Tuesday 27 October 2015

अर्टिकेरिया (Urticaria) या शीतपित्त का घरेलू उपचार

शीतपित्त या अर्टिकेरिया (Urticaria)-जिसमें सारे शरीर में स्थान-स्थान पर लाल सुर्ख चकत्ते उत्पन्न होकर  खुजली उत्पन्न करते हैं और खुजलाने से या रगड़ने से और अधिक खुजली उठती है। यह एक प्रकार का एलर्जिक रोग है-जिसमें हिस्टामीन नामक एक टाक्सिस त्वचा में प्रवेश कर खुजली के साथ चकत्ते पैदा कर इसकी उत्पत्ति करता है-


इसे साधारण भाषा में पित्ती उछलना कहते हैं-इसमें रोगी के शरीर में खुजली मचती रहती है, दर्द होता है तथा व्याकुलता बढ़ जाती है-कभी- कभी ठंडी हवा लगने या दूषित वातावरण में जाने के कारण भी यह रोग हो जाता है-

शीतपित्त पेट की गड़बड़ी तथा खून में गरमी बढ़ जाने के कारण होता है-वैसे साधारणतया यह रोग पाचन
क्रिया की खराबी, शरीर को ठंड के बाद गरमी लगने, पित्त न निकलने, अजीर्ण, कब्ज, भोजन ठीक से न पचने, गैस और डकारें बनने तथा एलोपैथी की दवाएं अधिक मात्रा में सेवन करने से भी हो जाता है-कई बार अधिक क्रोध, चिन्ता, भय, बर्रै या मधुमक्खी के डंक मारने, जरायु रोग (स्त्रियों को), खटमल या किसी जहरीले कीड़े के
काटने से भी इसकी उत्पत्ति हो जाती है-

पित्त बढ़ जाने के कारण हाथ, पैर, पेट, गरदन, मुंह, जांघ आदि पर लाल-लाल चकत्ते या ददोरे पड़ जाते हैं| उस स्थान का मांस उभर आता है- जलन और खुजली होती है- कान, होंठ तथा माथे पर सूजन आ जाती है- कभी-कभी बुखार की भी शिकायत हो जाती है-


अर्टिकेरिया (Urticaria) या शीतपित्त का घरेलू उपचार:

  • सबसे पहले रात को दो से चार चम्मच एक एरण्ड का तेल दूध में पीकर सुबह दस्तों के द्वारा पेट साफ कर लें- फिर छोटी इलायची के दाने 5 ग्राम, दालचीनी 10 ग्राम और पीपल 10 ग्राम - सबको कूट-पीसकर चूर्ण बना लें और इसमें से आधा चम्मच चूर्ण प्रतिदिन सुबह मक्खन या शहद के साथ चाटें-

  • पित्ती वाले रोगी के शरीर में गेरू पीसकर मलें तथा गेरू के परांठे या पुए खिलाएं| गाय के घी में दो चुटकी गेरू मिलाकर खिलाने से भी लाभ होता है

  • गेरु, हल्दी, दारु हल्दी, मजीठ, बावची, हरड़, बहेड़ा, आँ वला सब 10-10 ग्राम लेकर कूट-पीसकर मिला लें व शीशी में भर लें। रात को 10 ग्राम चूर्ण एक गिलास पानी में भिगो दें और सुबह पानी नितार कर इसमें दो चम्मच शहद घोलकर पी लें। पानी निथारने के बाद गिलास में बचा गीला चूर्ण लेकर चकत्तों व ददोड़ों पर लेप करे- इस लेप से कष्ट शीघ्र मिट जाता है-

  • हल्दी 300 ग्राम, शुद्ध घी 250 ग्राम, दूध 5 लीटर, शकर 2 किलो, सौंठ, पीपल, काली मिर्च, तेजपान, छोटी इलायची, दालचीनी, नाग केशर, नागरमोथा, वायविडंग, निशोथ, हरड़, बहेड़ा, आँवला और लौह भस्म सब 40-40 ग्राम-अब हल्दी पीस कर दूध में डालकर आग पर रख उबालें और मावा बना लें, मावा घी में भून लें। शक्कर की चासनी बनाकर इसमें मावा और सभी द्रव्यों का कुटा-पिसा चूर्ण डालकर अच्छी तरह हिलाकर मिला लें, फिर थाली में जमने के लिए रख दें, जमने पर बरफी काट लें- 5 या 6 ग्राम वजन में इसे सुबह-शाम खाने से शीत पित्त, एलर्जी, त्वचा के विकार, ऐलोपैथिक दवा का रिएक्शन आदि सब व्याधि इस हरिद्रा खण्ड के सेवन से नष्ट हो जाती हैं। यह इसी नाम से बना बनाया बाजार में मिलता है।

  • आधा चम्मच गिलोय के चूर्ण में आधा चम्मच चंदन का बुरादा मिलाकर शहद के साथ सेवन करें-

  • पानी में पिसी हुई फिटकिरी मिलाकर स्नान करें- नागर बेल के पत्तों के रस में फिटकिरी मिलाकर शरीर
  • पर लगाएं-

  • थोड़े से मेथी के दाने, एक चम्मच हल्दी तथा चार-पांच पिसी हुई कालीमिर्च - सबको मिश्री में मिलाकर चूर्ण बना लें- सुबह आधा चम्मच चूर्ण शहद या दूध के साथ सेवन करें-

परहेज (Avoiding) :-


  • साग-सब्जी, मौसमी फल तथा रेशेदार सब्जियों का सेवन करें तथा गरम पदार्थ, गरम मेवे, गरम फल तथा गरम मसालों का प्रयोग न करें-

  • साग- सब्जी तथा दालों में नाममात्र नमक डालें-

  • खटाई, तेल, घी आदि का प्रयोग कम करें-

  • पित्त को कुपित करने वाली चीजें, जैसे-सिगरेट, शराब तथा कब्ज पैदा करने वाले गरिष्ठ पदार्थ बिलकुल न खाएं-

  • पुराने चावल, जौ, मूंग की दाल, चना आदि लाभकारी हैं-

प्याज, लहसुन, अंडा, मांस, मछली आदि शीतपित्त में नुकसान पहुंचाते हैं, अत: इनका भी सेवन न करें- जाड़ों में गुनगुना तथा गरमियों में ताजे जल का प्रयोग करें-

Thursday 22 October 2015

नवजात शिशुओं के लिए 12 टिप्स (12 Tips for Newborns)

जीवन का पहला साल बच्चे के विकास के लिए बेहद अहम होता है. बच्चे अपने आस पास की चीजों को समझना और पहले शब्द बोलना सीखते हैं. इस दौरान माता पिता कई सवालों से गुजरते हैं. यदि आप भी उनमें से हैं, तो इन टिप्स का फायदा उठाएं.

1.मालिश करें:-


भारत में बच्चों की मालिश का चलन नया नहीं है. लेकिन माता पिता अक्सर इस परेशानी से गुजरते हैं कि बच्चे की मालिश कब और कैसे की जाए. शिशु को दूध पिलाने के बाद या उससे पहले मालिश ना करें. घी या बादाम तेल को हल्के हाथ से बच्चे के पूरे शरीर पर मलें. नहलाने से पहले मालिश करना अच्छा होता है.



2.ध्यान से नहलाएं:-

नवजात शिशुओं की त्वचा बेहद नाजुक होती है. बहुत ज्यादा देर तक पानी में रहने से वह सूख सकती है. ध्यान रखें कि पानी ज्यादा गर्म ना हो. शुरुआती तीन हफ्ते में गीले कपड़े से बदन पोंछना काफी है. अगर आप बेबी शैंपू का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो एक हाथ से बच्चे की आंखों को ढक लें. नहाने के बाद बच्चे बेहतर नींद सो पाते हैं.


3.आराम से सुलाएं:-

ब्रिटेन की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉन केली बताती हैं कि माता पिता बच्चों को सुलाने से पहले उन्हें कपड़ों की कई परतें पहना देते हैं, "खास कर रात को, वे उन्हें बेबी बैग में भी डाल देते हैं और उसके ऊपर से कंबल भी ओढ़ा देते हैं." केली बताती हैं कि इस सब की कोई जरूरत नहीं. बहुत ज्यादा गर्मी बच्चे के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है.


4.रोने से घबराएं नहीं:-

बच्चे रोते हैं और इसमें परेशान होने वाली कोई बात नहीं है. जच्चा बच्चा सेहत पर किताब लिख चुकी अमेरिका की जेनिफर वॉकर कहती हैं, "बच्चे रोने के लिए प्रोग्राम्ड होते हैं. उनके रोने का मतलब यह नहीं कि आप कुछ गलत कर रहे हैं, बल्कि यह उनका आपसे बात करने का तरीका है." मुंह में पैसिफायर लगा हो, तो बच्चे कम रोते हैं.


5.दांतों की देखभाल:-

न्यूयॉर्क स्थित डेंटिस्ट सॉल प्रेसनर कहती हैं कि कई बार मां बाप बहुत देर में बच्चों के हाथ में ब्रश थमाते हैं. दूध के दांत बहुत नाजुक होते हैं और इन्हें बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है. प्रेसनर का कहना है कि जब दांत आने लगें, तो बच्चे को ठीक सोने से पहले दूध पिलाना बंद कर दें. अगर ब्रश कराना शुरू नहीं किया है, तो दूध पिलाने के बाद गीले कपड़े से दांत साफ करें.


6.कुदरत के साथ:-

बच्चों को जितना हो सके कुदरत के साथ जोड़ें. आज के हाई टेक जमाने में माता पिता बच्चों को मोबाइल, टेबलेट और टीवी के साथ ही बढ़ा करने लगे हैं. अमेरिका की अकेडमी ऑफ पीडिएट्रिक्स का कहना है कि कम से कम दो साल की उम्र तक बच्चों को स्क्रीन से दूर रखना चाहिए.


7.रंगों के बीच:-

बच्चों के आसपास रंग होना अच्छा है. आठ से नौ महीने के होने पर बच्चे अलग अलग तरह के रंग, सुगंध, शोर और स्पर्श को पहचानने लगते हैं. यही उन्हें सिखाने का सही समय भी है.





8.खेल खेल में:-

बच्चे खेल खेल में नई चीजें सीखते हैं. सिर्फ वस्तुओं को पहचानना ही नहीं, बल्कि खुशी और गुस्से जैसे भावों को भी समझने लगते हैं. बच्चों से बात करते हुए मुस्कुराएं और उनकी आंखों से संपर्क बना कर रखें. याद रखें कि बच्चे बोल नहीं सकते, इसलिए आंखों के जरिए संवाद करते हैं.



9.मम्मी के साथ पढ़ाई:-

बच्चे के साथ बातें करें. जब वह कोई आवाजें निकाले, तो उन्हें दोहराएं और उसके साथ कुछ शब्द जोड़ दें. इस तरह बच्चे का जल्द ही भाषा के साथ जुड़ाव बन सकेगा. किताबों से पढ़ कर कहानियां सुनाने के लिए बच्चे के स्कूल पहुंचने का इंतजार ना करें. छोटे बच्चे इन कहानियों के जरिए नई आवाजें और शब्द सीखते हैं.


10.पापा के साथ ब्रश:-

बच्चों को नई नई चीजें सिखाने का सबसे अच्छा तरीका है उनके साथ वही चीज करना. बच्चे देख कर वही चीज दोहराते हैं. इसी तरह से आप उन्हें कसरत करना भी सिखा सकते हैं. शुरुआत में ध्यान लगने में वक्त लग सकता है लेकिन बाद में बच्चे नई चीजें करने में आनंद लेने लगते हैं.



11.पहले कदम:-

जब तक बच्चे चलना नहीं सीख लेते उन्हें जूतों की जरूरत नहीं होती. इन दिनों फैशन के चलते माता पिता नवजात शिशुओं के लिए भी जूते खरीदने लगे हैं. शिशुओं के लिए मोजे ही काफी हैं. ये उनके लिए आरामदेह भी होते हैं.




12.पहला जन्मदिन:-

बच्चे वयस्कों की तरह पार्टी नहीं कर सकते. वे जल्दी थक जाते हैं और भीड़ से ऊब भी जाते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए अपने बच्चे की पहली बर्थडे पार्टी को एक से दो घंटे तक ही सीमित रखें ताकि पार्टी बच्चे की मुस्कराहट का कारण बने, आंसुओं का नहीं.

Monday 19 October 2015

पुरुषो में नपुंसकता के लक्षण (Symptoms of impotence in men) (مردوں میں نامردی کی علامات)

पुरुषों में बांझपन या नपुंसकता के लक्षण ढूंढ़ना बहुत मुश्किल होता है। आमतौर पर नपुंसकता का कारण शरीर में उपलब्ध हार्मोंस में गड़बड़ी या इनकी कमी के कारण होती है।
हार्मोंस में बदलाव के कारण भी पुरुषों में यह समस्या हो सकती है। कई बार जो पुरूष हुष्ट-पुष्ट है किसी दुर्घटनावश वह नंपुसक भी हो सकता है। इसीलिए नपुंसकता के लक्षणों को जानना बेहद मुश्किल होता है। लेकिन फिर भी कुछ सामान्य सी बातों को जानकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पुरूष नंपुसक है या नहीं। आइए जानें पुरूषों में नपुंसकता के लक्षणों को।

ऐसे पुरुष में नपुंसक होने के लक्षण मौजूद होते हैं, जो संभोग के समय में सही तरीके से यौन क्रियाएं नही कर पाता या फिर बहुत जल्दी डिस्चार्ज हो जाता है। दरअसल नपुंसकता का संबंध सीधे तौर पर ज्ञानेन्द्रियों से होता है, ऐसे में पुरुष कई बार इस बारे में जागरूक नहीं हो पाते तो कई बार संकोचवश डॉक्टर से इस बारे में परामर्श नहीं ले पातें। जिससे ये रोग बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। नपुंसक व्यक्ति की महिला साथी कभी पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं हो पाती।

कुछ लोग नपुंसक नहीं भी होते लेकिन घबराहट और मन में डर या किसी मानसिक बीमारी आदि के कारण वे उत्तेजित नहीं   हो पाते। भविष्य में यही डर और घबराहट ऐसे पुरुषों को नपुंसक बना देता हैं और घबराहट के कारण यह अपनी पार्टनर से दूर-दूर रहने लगते हैं।

पुरुषो में नपुंसकता के लक्षण (Symptoms of impotence in men) (مردوں میں نامردی کی علامات)

  • जो पुरुष संभोग के दौरान सही तरीके से यौन क्रियाएं नहीं कर पाता या फिर बहुत जल्दी डिस्चार्ज हो जाता है तो उसमें कमी होती है। यह नपुसंकता का लक्षण भी है। नपुंसकता होने पर पुरुष के लिंग में कठोरता या तो आती नहीं, आती है तो बहुत जल्दी शांत हो जाती है। संभोग के दौरान अचानक लिंग में कठोरता का कम होना।
  • दरअसल नपुंसकता का संबंध सीधेतौर पर ज्ञानेन्द्रियों(सेंसेज) से होता है। कुछ लोग तो संकोचवश या जागरुकता के अभाव में इस बारे में सही जानकारी नही ले पाते हैं।
  • हालांकि नंपुसकता अधिक उम्र के व्यक्तियों में ज्यादा पाई जाती है। जिससे पुरुष महिलाओं के पास जाने से भी घबराने लगते हैं। उम्र बढ़ने के साथ ही यौन इच्छा में कमी होने लगती है। जो पुरुष सेक्स क्रिया करने में रूचि नहीं रखते और जिनमें उत्तेजना नहीं होती वे पूर्ण नपुंसक होते हैं। जबकि जो पुरुष एक बार तो उत्तेजित होते हैं लेकिन घबराहट या किसी अन्य कारण से अक्‍सर जल्दी शांत हो जाते हैं उन्हें आंशिक नपुंसक कहा जाता है।
  • संभोग करने के दौरान या करने से पहले घबराहट होना। क्योंकि ऐसे लोगों में विश्वास की कमी होती है और उनके अंदर डर सा बना रहता है। संभोग के दौरान जल्दी डिस्चार्ज हो जाना। संभोग के दौरान अचानक लिंग में कठोरता का कम होना। नपुंसकता के कारण पुरुष का लिंग सामान्य से छोटा हो जाता है जिससे पुरुष ठीक तरह से संभोग करने में असमर्थ होता है। नपुंसक लोगों में आत्मभविश्वास की कमी होना। अक्सर ऐसे लोग भीड़ से घबराते हैं और महिलाओं से बात करने में दिक्कत होती है।
  • नपुंसक व्यक्ति के अंडकोष छोटे हो जाते हैं। नपुंसकता के कारण व्यक्ति थकान महसूस करता है। आत्म विश्वास की कमी होना। लोगों से बातचीत के दौरान घबराना। भीड़ में घबराना या महिलाओं से बात करने में झिझकना।
  • नपुंसक व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिससे सही तरह से संभोग ना करने के कारण पीडि़त व्यक्ति बीमार रहने लगता है। बांझपन के कारण व्यक्ति के प्रजनन अंग कमजो़र हो जाते हैं। भागदौड़ भरी जिंदगी ने लोगों को मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर बना दिया है। फास्ट फूड का ज्यादा प्रयोग और खान-पान में पोषक तत्वों की कमी इसका प्रमुख कारण है।

यौन शक्ति बढ़ाने के बेहद साधारण घरेलू नुस्खे (Very Simple Home Remedies to Enhance Sexual Potency) (جدا العلاجات المنزلية البسيطة لتعزيز القدرة الجنسية)

आज की इस भाग दौड़ और तनाव भरी ज़िन्दगी तथा अनियमति और अनहेल्दी भोजन के कारण पुरुषों में कमजोरी की समस्या आजकल आम है। 
नपुंसकता, स्वप्नदोष, धातु दोष आदि ऐसी समस्याएं हैं जो वैवाहिक जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करती हैं। अ-संयमित खान-पान या शरीर में पोषक तत्वों के कारण या अन्य गलत आदतों से पुरुषों को दुर्बलता या कमजोरी की परेशानी होने लगती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं बेहद साधारण घरेलू नुस्खे जिनसे आप इस समस्या से बहुत जल्द छुटकारा पा सकते हैं-



यौन शक्ति बढ़ाने के बेहद साधारण घरेलू नुस्खे (Very Simple Home Remedies to Enhance Sexual Potency) (جدا العلاجات المنزلية البسيطة لتعزيز القدرة الجنسية) 


आंवला फायदेमंद :-
2 चम्मच आंवला के रस में एक छोटा चम्मच सूखे आंवले का चूर्ण तथा एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर दिन में दो बार सेवन करना चाहिए। इसके इस्तेमाल से सेक्स शक्ति धीरे-धीरे बढ़ती चली जाएगी। इस प्रकार की परेशानी में आंवला बहुत फायदेमंद होता है। अत: प्रतिदिन रात्रि में गिलास में थोड़ा सा हुआ सुखा आंवले का चूर्ण लें और उसमें पानी भर दें। सुबह उठने के बाद इस पानी में हल्दी मिलाएं एवं छानकर पीएं। आंवले के चूर्ण में मिश्री पीसकर मिलाएं। इसके बाद प्रतिदिन रात को सोने से पहले करीब एक चम्मच इस मिश्रित चूर्ण का सेवन करें। इसके बाद थोड़ा सा पानी पीएं। जिन लोगों को अत्याधिक स्वप्नदोष होने की समस्या है, वे प्रतिदिन आंवले का मुरब्बा खाएं।


सेब का एक प्रयोग :-

एक सेब में जितनी हो सके उतनी लौंग लगा दीजिए।लौंग का फूल वाला हिस्सा उपर रहे - इसी तरह का एक अच्छा सा बड़े आकार का नींबू ले लीजिए। इसमें जितनी ज्यादा से ज्यादा हो सके, लौंग लगाकर दोनों फलों को एक सप्ताह तक किसी बर्तन में ढककर रख दीजिए। एक सप्ताह बाद दोनों फलों में से लौंग निकालकर अलग-अलग बोतल में भरकर रख लें। पहले दिन नींबू वाले दो लौंग को बारीक कूटकर बकरी के दूध के साथ सेवन करें। दूसरे दिन सेव वाले दो लौंग को ले -इस तरह से बदल-बदलकर 40दिनों तक 2-2 लौंग खाएं। यह एक तरह से सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाला एक बहुत ही सरल उपाय है।

अश्वगंधा का प्रयोग :-

अश्वगंधा का चूर्ण, असगंध तथा बिदारीकंद को 100-100 ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बना लें। चूर्ण को आधा चम्मच मात्रा में दूध के साथ सुबह और शाम लेना चाहिए। यह मिश्रण वीर्य को ताकतवर बनाकर शीघ्रपतन की समस्या से छुटकारा दिलाता है।

सोंठ का प्रयोग:-

4 ग्राम सोंठ, 4 ग्राम सेमल का गोंद, 2 ग्राम अकरकरा, 28 ग्राम पिप्पली तथा 30 ग्राम काले तिल को एकसाथ मिलाकर तथा कूटकर बारीक चूर्ण बना लें। रात को सोते समय आधा चम्मच चूर्ण लेकर ऊपर से एक गिलास गर्म दूध पी लें। यह रामबाण औषधि शरीर की कमजोरी को दूर करती है और सेक्स शक्ति को बढ़ाती है।

अजवायन प्रयोग:-

100 ग्राम अजवायन को सफेद प्याज के रस में भिगोकर सुखा लें। सूखने के बाद उसे फिर से प्याज के रस में गीला करके सुखा लें। इस तरह से तीन बार करें। उसके बाद इसे कूटकर किसी बोतल में भरकर रख लें। आधा चम्मच इस चूर्ण को एक चम्मच पिसी हुई मिश्री के साथ मिलाकर खा जाएं। फिर ऊपर से हल्का गर्म दूध पी लें। करीब-करीब एक महीने तक इस मिश्रण का उपयोग करें। इस दौरान संभोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। यह सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाला सबसे अच्छा उपाय है

छुहारे का प्रयोग:-

चार-पांच छुहारे, दो-तीन काजू और दो बादाम को 300 ग्राम दूध में खूब अच्छी तरह से उबालकर तथा पकाकर दो चम्मच मिश्री मिलाकर रोजाना रात को सोते समय लेना चाहिए। इससे यौन इच्छा और काम करने की शक्ति बढ़ती है।


गाजर:-

1 किलो गाजर, चीनी 400 ग्राम, खोआ 250 ग्राम, दूध 500 ग्राम, कद्यूकस किया हुआ नारियल 10 ग्राम, किशमिश 10 ग्राम, काजू बारीक कटे हुए 10-15 पीस, एक चांदी का वर्क और 4चम्मच देशी घी ले लें। गाजर को कद्दूकस करके कडा़ही में डालकर पकाएं। पानी के सूख जाने पर इसमें दूध, खोआ और चीनी डाल दें तथा इसे चम्मच से चलाते रहें। जब यह सारा मिश्रण गाढ़ा होने को हो तो इसमें नारियल, किशमिश, बादाम और काजू डाल दें। जब यह गाढ़ा हो जाए तो थाली में देशी घी लगाकर हलवे को थाली पर निकालें और ऊपर से चांदी का वर्क लगा दें। इस हलवे को चार-चार चम्मच सुबह और शाम खाकर ऊपर से दूध पीना चाहिए। यह वीर्यशक्ति बढ़ाकर शरीर को मजबूत रखता है। इससे सेक्स शक्ति भी बढ़ती है।

इमली के बीज का प्रयोग:-

आधा किलो इमली के बीज लेकर उसके दो हिस्से कर दें। इन बीजों को तीन दिनों तक पानी में भिगोकर रख लें। इसके बाद छिलकों को उतारकर बाहर फेंक दें और सफेद बीजों को खरल में डालकर पीसें। फिर इसमें आधा किलो पिसी मिश्री मिलाकर कांच के खुले मुंह वाली एक चौड़ी बोतल में रख लें। आधा चम्मच सुबह और शाम के समय में दूध के साथ लें। इस तरह से यह उपाय वीर्य के जल्दी गिरने के रोग तथा संभोग करने की ताकत में बढ़ोतरी करता है।

कौंच का बीज:-

100 ग्राम कौंच के बीज और 100 ग्राम तालमखाना को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें फिर इसमें 200 ग्राम मिश्री पीसकर मिला लें। हल्के गर्म दूध में आधा चम्मच चूर्ण मिलाकर रोजाना इसको पीना चाहिए। इसको पीने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है और नामर्दी दूर होती है।

चोबचीनी का प्रयोग :-

100 ग्राम तालमखाने के बीज, 100 ग्राम चोबचीनी, 100 ग्राम ढाक का गोंद, 100 ग्राम मोचरस तथा 250 ग्राम मिश्री को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह के समय एक चम्मच चूर्ण में 4 चम्मच मलाई मिलाकर खाएं। यह मिश्रण यौन रुपी कमजोरी, नामर्दी तथा वीर्य का जल्दी गिरना जैसे रोग को खत्म कर देता है।

प्याज रस का प्रयोग :-

आधा चम्मच सफेद प्याज का रस, आधा चम्मच शहद और आधा चम्मच मिश्री के चूर्ण को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें। यह मिश्रण वीर्यपतन को दूर करने के लिए काफी उपयोगी रहता है।सफेद प्याज के रस को अदरक के रस के साथ मिलाकर शुद्ध शहद तथा देशी घी पांच-पांच ग्राम की मात्रा में लेकर एक साथ मिलाकर सुबह नियम से एक माह तक सेवन करें और लाभ देखें इससे यौन क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जाती है।

ढाक के गोंद का प्रयोग:-

ढाक के 100 ग्राम गोंद को तवे पर भून लें। फिर 100 ग्राम तालमखानों को घी के साथ भूनें। उसके बाद दोनों को बारीक काटकर आधा चम्मच सुबह और शाम को दूध के साथ खाना खाने के दो-तीन घंटे पहले ही इसका सेवन करें। इसके कुछ ही दिनों के बाद वीर्य का पतलापन दूर होता है तथा सेक्स क्षमता में बहुत अधिक रुप से वृद्धि होती है।

जायफल प्रयोग:-

15 ग्राम जायफल, 20 ग्राम हिंगुल भस्म, 5 ग्राम अकरकरा और 10 ग्राम केसर को मिलाकर बारीक पीस लें। इसके बाद इसमें शहद मिलाकर इमामदस्ते में घोटें। उसके बाद चने के बराबर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। रोजाना रात को सोने से 2 पहले 2 गोलियां गाढ़े दूध के साथ सेवन करें। इससे शिश्न (लिंग) का ढ़ीलापन दूर होता है तथा नामर्दी दूर हो जाती है।

इलायची :-

इलायची के दानों का चूर्ण 2 ग्राम, जावित्री का चूर्ण 1 ग्राम, बादाम के 5 पीस और मिश्री 10 ग्राम ले लें। बादाम को रात के समय पानी में भिगोकर रख दें। सुबह के वक्त उसे पीसकर पेस्ट की तरह बना लें। फिर उसमें अन्य पदार्थ मिलाकर तथा दो चम्मच मक्खन मिलाकर विस्तार रुप से रोजाना सुबह के वक्त इसको सेवन करें। यह वीर्य को बढ़ाता है तथा शरीर में ताकत लाकर सेक्स शक्ति को बढ़ाता है।

तुलसी के बीज का प्रयोग:-

15 ग्राम तुलसी के बीज और 30 ग्राम सफेद मुसली लेकर चूर्ण बनाएं, फिर उसमें 60 ग्राम मिश्री पीसकर मिला दें और शीशी में भरकर रख दें। 5 ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें इससे यौन दुर्बलता दूर होती है।

लहसुन प्रयोग:-

200 ग्राम लहसुन पीसकर उसमें 60 मिली शहद मिलाकर एक साफ-सुथरी शीशी में भरकर ढक्कन लगाएं और किसी भी अनाज में 31 दिन के लिए रख दें। 31 दिनों के बाद 10 ग्राम की मात्रा में 40 दिनों तक इसको लें। इससे यौन शक्ति बढ़ती है।

हल्दी :-

वीर्य अधिक पतला होने पर 1 चम्मच शहद में एक चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर रोजाना सुबह के समय खाली पेट सेवन करना चाहिए। इसका विस्तृत रुप से इस्तेमाल करने से संभोग करने की शक्ति बढ़ जाती है।

उड़द की दाल :-

आधा चम्मच उड़द की दाल और कौंच की दो-तीन कोमल कली को बारीक पीसकर सुबह तथा शाम को लेना चाहिए। यह उपाय काफी फायदेमंद है। इस नुस्खे को रोजाना लेने से सेक्स करने की ताकत बढ़ जाती है।

शंखपुष्पी :-

शंखपुष्पी 100 ग्राम, ब्राह्नी 100 ग्राम, असंगध 50 ग्राम, तज 50 ग्राम, मुलहठी 50 ग्राम, शतावर 50 ग्राम, विधारा 50 ग्राम तथा शक्कर 450 ग्राम को बारीक कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर एक-एक चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम को लेना चाहिए। इस चूर्ण को तीन महीनों तक रोजाना सेवन करने से नाईट-फाल (स्वप्न दोष), वीर्य की कमजोरी तथा नामर्दी आदि रोग समाप्त होकर सेक्स शक्ति में ताकत आती है।

उंटगन के बीज :-

6 ग्राम उंटगन के बीज, 6 ग्राम तालमखाना तथा 6 ग्राम गोखरू को समान मात्रा में लेकर आधा लीटर दूध में मिलाकर पकाएं। यह मिश्रण लगभग आधा रह जाने पर इसे उतारकर ठंडा हो जाने दें। इसे रोजाना 21 दिनों तक समय अनुसार लेते रहें। इससे नपुंसकता (नामर्दी) रोग दूर हो जाता है।

गोखरू :-

* सूखा आंवला, गोखरू, कौंच के बीज, सफेद मूसली और गुडुची सत्व- इन पांचो पदार्थों को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। एक चम्मच देशी घी और एक चम्मच मिश्री में एक चम्मच चूर्ण मिलाकर रात को सोते समय इस मिश्रण को लें। इसके बाद एक गिलास गर्म दूध पी लें। इस चूर्ण से सेक्स कार्य में अत्यंत शक्ति आती है।

बरगद के दूध का प्रयोग :-

सूर्यास्त से पहले बरगद के पेड़ से उसके पत्ते तोड़कर उसमें से निकलने वाले दूध की 10-15 बूंदें बताशे पर रखकर खाएं। इसके प्रयोग से आपका वीर्य भी बनेगा और सेक्स शक्ति भी अधिक हो जाएगी।

पीपल :-

पीपल का फल और पीपल की कोमल जड़ को बराबर मात्रा में लेकर चटनी बना लें। इस 2 चम्मच चटनी को 100 मि.ली. दूध तथा 400 मि.ली. पानी में मिलाकर उसे लगभग चौथाई भाग होने तक पकाएं। फिर उसे छानकर आधा कप सुबह और शाम को पी लें। इसके इस्तेमाल करने से वीर्य में तथा सेक्स करने की ताकत में वृद्धि होती है।

त्रिफला :-

एक चम्मच त्रिफला के चूर्ण को रात को सोते समय 5 मुनक्कों के साथ लेना चाहिए तथा ऊपर से ठंडा पानी पिएं। यह चूर्ण पेट के सभी प्रकार के रोग, स्वप्नदोष तथा वीर्य का शीघ्र गिरना आदि रोगों को दूर करके शरीर को मजबूती प्रदान करता है।

सफेद मूसली :-

सालम मिश्री, तालमखाना, सफेद मूसली, कौंच के बीज, गोखरू तथा ईसबगोल- इन सबको समान मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। इस एक चम्मच चूर्ण में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ पीना चाहिए। यह वीर्य को ताकतवर बनाता है तथा सेक्स शक्ति में अधिकता लाता है।



यौन शक्ति बढ़ाने के बेहद साधारण घरेलू नुस्खे (Very Simple Home Remedies to Enhance Sexual Potency) (جدا العلاجات المنزلية البسيطة لتعزيز القدرة الجنسية) (جنسی طاقت کو بڑھانے کے انتہائی عام گھریلو نسخوں) (ખૂબ જ સરળ ઘર ઉપાયો જાતીય ક્ષમતા વધારવા માટે) (చాలా సాధారణ గృహ నివారణలు లైంగిక శక్తి విస్తరించేందుకు) (Çok basit ev ilaçları cinsel gücü artırmak için) (很簡單的家庭療法,以提高性能力) (Очень простые домашние средства для повышения половой потенции) (Très simples remèdes pour améliorer la puissance sexuelle)

बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने हेतु रसायन औषधियां- यौवन को बरकार रखने हेतु वाजीकरण औषधियां

आयुर्वेद एक सम्पूर्ण  विज्ञान एवं जीवन जीने क़ी कला का दूसरा नाम  है, जिसमें बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने हेतु रसायन औषधियों का सेवन बताया गया है ,ठीक इसी प्रकार यौवन को बरकार रखने हेतु वाजीकरण औषधियों का उल्लेख है I आचार्य चरक के अनुसार जिन औषधियों के सेवन से व्यक्ति अश्व  शक्ति एवं पौरुष सामर्थ्य को प्राप्त करता है,वैसी औषधियां वाजीकारक की श्रेणी में आती हैं ..I हाँ, यह भी एक सत्य है क़ि आचार्यों ने वाजीकरण औषधियों को लेने से पूर्व रसायन औषधियों को लेना उदधृत किया है I इसी सन्दर्भ में महर्षि च्यवन का नाम आता है, जिनके  शारीरिक रूप से क्षीण होने  और राजकुमारी से अपने वैवाहिक जीवन निर्वाह करने हेतु अश्वनी कुमारों द्वारा च्यवनप्राश नामक रसायन के  निर्माण जैसी कथा भी जुडी है I पौरुष सामाजिक ,वैवाहिक जीवन सहित संततिवृद्धि के लिए आवश्यक है I पौरुष्यहीन व्यक्ति की तुलना  आयुर्वेद के  आचार्यों ने सूखे पेड़ से की है …अतः यौन आनंद एवं क्षमता जीवन की गाडी को सुचारू रूप से चलाने के लिए नितांत आवश्यक  है I
हाँ , ब्रह्मचर्य का पालन भी सुखमय जीवन हेतु आवश्यक है …जिसे संततिनिरोध के साधन के रूप में अपनाया जा सकता है I




कुछ ऐसे सरल योग-जिन्हें उत्तम वाजीकारक के रूप में लिया जा सकता है:-

  • शतावरी की ताजी जड़ को मोटा कूट कर दस से बीस ग्राम की मात्रा में लेकर 150 मिली दूध में पकाएं। इसमें लगभग 250 मिली पानी भी मिला दें। जब उबालते-उबालते पानी समाप्त हो जाए और केवल दूध शेष रहे तो इसे छान कर खांड मिला कर सुबह शाम लेने से मैथुन शक्ति बढ़ती है।
  • विदारीकन्द का चूर्ण 2.5 ग्राम को गूलर के 15 मिली रस में मिलाकर सुबह शाम दूध से लेने पर अधिक उम्र वाले पुरुष भी मैथुन में सक्षम हो जाते हैं !
  • उड़द को घी में भून लें और फिर दूध में पकाकर खीर बना लें। अब इस खीर में खांड मिलाकर ग्रहण करें और खुद ही पौरुष्य लाभ देखें।
  • आंवले के चूर्ण को आंवले के रस में सात भावनाएं देकर (सात बार घोंटकर) पांच ग्राम चूर्ण में शहद और शुद्ध घी मिलाकर सेवन कराने से कामेच्छा में बढ़ोत्तरी होती है।
  • गोखरू बीज, तालमखाना बीज, शतावरी, कौंच बीज, नागबला की जड़, अतिबला की जड़ इन सब को मोटा-मोटा कूटकर कर 2.5 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सुबह शाम लेने से पौरुष शक्ति में बढ़ोत्तरी होती है |
  • शतावरी घृत में 2.5 से 5 ग्राम की मात्रा में पिप्पली चूर्ण 1.5 ग्राम मिलाकर खांड और शहद के साथ लेना भी पौरुष बल देता है !
  • शतावरी, गोखरू, वरादीकंद, शुद्ध भल्लातक, गिलोय, चित्रक, त्रिकटु, तिल, विदारीकन्द और मिश्री मिलाकर बनाया गया चूर्ण, जिसे नरसिंह चूर्ण के नाम से जाना जाता है, एक उत्तम वाजीकारक औषधि है।
  • केवांच के बीज, खजूर, सिंघाड़ा, दाख और उड़द इन सब को बीस-बीस ग्राम की मात्रा में लेकर 250 मिली पानी में मिलाकर पकाएं। जब पानी समाप्त हो जाए तो इसमें खांड, वंशलोचन, शुद्ध घी एवं शहद मिलाकर सेवन करने से शुक्र के निर्बलता में लाभ मिलता है!
  • मुलेठी चूर्ण 1.5 ग्राम को शुद्ध घी और शहद के साथ सेवन करने से भी कामेच्छा बढ़ती है।
  • मकरध्वज रस 250 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह शाम अदरख स्वरस एवं शहद के साथ लेना शरीर में स्फूर्ति एवं उत्साह को बढ़ाता है तथा शुक्र सम्बन्धी दोषों को दूर करता है।
  • ये तो चंद योग हैं जिससे पौरुष्य एवं शारीरिक यौन ऊर्जा को बढ़ाया जा सकता है।आयुर्वेद में ऐसी अनेक औषधियां मौजूद हैं जिनसे यौवन को बरकार रखा जा सकता है, बस आवश्यकता है तो इनके सही उपयोग की:-
  • यौन शक्ति को बढ़ाने व खोई हुई ताकत वापस लाने के लिए असरोल की जड़ का पावडर तथा कासनी हीरो व अरेबियन तेल लाभदायक सिद्ध होते हैं। इन औषधियों से किसी भी प्रकार के यौन संबंधी समस्याएँ होने पर इस्तेमाल करें लाभप्रद सिद्ध होगी। इस दवा को हिंदी में बबूल के रस के नाम से जाना जाता है।
  • अकाकिया बबूल की फलियों तथा पत्तों का रस है जिसे सुखाकर टिकिया बनायी जाती है। यह दवा पेशाब में धातु तथा स्वप्न दोष के लिए अचूक औषधि है। जो व्यक्ति इस तरह के रोग से ग्रसित है उन्हें बबूल का रस 1 से 1 -1/2 ग्रा. तक सेवन करना चाहिए। इसके अलावा अकाकिया अन्य बीमारियों में भी लाभकारी हैं जैसे- खूनी पेचिश, श्वेत प्रदर, आँख आना, मुँह में छाले होना आँतों में खराश गर्मी के कारण उत्पन्न होने वाली सूजन गाँठ।
  • भिंडी से सभी लोग परिचित हैं। भिंडी वीर्य को गाढ़ा करती है तथा संभोग की शक्ति को बढ़ाती है। जिन व्यक्तियों का वीर्य पतला हो उन्हें नर्म व मुलायम भिंडी जिसमें बीज न पड़े हों इसका पावडर पाँच से सात ग्रा. तक सेवन करना चाहिए। भिंडी की सब्जी पाचन शक्ति के अनुसार खानी चाहिए। भिंडी के अन्य औषधीय गुण मूत्र द्वार में छीलन सूजन मूत्र त्यागते समय दर्द और सूजन में इसका काढ़ा लाभकारी है। शरीर में खून की कमी की शिकायत दूर करती है। खून को बढ़ाती है।
  • कच्चे लहसुन की 2-3 कलियो का प्रतिदिन सेवन करना यौन-शाक्ति बढ़ाने का बेहतरीन घरेलु उपचार है -
  • लहसुन के बाद प्याज एक और कारगर उपाय है। सफेद कच्चे प्याज का प्रयोग अपने नित्य आहार मे करें-
  • काले-चने से बने खाद्य-पदार्थ जैसे डोसा आदि का हफ्ते मे 2-3 बार प्रयोग काफी लाभकारी होता है -
  • 150 ग्राम बारीक कटी गाजर को एक उबले हुए अंडे के आधे हिस्से मे एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में एक बार सेवन करे। इसका प्रयोग लगातार 1-2 महीने तक करें 
  • 5-10 ग्राम भिंडी की ज़ड के पाउडर को एक गिलास दूध तथा दो चम्मच मिश्री मे मिलाकर नित्य सेवन करने से आपकी यौन-शक्ति कभी कम नही प़डेगी -
  • सफेद मूसली का प्रयोग भी बेहद लाभदायक होता है। 15 ग्राम सफेद मूसली को एक कप दूध मे उबालकर दिन मे दो बार पीने से यौन-शक्ति बढ़ती है। 
  • 15 ग्राम सहजन के फूलो को 250 मिली दूध मे उबालकर सूप बनाए। यौन-टौनिक के रूप मे इसका सेवन करे-दक्षिण भारत में सहजन का प्रयोग अत्यधिक किया जाता है -
  • आधा चम्मच अदरक का रस, एक चम्मच शहद तथा एक उबले हुए अंडे का आधा हिस्सा, सभी को मिलकार मिश्रण बनाए प्रतिदिन रात को सोने से पहले एक महीने तक सेवन करे -
  • बादाम, पिस्ता खजूर तथा श्रीफल के बीजो को बराबर मात्रा मे लेकर मिश्रण बनाए। प्रतिदिन 100 ग्राम सेवन करे -
  • 30 ग्राम किशमिश को गुनगुने पानी मे धोए, 200 मिली दूध मे उबाले तथा दिन मे तीन बार सेवन करे। ध्यान रखिए की प्रत्येक बार ताजा मिश्रण तैयार करे। धीरे धीरे 30 ग्राम किशमिश की मात्रा को 50 ग्राम तक करें।
  • यौन-शक्ति कमजोरी से पीडित रोगियो को शुरू में 5-5 घंटे के अंतराल से विशेष रूप से ताजा फलो का आधार लेना चाहिए उसके बाद वह पुन: अपनी नियमित खुराक धीरे-धीरे प्रारंभ कर सकते है। रोगी को धूम्रपान , शराब चाय तथा कॉफी के सेवन से बचना चाहिए, और विशेष रूप से सफेद चीनी तथा मैदे या उनसे बने उत्पादो का परहेज करना चाहिए।
  • 15 ग्राम तुलसी के बीज और 30 ग्राम सफेद मुसली लेकर चूर्ण बनाएं, फिर उसमें 60 ग्राम मिश्री पीसकर मिला दें और शीशी में भरकर रख दें। 5 ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें इससे यौन दुर्बलता दूर होती है।
  • 200 ग्राम लहसुन पीसकर उसमें 60 मिली शहद मिलाकर एक साफ-सुथरी शीशी में भरकर ढक्कन लगाएं और किसी भी अनाज में 31 दिन के लिए रख दें। 31 दिनों के बाद 10 ग्राम की मात्रा में 40 दिनों तक इसको लें। इससे यौन शक्ति बढ़ती है।
  • एक ग्राम जायफल का चूर्ण प्रातः ताजे जल के साथ सेवन करने से कुछ दिनों में ही यौन दुर्बलता दूर होती है।
  • दो ग्राम दालचीनी का चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से वीर्य बढ़ता है और यौन दुर्बलता दूर होती है।
  • शीतकाल में सुबह दो-तीन खजूर को घी में भूनकर नियमित खाएं, ऊपर से इलायची- शक्कर डालकर उबला हुआ दूध पीजिए। यह उत्तम यौन शक्तिवर्धक है
  • 5 मिलीलीटर से 10 मिलीलीटर के आसपास पुराने सेमल की जड़ का रस निकालकर व इसका काढ़ा बना लें तथा इसके अंदर चीनी मिला लें। इस मिश्रण को 7 दिनों तक पीने से वीर्य की बहुत ही अधिक बढ़ोत्तरी होती है।
  • 6 ग्राम विदारीकन्द के चूर्ण में चीनी व घी मिला लें। इस चूर्ण को खाने के बाद इसके ऊपर से दूध पीने से वृद्ध पुरुष की भी संभोग करने की क्षमता कुछ ही दिन में वापस लौट आती है।
  • तालमखाने तथा शुद्ध कौंच के बीज के चूर्ण को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर इसके अंदर दुगुनी मिश्री मिलाकर इसका चूर्ण बनाकर रख लें। रोजाना के समय में 2 चम्मच चूर्ण (लगभग 10 ग्राम के आसपास) को ताजे दूध के साथ मिलाकर खाने से सेक्स क्रिया करने की शक्ति सें आई कमजोरी भी नष्ट हो जाती है।
  • तालमखाने के बीज, गोखरू, शुद्ध कौंच के बीज, शतावरी, कंघी का जड़ तथा नागबला- इन सबको बराबर-बराबर की मात्रा में ले लें। इनको लेकर कूट-पीसकर इनका चूर्ण बनाकर रख लें। रात के समय में इस चूर्ण की 6 ग्राम की मात्रा को दूध के साथ प्रयोग करें। इस चूर्ण का सेवन करने से पुरुष की सेक्स क्षमता की कमजोरी दूर हो जाती है तथा व्यक्ति संभोग करने में काफी निपुण हो जाता है।
  • 6 ग्राम गोखरू का चूर्ण और काले तिल 10 ग्राम को बराबर मात्रा में लेकर इसे 250 मिलीलीटर बकरी के दूध में उबालकर तथा उसे ठंडा करके शहद को मिलाकर खाना चाहिए। इसका सेवन करने से हैंडप्रैक्टिस (हस्तमैथुन) से यौन क्रिया में आई कमजोरी भी समाप्त हो जाती है।
  • 100ग्राम इमली के बीजों को लेकर उन बीजों को पानी में भिगोकर 4-5 दिनों के लिए रख दें तथा पाचवें दिन उन बीजों का छिलका उतारकर उनका वजन करके देखें। उनका वजन करने के बाद उनके वजन से दुगुना पुराने गुड़ (देशी ) को लेकर उन बीजों में मिलाकर रख दें। इसके बाद इन्हें बारीक पीसकर अच्छी तरह से घोट लें। तत्पश्चात इस मिश्रण की चने के बराबर बारीक-बारीक गोलियां बना लें। सेक्स क्रिया शुरू करने के 1 से 2 घंटे पहले दो गोलियों को खा लें। इसका सेवन करने से सेक्स शक्ति में अजीब की शक्ति आ जाती है। कई लोगो पे आजमाया गया नुस्खा है काफी लोगो की सेक्स छमता में वृधि हुई है और सार्थक परिणाम की प्राप्ति हुई है - ठण्ड के  मौसम में कभी-कभी बीजो को फूलने में जादा समय लग सकता है -
  • 500 ग्राम विधारा और 500 ग्राम नागौरी असगंध- इन दोनों को ले लें। फिर इसे अच्छी तरह से कूट-पीसकर तथा इसे छानकर रख लें। सुबह के समय रोजाना इस चूर्ण को 2 चम्मच खा लें। उसके बाद ऊपर से मिश्री मिला हुआ गर्म-गर्म दूध को पी लें। इस चूर्ण का इस्तेमाल करने से बुजुर्ग व्यक्ति भी जवानों के समान संभोग करने में निपुण हो जाता है।

स्‍वप्‍नदोष (Wet Dreams)

पुरुष खासकर युवा ही स्वप्न-दोष का शिकार होते है -स्वप्न-दोष वह अवस्था है जिसमे सोते -सोते अचानक पुरुष को वीर्यपात हो जाता है -उनके कपड़ो में गीला-पन हो जाता है -यहाँ तक कि बिस्तर पर सफ़ेद दाग पड़ जाते है -और सुबह उठने पे शर्मिंदगी महसूस करते है -इसको ही भारतीय समाज में स्वप्न-दोष का नाम दिया गया है -
जबकि पश्चिम में इसे किसी तरह का दोष नहीं माना जाता, बल्कि वहां तो इसे वेट ड्रीम (wet dreams) कहा जाता है जो ज्‍यादा उचित शब्‍द है।



पुरुषों में स्‍वप्‍नदोष(Wet dreams):-


मनोचिकित्‍सकों के अनुसार, Sleep sexMasturbation या इसी तरह की किसी यौन उत्‍तेजना के उत्‍पन्‍न ख्‍याल से लिंग से Semen secretion हो जाता है। किशोरावस्‍था में यह बहुत सामान्‍य बात है। इसे लेकर किसी भी तरह की ग्रंथि नहीं पालनी चाहिए। सभी इससे गुजरते हैं, लेकिन यह जानकर आश्‍चर्य होगा कि Girls भी स्‍वप्‍नदोष की शिकार होती हैं। यह अलग बात है कि उनका जननांग भीतर की ओर होने की वजह से उन्‍हें अक्‍सर इसका पता नहीं चल पाता है।

पुरुषों में रात भर में करीब 4 से 5 बार लिंग उत्तेजित होता है। सुबह के समय इसकी stimulus बढ जाती है। स्‍वप्‍नदोष भी अक्‍सर सुबह के तीन से पांच के बीच ही अधिक होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि लिंग के उत्‍तेजना से नियमित रक्‍त संचालन होता रहता है, जो लिंग की मांसपेशियों व ऊतकों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिहाज से अच्‍छा है। यह एक तरह से लिंग की कसरत है। जब उत्‍तेजित लिंग वीर्य के भार को थामने में नाकाम नाकाम रहता है तो वीर्यपात हो जाता है, जो बहुत Natural है।



लडकियों का स्वप्न-दोष (Wet dreams of girls):-


गाइनकोलॉजिस्‍टों व मनोचिकित्‍सकों के अनुसार स्त्रियां भी Intense sexual अहसास से गुजरती हैं। किशोरावस्‍था, युवावस्‍था या फिर पति से बहुत अधिक दिनों तक दूर रहने पर कई बार महिलाओं में तीव्र यौन इच्‍छा जगती है और वह सोते से उठ जाती हैं। पुरुषों के समान उनमें वीर्यपात जैसा तो कुछ नहीं होता, लेकिन उत्‍तेजनावश उनकी Vagina अंदर से गीली और चिकनी हो जाती है।





महिलाए स्वप्न-दोष को नहीं समझ पाती :-


चूंकि महिलाओं का जननांग(Genital) अंदर की ओर विकसित होता है, इसलिए वह स्‍वप्‍नदोष को ठीक से समझ ही नहीं पाती हैं। महिलाओं को सोते वक्‍त कई बार जननांग या उसके आसपास दबाव पडने, घर्षण आदि के कारण कामोत्‍तेजना(Arousal) का अहसास होता है। ऐसा अक्‍सर टाइट पैंटी पहनने, जांघों के बीच हाथ दबाकर सोते वक्‍त हाथ से उत्‍पन्‍न घर्षण आदि अकेली स्‍त्री में अचानक से सोई हुई उत्‍तेजना को जगा देता है, जिससे उक्‍सर उनकी नींद खुल जाती है।



महिलाए कर सकती है एहसास :-

वैसे महिलाएं चाहें तो अपने स्‍वप्‍नदोष का अहसास कर सकती हैं-जब कभी रात में अचानक एक तीव्र व Pleasant feeling के साथ नींद के खुलते ही अपनी ऊंगली Vagina के अंदर ले जाने पर उन्‍हें चिप-चिपापन(Viscosity) और गीलेपन का अहसास होगा। 

किशोरियों को ऐसे समय किसी अनजान साथी का, युवा लड़की को अपने ब्‍वॉयफ्रेंड का और पति से दूर रही रही पत्‍नी को अपने पति की दूरी का तीव्रता से अहसास होता है। 

स्त्रियां कल्‍पना में भी यदि sexual intercourse करती हैं तो वह किसी अजनबी की जगह अपने साथी का ख्‍याल ही मन में लाती हैं।



कामोत्तेजना सेहत के लिए उचित :-


महिलाओं में भी कामोत्‍तेजना बढ़ने से Genital में रक्‍तसंचार होता है, जो यौन व प्रजनन स्‍वास्‍थ्‍य के हिसाब से बहुत उपयुक्‍त है। इससे योनि का लचीलापन बना रहता है, जो आगे चलकर पुरुष के साथ यौन संबंध बनाने में तो सहज करता ही है, प्रसव के समय बच्‍चे के बाहर आने में भी आसानी होती है।

स्वपन-दोष किसी प्रकार का कोई "दोष " नहीं :-


परंपरागत भारतीय समाज में वीर्य की रक्षा करने पर मुख्‍य जोर रहा है, शायद इसी वजह से स्‍वप्‍न की वजह से होने वाले वीर्य स्‍खलन को स्‍वप्‍नदोष कह दिया गया है। लेकिन आधुनिक मनोविज्ञानी इसे किसी भी तरह से दोष नहीं मानते हैं। सोते में कामुक कल्‍पनाओं का उभरता और उसके प्रभाव से वीर्यस्राव कहीं से बुरा नहीं है। वीर्य की मात्रा जब शरीर में बढ जाती है तो वह बाहर निकलने का रास्‍ता तलाशती है। इसे ऐसे समझिए कि जब पानी का टंकी भर जाता है तो Overflow हो जाता है। यह बहुत कुछ वैसा ही है।

सुझाव :-


अत्‍यधिक Erotic thoughts करना, Pornography पर ज्‍यादा समय व्‍यतीत करना, Alcohol, सिगरेट, अधिक तला, मसालेदार और खटटा खाने जैसे कुछ ऐसे कारण हैं तो इसकी बारंबारता को बढा देते हैं। मसालेदार भोजन यौन उत्‍तेजना बढाने में सहायक हैं। भारतीय समाज ने शायद किशोर-वस्था  में अधिक कामोत्‍तेजना, शराब, सिगरेट का सेवन और मसालेदार भोजन आदि से दूर रहने के लिए ही इसे दोष का नाम दिया। पोर्नोग्राफी, शराब, सिगरेट और मसालेदार भोजन से बचना तो वैसे भी स्‍वास्‍थ्‍य के लिए उत्‍तम है, क्‍योंकि ये सभी एडिक्‍शन का खतरा पैदा करते हैं।

स्वप्न-दोष के लिए ये टिप्स अपनाए :-

  • आँवले का मुरब्बा रोज खाएँ ऊपर से गाजर का रस पिएँ।

  • तुलसी की जड़ के टुकड़े को पीसकर पानी के साथ पीना लाभकारी होता है। अगर जड़ नहीं उपलब्ध हो तो तो बीज 2 चम्मच शाम के समय लें।

  • लहसुन की दो कली कुचल कर निगल जाएँ। थोड़ी देर बाद गाजर का रस पिएँ।
  • मुलहठी का चूर्ण आधा चम्मच और आक की छाल का चूर्ण एक चम्मच दूध के साथ लें।
  • काली तुलसी के पत्ते 10-12 रात में जल के साथ लें।
  • रात को एक लीटर पानी में त्रिफला चूर्ण भिगा दें सुबह मथकर महीन कपड़े से छानकर पी जाएँ।
  • अदरक रस 2 चम्मच, प्याज रस 3 चम्मच, शहद 2 चम्मच, गाय का घी 2 चम्मच, सबको मिलाकर सेवन करने से स्वप्नदोष तो ठीक होगा ही साथ मर्दाना ताकत भी बढ़ती है।
  • नीम की पत्तियाँ नित्य चबाकर खाते रहने से स्वप्नदोष जड़ से गायब हो जाएगा।
  • आंवले  का मुरब्बारोज खाने से स्वप्र दोष में लाभ होता है।
  • कांच के गिलास में बीस ग्राम पिसा हुआ सुखा आंवला डाले। इसमें साठ ग्राम पानी भरें और फिर बारह घंटे भीगने दें। फिर छानकर इस पानी में एक ग्राम पीसी हुई हल्दी मिलाएं और पीएं।
  • पिसे हुए अनार के छिलके पांच ग्राम सुबह और शाम लेने से स्वप्न दोष नहीं होता।
  • केला स्वप्न दोष और प्रमेह में लाभदायक है। दो केले खाकर ऊपर से एक पाव गरम दूध तीन महीनें तक रोज पीएं।
  • लहसुन की दो कुली टुकड़े करके पानी से निगल जाएं। इससे स्वप्र दोष नहीं होगा। यह प्रयोग रात को सोते समय हाथ-पैर धोकर रोज करें।
  • प्याज दस ग्राम सफेद प्याज का रस, अदरक का रस आठ ग्राम, शहद पांच ग्राम, घी तीन ग्राम मिलाकर रात्रि को सोते समय पीने से स्वप्र दोष नहीं होता।
  • धनिये को पीसकर मिश्री मिलाकर ठण्डे जल से लेने से स्वप्र दोष नहीं होता।
  • तुलसी की जड़ के छोटे-छोटे टुकड़े पीसकर पानी में मिलाकर पीने से लाभ होता है।

  • सुखा धनिया कूट, पीसकर छान लें। इसमें समान मात्रा में पीसी हुई चीनी मिलाएं। सुबह भूखे पेट रात के पानी से एक चाय की चम्मच फक्की लें और एक घंटे तक कुछ न खाएं पीएं।