थक्के भी जम गए हैं तो इसका निरंतर नित्य प्रयोग बहुत लाभ देता हैं।

मोटापे में पत्तागोभी का प्रयोग।
मोटे व्यक्तियों को पत्तागोभी का रस एक कप रस में आधा कप पानी मिलाकर पीना चाहिए। दिन में दो बार पीना चाहिए। इसे पीने से मोटापा कम होता हैं।

पायोरिया में पत्तागोभी का प्रयोग ।
पत्तागोभी के कच्चे पत्ते 50 ग्राम नित्य खाने से पायोरिया व् दांतो के अन्य रोगो में लाभ होता हैं।

बाल गिरना – गंज में पत्तागोभी का प्रयोग।
पत्तागोभी के 50 ग्राम पत्ते खाने से गिरे हुए बाल उग आते हैं। बाल गिरते हो, गंज हो गयी हो तो पत्तागोभी के रस से बालो को तर करके मले और 10 मिनट बाद सर धोएं। नित्य कुछ सप्ताह तक करने से लाभ होगा।

घाव (अलसर) में पत्तागोभी का प्रयोग।
पत्ता गोभी का रस आधा गिलास, आधा गिलास पानी मिला कर पीने से कैसे भी घाव सही होते हैं। घावों पर इसकी पट्टी भी की जा सकती हैं।

परिणाम शूल (पेप्टिक अलसर) में पत्तागोभी का प्रयोग।
पत्तागोभी का रस दिन में तीन कप सुबह दोपहर शाम में पियें। ध्यान रहे पत्तागोभी का ताज़ा रस ही काम करता हैं। कम से कम 2 से ३ सप्ताह तक पीना चाहिए। अवश्य लाभ होता हैं। इसके कच्चे पत्ते भी खा सकते हैं।

कब्ज में पत्तागोभी का प्रयोग।
पत्तागोभी के कच्चे पत्ते खाने से पुराना कब्ज़ दूर हो जाता हैं। यह शरीर में व्याप्त विजातीय पदार्थ, दोषपूर्ण पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।

Monday 29 August 2016

तनाव भगाना है तो ऐसे जिदंगी को बनाइए ‘मसाले’दार

डिप्रेशन आज के दौर में एक आम प्रॉब्लम है. और जाहिर है जब प्रॉब्लम आम है तो लोग इससे बचने के तरीके भी आम ही अपनाते हैं. लोग इस परेशानी में खुद को कमरे में बंद कर लेते हैं, दोस्तों से मिलना जुलना बंद कर देते हैं. लेकिन क्या ये आपको इस प्रॉब्लम से छुटकारा दिल सकता है ? नहीं, लेकिन रामबाण तरीका है आपको सिर्फ अपने खान पान में छोटे-छोटे बदलाव करने हैं और आपको इस तकलीफ से राहत मिल जाएगी.

हाल ही में हुई एक स्टडी के अनुसार, कई ऐसी खाने की चीजें हैं जिनके सेवन से मूड फ्रेश होता है. असल में इन चीजों का सेवन करने से शरीर में कुछ ऐसे हॉर्मोन्स का स्त्राव होता है जिससे आपका मूड ठीक हो जाता है. यदि आपको भी डिप्रेशन की समस्या है तो इन मसालों को अपनी रेगुलर डाइट में जोड़िये क्योंकि ये आपके लिए फायदेमंद रहेगा.

ये तीन मसाले हैं डिप्रेशन का रामबाण इलाज

दालचीनी : इसकी अद्भुत महक. दालचीनी आपके दिमाग को एक्ट‍िव और फ्रेश रखने का काम करती है. इसके साथ ही ये मूड को भी फिक्स करती है और साथ ही आपको याददाश्त बढ़ाने में भी बेहद मददगार है.

केसर : आपको बता दें कि केसर को खुशी का मसाला कहा जाता है. शोध की मानें तो केसर के उपयोग से टेंशन दूर होती है. ये मूड को लाइट करने का काम करता है.

हल्दी : पीली हल्दी के उप्योद से मूड दुरुस्त होता है. इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-इन्फ्लामेट्री की सही मात्रा पायी जाती है. जिससे मूड ठीक रहता है.

बे-गुण नहीं बड़े गुणों वाला है बैंगन

हम अक्सर आपको सब्जी, फल और कई अलग-अलग मसालों को खाने के फायदे बताते रहे हैं. और अपने अक्सर इनमे से कई को सुना भी होगा लेकिन वो एक सब्जी को हमेशा ही अनदेखी रह जाती है वो है बैंगन. इसके फायदे हमेशा ही अनदेखे रहे हैं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि हम आपको बताने जा रहे हैं बैंगन के चौका देने वाले फायदे…

हेल्दी एलिमेंट्स का खजाना : बैंगन में बहुत से ऐसे हेल्थ बेनिफिट एलिमेंट्स होते हैं जो आपको दूसरी किसी सब्जी में नहीं मिलेंगे. बैंगन एक ऐसी सब्जी है जोकि बहुत ही आसानी से बाजार में मिल जाती है.

दांत के दर्द में फायदेमंद : बैंगन के रस का इस्तेमाल दांत दर्द में पेन किलर की तरह किया जाता है. इसके रस से दांतों के दर्द में आराम मिलता है. साथ ही इसकी जड़ का इस्तेमाल अस्थमा की रोकथाम में भी किया जाता है.

वजन कम करने में : बैंगन कैलोरी बर्न करने का काम करता है. साथ ही ये फाइबर से युक्त होता है. बैंगन से बनी कोई भी चीज खाने से भारीपन महसूस होता है. जिसकी वजह से आप कम खाना खाते है. ऐसे में वजन कम करने वालों के लिए ये एक अच्छा फूड है.

कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने में : बैंगन खाने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम बना रहता है. बैंगन में पोटेशियम व मैंगनीशियम की अधिकता होती है जिसकी वजह से कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने नहीं पाता है.
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में : बैंगन में विटामिन C पाया जाता है. जो इंफेक्शन से दूर रखने में तो कारगर है ही साथ ही इम्यून सिस्टम को भी बूस्ट करता है.

मच्छर से बदला लेने का तरीका

 आप भी मच्छर से परेशान हैं। वो आपका खून चूसता है लेकिन आप कुछ नहीं कर पाते हैं। हम आपको बताने वाले हैं मच्छरों से बदला लेने के तरीके, आजमा कर देखिए।

बारिश का मौसम खत्म हो गया है। अब बारी मच्छरों के आतंक की है। बारिश के बाद मच्छरों की पैदाइश बढ़ जाती है। ये रात में दिन में आपको, हमको, सबको परेशान करते हैं। कितनी ही बार मन में ख्याल आता है कि कमबख्त हमारा खून पी रहे हैं, काश इनसे बदला ले पाते। अगर आपने भी कभी ऐसा सोचा है तो ये खबर आपके लिए बेहद अहम है। इतिहास में पहली बार हम आपको बताना वाले हैं मच्छरों से बदला लेने का तरीका

मच्छर न तो किसी उपाय से भागते हैं, न ही मरते हैं। वो कमरे के किसी कोने में छुप जाते हैं। जैसे ही आप कमरे में आते हैं वो अपने नुकीले एंडीने से आपका खून चूसना शुरू कर देते हैं। अगर आप मच्छरों से बचना चाहते हैं तो बेबी क्रीम का इस्तेमाल करें। ये हंसने वाली बात नहीं है। बेबी क्रीम से मॉस्किटो नफरत करते हैं, वो इसके आस पास भी नहीं भटकते हैं।

इसके अलावा नीम का तेल भी मच्छरों से बदला लेने में कारगर साबित होता है। नीम के तेल मॉस्कीटो क्वायल से 10 गुना ज्यादा असरदार होता है। नीम का तेल अगर आपने इस्तेमाल किया है तो कमबख्त मच्छर आपके पास भी नहीं आएंगे, बस दूर भिनभिनाते रहेंगे। मच्छरों को और परेशान करना चाहते हैं तो एक नींबू को आधा काटकर उसमें लौंग धंसा दें। इस नींबू को उस जगह रखें जहां सबसे ज्यादा मच्छरों का आतंक हो। फिर देखिए कैसे मच्छरों को कैसे नानी याद आती है।

मच्छरों से बदला लेने का अगला तरीका तुलसी से जुड़ा हुआ है। हर घर में तुलसी का पौधा होता है। ये कई तरह की बीमारियों में तो काम आती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसी के पेड़ से मच्छरों को उलझन होती है। इसकी खुशबू से मच्छर भाग जाते हैं। इसके अलावा लहसुन के 5 – 6 दाने कूट कर पानी में मिलाएं इस पानी को स्प्रे बॉटल में भरकर घर के अलग- अलग कोनों में छिड़क दें। फिर देखिए कैसे बिलबिलाते हुए सारे मच्छरों की वाट लगती है।

Tuesday 23 August 2016

अखरोट के अचूक फायदे ( The Unmistakable Advantages Nut)


अखरोट ऊर्जा का बेहतर स्रोत है। साथ ही इसमें शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व, मिनरल्स, एंटीआक्सीडैंट्स और विटामिन्स प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। अखरोट का तेल कई रूपों में काम में लिया जाता है। इसका  तेल खाना बनाने के अलावा दवाइयों और खुशबू के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

 अखरोट के अचूक फायदे

अखरोट में मोनोसैचुरेटिड फैट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड्स जैसे सिनोलिक एसिड, अल्फा फिनोलिक एसिड और एराकिडोनिक एसिड भी काफी मात्रा में मिलते हैं। अखरोट का नियमित सेवन खून में बुरे कोलेस्ट्रोल को कम कर अच्छे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है।हर दिन 25 ग्राम अखरोट के सेवन से 90 फीसदी ओमेगा-3 फैटी एसिड्स भी मिलते हैं।

दिल के लिए अच्‍छा

अखरोट का सेवन करने से दिल दुरूस्‍त रहता है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्‍सीडेंट होते हैं जो दिल को दुरूस्‍त बनाएं रखते हैं।

अच्‍छी नींद दिलाएं

जानकर आपको आश्‍चर्य तो हो ही रहा होगा, लेकिन यह बात सच है कि अखरोट के सेवन से शरीर को रिलैक्‍स मिल जाता है और अच्‍छी नींद आती है।

स्‍पर्म के लिए

जो पुरूष पिता बनने की इच्‍छा रखते हैं उनके लिए अखरोट काफी लाभकारी होता है। इसके सेवन से स्‍पर्म काउंट बढ़ता है।
ब्रेन फूड

अखरोट का नियमित रूप से सेवन, दिमाग को तेज बनाता है इसीलिए इसे ब्रेन फूड के नाम से भी जाना जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन ई होने ही वजह से यह दिमाग को शॉर्प और हेल्‍दी बनाएं रखता है।

गर्भावस्‍था के दौरान

गर्भवती महिलाओं के शरीर के लिए अखरोट का सेवन सबसे ज्‍यादा लाभप्रद होता है। इसके सेवन से भ्रूण में पलने वाले बच्‍चे को एलर्जी नहीं होती है और उसकी ग्रोथ के लिए आवश्‍यक तत्‍व भी मिल जाते हैं।


पेट के कैंसर में

अखरोट का सेवन, पेट के कैंसर की जटिलताओं में लाभकारी होता है। इसके सेवन से होने वाली पीड़ा में कमी आती है और कमजोरी भी नहीं आती है।

स्‍तनों के लिए

अगर आपको अपने स्‍तनों को सुडौल और स्‍वस्‍थ बनाएं रखना है तो अखरोट का दैनिक रूप से सेवन करें। इससे आपको काफी लाभ मिलेगा।

बच्चों के कृमि (पेट के कीड़े)

    कुछ दिनों तक शाम को 2 अखरोट खिलाकर ऊपर से दूध पिलाने से बच्चों के पेट के कीडे़ मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।
    अखरोट की छाल का काढ़ा 60 से 80 मिलीलीटर पिलाने से आंतों के कीड़े मर जाते हैं।

डायबटीज

अगर आप मधुमेह से ग्रसित है तो अखरोट का सेवन लाभकारी होता है। नियमित रूप से सेवन करने से आप मधुमेह से बच भी सकते हैं । अखरोट से डायबटीज 2 में आराम मिलता है।

टी.बी. (यक्ष्मा) के रोग में

3 अखरोट और 5 कली लहसुन पीसकर 1 चम्मच गाय के घी में भूनकर सेवन कराने से यक्ष्मा में लाभ होता है।

पथरी

    साबुत (छिलके और गिरी सहित) अखरोट को कूट-छानकर 1 चम्मच सुबह-शाम ठंडे पानी में कुछ दिनों तक नियमित रूप से सेवन कराने से पथरी मूत्र-मार्ग से निकल जाती है।
    अखरोट को छिलके समेत पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। 1-1 चम्मच चूर्ण ठंडे पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम खायें। इससे रोग में पेड़ू का दर्द और पथरी ठीक होती है।

शैय्यामूत्र (बिस्तर पर पेशाब करना)

प्राय: कुछ बच्चों को बिस्तर में पेशाब करने की शिकायत हो जाती है। ऐसे बाल रोगियों को 2 अखरोट और 20 किशमिश प्रतिदिन 2 सप्ताह तक सेवन करने से यह शिकायत दूर हो जाती है।

सफेद दाग

अखरोट के निरन्तर सेवन से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।

वजन घटाने में सहायक

अखरोट के सेवन से शरीर का वजन घटाने में सहायता मिलती है। जो लड़कियां या लड़के अपना वजन घटाना चाहते हैं उन्‍हे नियमित रूप से अखरोट का सेवन करना चाहिए।


फुन्सियां

यदि फुन्सियां अधिक निकलती हो तो 1 साल तक रोजाना प्रतिदिन सुबह के समय 5 अखरोट सेवन करते रहने से लाभ हो जाता है।

जी-मिचलाना

अखरोट खाने से जी मिचलाने का कष्ट दूर हो जाता है।

मरोड़

1 अखरोट को पानी के साथ पीसकर नाभि पर लेप करने से मरोड़ खत्म हो जाती है।

तनाव स्‍तर घटाएं

हाल ही में हुए एक सर्वे से पता चला है कि अखरोट के सेवन से तनाव का स्‍तर घट जाता है। इसके सेवन से ब्‍लड़ प्रेशर नियंत्रित रहता है और शरीर को पर्याप्‍त ऊर्जा मिलती रहती है।

मस्तिष्क शक्ति हेतु

    अखरोट की गिरी को 25 से 50 ग्राम तक की मात्रा में प्रतिदिन खाने से मस्तिष्क शीघ्र ही सबल हो जाता है।
    अखरोट खाने से मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है।

स्तन में दूध की वृद्धि के लिए

गेहूं की सूजी एक ग्राम, अखरोट के पत्ते 10 ग्राम को एक साथ पीसकर दोनों को मिलाकर गाय के घी में पूरी बनाकर सात दिन तक खाने से स्त्रियों के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।

बूढ़ों की निर्बलता

8 अखरोट की गिरी और चार बादाम की गिरी और 10 मुनक्का को रोजाना सुबह के समय खाकर ऊपर से दूध पीने से वृद्धावस्था की निर्बलता दूर हो जाती है।

अपस्मार

अखरोट की गिरी को निर्गुण्डी के रस में पीसकर अंजन और नस्य देने से लाभ होता है।
नेत्र ज्योति (आंखों की रोशनी)

2 अखरोट और 3 हरड़ की गुठली को जलाकर उनकी भस्म के साथ 4 कालीमिर्च को पीसकर अंजन करने से
आंखों की रोशनी बढ़ती है।


कंठमाला

अखरोट के पत्तों का काढ़ा 40 से 60 मिलीलीटर पीने से व उसी काढ़े से गांठों को धोने से कंठमाला मिटती है।

लम्‍बे जीवन के लिए

सुखद लम्‍बे जीवन के लिए अखरोट का सेवन अच्‍छा रहता है। इसक नियमित सेवन से जीवनकाल बढ़ता है और आपका जीवन ऊर्जा से भरपूर रहता है।

अखरोट ऊर्जा का बेहतर स्रोत है। साथ ही इसमें शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व, मिनरल्स, एंटीआक्सीडैंट्स और विटामिन्स प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। अखरोट का तेल कई रूपों में काम में लिया जाता है। इसका  तेल खाना बनाने के अलावा दवाइयों और खुशबू के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

अखरोट में मोनोसैचुरेटिड फैट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड्स जैसे सिनोलिक एसिड, अल्फा फिनोलिक एसिड और एराकिडोनिक एसिड भी काफी मात्रा में मिलते हैं। अखरोट का नियमित सेवन खून में बुरे कोलेस्ट्रोल को कम कर अच्छे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है।हर दिन 25 ग्राम अखरोट के सेवन से 90 फीसदी ओमेगा-3 फैटी एसिड्स भी मिलते हैं।

दिल के लिए अच्‍छा

अखरोट का सेवन करने से दिल दुरूस्‍त रहता है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्‍सीडेंट होते हैं जो दिल को दुरूस्‍त बनाएं रखते हैं।

अच्‍छी नींद दिलाएं

जानकर आपको आश्‍चर्य तो हो ही रहा होगा, लेकिन यह बात सच है कि अखरोट के सेवन से शरीर को रिलैक्‍स मिल जाता है और अच्‍छी नींद आती है।

स्‍पर्म के लिए

जो पुरूष पिता बनने की इच्‍छा रखते हैं उनके लिए अखरोट काफी लाभकारी होता है। इसके सेवन से स्‍पर्म काउंट बढ़ता है।

पेट के कैंसर में

अखरोट का सेवन, पेट के कैंसर की जटिलताओं में लाभकारी होता है। इसके सेवन से होने वाली पीड़ा में कमी आती है और कमजोरी भी नहीं आती है।

स्‍तनों के लिए

अगर आपको अपने स्‍तनों को सुडौल और स्‍वस्‍थ बनाएं रखना है तो अखरोट का दैनिक रूप से सेवन करें। इससे आपको काफी लाभ मिलेगा।


डायबटीज

अगर आप मधुमेह से ग्रसित है तो अखरोट का सेवन लाभकारी होता है। नियमित रूप से सेवन करने से आप मधुमेह से बच भी सकते हैं । अखरोट से डायबटीज 2 में आराम मिलता है।

टी.बी. (यक्ष्मा) के रोग में

3 अखरोट और 5 कली लहसुन पीसकर 1 चम्मच गाय के घी में भूनकर सेवन कराने से यक्ष्मा में लाभ होता है।

स्तन में दूध की वृद्धि के लिए

गेहूं की सूजी एक ग्राम, अखरोट के पत्ते 10 ग्राम को एक साथ पीसकर दोनों को मिलाकर गाय के घी में पूरी बनाकर सात दिन तक खाने से स्त्रियों के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।

हैजा

हैजे में जब शरीर में बाइटें चलने लगती हैं या सर्दी में शरीर ऐंठता हो तो अखरोट के तेल से मालिश करनी चाहिए।


दर्द व सूजन में

किसी भी कारण या चोट के कारण हुए सूजन पर अखरोट के पेड़ की छाल पीसकर लेप करने से सूजन कम होती है।
घाव (जख्म)

इसकी छाल के काढे़ से घावों को धोने से लाभ होता है।

जोड़ों के (गठिया) रोग में

    सुबह खाली पेट 5 ग्राम अखरोट की गिरी और 5 ग्राम पिसी हुई सोंठ को 1 चम्मच एरंड के तेल में पीसकर गुनगुने पानी से लें। इससे रोगी के घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।
    दर्द को दूर करने के लिए अखरोट का तेल जोड़ों पर लगाने से रोगी को लाभ मिलता है।


गुल्यवायु हिस्टीरिया

अखरोट और किसमिस को खाने और ऊपर से गर्म गाय का दूध पीने से लाभ मिलता है।

हृदय की दुर्बलता होने पर

अखरोट खाने से दिल स्वस्थ बना रहता है। रोज एक अखरोट खाने से हृदय के विकार 50 प्रतिशत तक कम हो जाते हैं। इससे हृदय की धमनियों को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक कॉलेस्ट्राल की मात्रा नियंत्रित रहती है। अखरोट के असर से शरीर में वसा को पचाने वाला तंत्र कुछ इस कदर काम करता है। कि हानिकारक कॉलेस्ट्राल की मात्रा कम हो जाती है। हालांकि रक्त में वासा की कुल मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं होता। अखरोट में कैलोरी की अधिकता होने के बावजूद इसके सेवन से वजन नहीं बढ़ता और ऊर्जा स्तर बढ़ता है।

खांसी (कास)

    अखरोट गिरी को भूनकर चबाने से लाभ होता है।
    छिलके सहित अखरोट को आग में डालकर राख बना लें। इस राख की एक ग्राम मात्रा को पांच ग्राम शहद के साथ चटाने से लाभ होता है।


हाथ-पैरों की ऐंठन

हाथ-पैरों पर अखरोट के तेल की मालिश करने से हाथ-पैरों की ऐंठन दूर हो जाती है।
विसर्प-फुंसियों का दल बनना

अगर फुंसिया बहुत ज्यादा निकलती हो तो पूरे साल रोजाना सुबह 4 अखरोट खाने से बहुत लाभ होता है।
कंठमाला के रोग में

अखरोट के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से और कंठमाला की गांठों को उसी काढ़े से धोने से आराम मिलता है।

कब्ज

अखरोट के छिलकों को उबालकर पीने से दस्त में राहत मिलती है।



वात रक्त दोष

वातरक्त (त्वचा का फटना) के रोगी को अखरोट की मींगी (बीज) खिलाने से आराम आता है।
होठों का फटना

अखरोट की मिंगी (बीज) को लगातार खाने से होठ या त्वचा के फटने की शिकायत दूर हो जाती है।

सफेद दाग होने पर

रोजाना अखरोट खाने से श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) का रोग नहीं होता है और स्मरण शक्ति (याददाश्त) भी तेज हो जाती है।
शरीर में सूजन

अखरोट के पेड़ की छाल को पीसकर सूजन वाले भाग पर लेप की तरह से लगाने से शरीर के उस भाग की सूजन दूर हो जाती है।

याददाश्त कमजोर होना

ऐसा कहा जाता है कि हमारे शरीर का कोई अंग जिस आकार का होता है, उसी आकार का फल खाने से उस अंग को मजबूती मिलती है। अखरोट की बनावट हमारे दिमाग की तरह होती है इसलिए अखरोट खाने से दिमाग की शक्ति बढ़ती है। याददाश्त मजबूत होती है।

नाड़ी की जलन

अखरोट की छाल को पीसकर लेप करने से नाड़ी की सूजन, जलन व दर्द मिटता है।

हैजे में जब शरीर में बाइटें चलने लगती हैं या सर्दी में शरीर ऐंठता हो तो अखरोट के तेल से मालिश करनी चाहिए।

विरेचन (पेट साफ करना)

अखरोट के तेल को 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में 250 मिलीलीटर दूध के साथ सुबह देने से मल मुलायम होकर बाहर निकल जाता है।

अर्श (बवासीर) होने पर

    वादी बवासीर में अखरोट के तेल की पिचकारी को गुदा में लगाने से सूजन कम होकर पीड़ा मिट जाती है।
    अखरोट के छिलके की राख 2 से 3 ग्राम को किसी दस्तावर औषधि के साथ सुबह, दोपहर तथा शाम को खिलाने से खूनी बवासीर में खून का आना बंद हो जाता है।”

आर्त्तव जनन (मासिक-धर्म को लाना)

    मासिक-धर्म की रुकावट में अखरोट के छिलके का काढ़ा 40 से 60 मिलीलीटर की मात्रा में लेकर 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार पिलाने से लाभ होता है।
    इसके फल के 10 से 20 ग्राम छिलकों को एक किलो पानी में पकायें, जब यह पानी आठवां हिस्सा शेष बचे तो इसे सुबह-शाम पिलाने से दस्त साफ हो जाता है।”

प्रमेह (वीर्य विकार)

अखरोट की गिरी 50 ग्राम, छुहारे 40 ग्राम और बिनौले की मींगी 10 ग्राम एक साथ कूटकर थोड़े से घी में भूनकर बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर रखें, इसमें से 25 ग्राम प्रतिदिन सेवन करने से प्रमेह में लाभ होता है। ध्यान रहे कि इसके सेवन के समय दूध न पीयें।

वात रोग

अखरोट की 10 से 20 ग्राम की ताजी गिरी को पीसकर दर्द वाले स्थान पर लेप करें, ईंट को गर्मकर उस पर जल छिड़ककर कपड़ा लपेटकर उस स्थान पर सेंक देने से शीघ्र पीड़ा मिट जाती है। गठिया पर इसकी गिरी को नियमपूर्वक सेवन करने से रक्त शुद्धि होकर लाभ होता है।

शोथ (सूजन)

    अखरोट का 10 से 40 मिलीलीटर तेल 250 मिलीलीटर गौमूत्र (गाय के पेशाब) में मिलाकर पिलाने से सभी प्रकार की सूजन में लाभ होता है।
    वात-जन्य सूजन में इसकी 10 से 20 ग्राम अखरोट की गिरी को कांजी में पीसकर लेप करने से लाभ होता है।

बूढ़ों के शरीर की कमजोरी

10 ग्राम अखरोट की गिरी को 10 ग्राम मुनक्का के साथ रोजाना सुबह खिलाना चाहिए।

दाद

सुबह-सुबह बिना मंजन कुल्ला किए बिना 5 से 10 ग्राम अखरोट की गिरी को मुंह में चबाकर लेप करने से कुछ ही दिनों में दाद मिट जाती है।

नासूर

अखरोट की 10 ग्राम गिरी को महीन पीसकर मोम या मीठे तेल के साथ गलाकर लेप करें।

नारू (गंदा पानी पीने से होने वाला रोग)

    अखरोट की खाल को जल के साथ महीन पीसकर आग पर गर्म कर नहरुआ की सूजन पर लेप करने से तथा उस पर पट्टी बांधकर खूब सेंक देने से नारू 10-15 दिन में गलकर बह जाता है।
    अखरोट की छाल को पानी में पीसकर गर्मकर नारू के घाव पर लगावें।

दस्त के लिए

    अखरोट को पीसकर पानी के साथ मिलाकर नाभि पर लेप करने से पेट में मरोड़ और दस्त का होना बंद हो जाता है।
    अखरोट के छिलकों को पानी के साथ पीसकर पेट की नाभि पर लगाने से पेट में होने वाली मरोड़ के साथ आने वाले दस्त तुरंत बंद हो जाते हैं।

खूनी बवासीर (अर्श)

अखरोट के छिलके का भस्म (राख) बनाकर उसमें 36 ग्राम गुरुच मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से खूनी बवासीर (रक्तार्श) नष्ट होता है।

पेट में कीड़े होने पर

अखरोट को गर्म दूध के साथ सेवन करने से बच्चों के पेट में मौजूद कीड़े मर जाते हैं तथा पेट के दर्द में आराम देता है।

कमजोरी

अखरोट की मींगी पौष्टिक होती है। इसके सेवन से कमजोरी मिट जाती है।

दांतों के लिए

अखरोट की छाल को मुंह में रखकर चबाने से दांत स्वच्छ होते हैं। अखरोट के छिलकों की भस्म से मंजन करने से दांत मजबूत होते हैं।

लकवा (पक्षाघात-फालिस-फेसियल, परालिसिस)

रोजाना सुबह अखरोट का तेल नाक के छिद्रों में डालने से लकवा ठीक हो जाता है।

नष्टार्तव (बंद मासिक धर्म)

अखरोट का छिलका, मूली के बीज, गाजर के बीज, वायविडंग, अमलतास, केलवार का गूदा सभी को 6-6 ग्राम की मात्रा में लेकर लगभग 2 लीटर पानी में पकायें फिर इसमें 250 ग्राम की मात्रा में गुड़ मिला दें, जब यह 500 मिलीलीटर की मात्रा में रह जाए तो इसे उतारकर छान लेते हैं। इसे सुबह-शाम लगभग 50 ग्राम की मात्रा में मासिक स्राव होने के 1 हफ्ते पहले पिलाने से बंद हुआ मासिक-धर्म खुल जाता है।

दर्द व सूजन में

किसी भी कारण या चोट के कारण हुए सूजन पर अखरोट के पेड़ की छाल पीसकर लेप करने से सूजन कम होती है।
घाव (जख्म)

इसकी छाल के काढे़ से घावों को धोने से लाभ होता है।

जोड़ों के (गठिया) रोग में

    सुबह खाली पेट 5 ग्राम अखरोट की गिरी और 5 ग्राम पिसी हुई सोंठ को 1 चम्मच एरंड के तेल में पीसकर गुनगुने पानी से लें। इससे रोगी के घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।
    दर्द को दूर करने के लिए अखरोट का तेल जोड़ों पर लगाने से रोगी को लाभ मिलता है।


गुल्यवायु हिस्टीरिया

अखरोट और किसमिस को खाने और ऊपर से गर्म गाय का दूध पीने से लाभ मिलता है।

हृदय की दुर्बलता होने पर

अखरोट खाने से दिल स्वस्थ बना रहता है। रोज एक अखरोट खाने से हृदय के विकार 50 प्रतिशत तक कम हो जाते हैं। इससे हृदय की धमनियों को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक कॉलेस्ट्राल की मात्रा नियंत्रित रहती है। अखरोट के असर से शरीर में वसा को पचाने वाला तंत्र कुछ इस कदर काम करता है। कि हानिकारक कॉलेस्ट्राल की मात्रा कम हो जाती है। हालांकि रक्त में वासा की कुल मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं होता। अखरोट में कैलोरी की अधिकता होने के बावजूद इसके सेवन से वजन नहीं बढ़ता और ऊर्जा स्तर बढ़ता है।

खांसी (कास)

    अखरोट गिरी को भूनकर चबाने से लाभ होता है।
    छिलके सहित अखरोट को आग में डालकर राख बना लें। इस राख की एक ग्राम मात्रा को पांच ग्राम शहद के साथ चटाने से लाभ होता है।


हाथ-पैरों की ऐंठन

हाथ-पैरों पर अखरोट के तेल की मालिश करने से हाथ-पैरों की ऐंठन दूर हो जाती है।

विसर्प-फुंसियों का दल बनना

अगर फुंसिया बहुत ज्यादा निकलती हो तो पूरे साल रोजाना सुबह 4 अखरोट खाने से बहुत लाभ होता है।

कंठमाला के रोग में

अखरोट के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से और कंठमाला की गांठों को उसी काढ़े से धोने से आराम मिलता है।

कब्ज

अखरोट के छिलकों को उबालकर पीने से दस्त में राहत मिलती है।

अखरोट के अचूक फायदे

वात रक्त दोष

वातरक्त (त्वचा का फटना) के रोगी को अखरोट की मींगी (बीज) खिलाने से आराम आता है।

होठों का फटना

अखरोट की मिंगी (बीज) को लगातार खाने से होठ या त्वचा के फटने की शिकायत दूर हो जाती है।
सफेद दाग होने पर

रोजाना अखरोट खाने से श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) का रोग नहीं होता है और स्मरण शक्ति (याददाश्त) भी तेज हो जाती है।

शरीर में सूजन

अखरोट के पेड़ की छाल को पीसकर सूजन वाले भाग पर लेप की तरह से लगाने से शरीर के उस भाग की सूजन
दूर हो जाती है।

याददाश्त कमजोर होना

ऐसा कहा जाता है कि हमारे शरीर का कोई अंग जिस आकार का होता है, उसी आकार का फल खाने से उस अंग को मजबूती मिलती है। अखरोट की बनावट हमारे दिमाग की तरह होती है इसलिए अखरोट खाने से दिमाग की शक्ति बढ़ती है। याददाश्त मजबूत होती है।

नाड़ी की जलन

अखरोट की छाल को पीसकर लेप करने से नाड़ी की सूजन, जलन व दर्द मिटता है।